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चैत्र नवरात्रि 2024: माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरुप की कहानी

By February 20, 2023August 31st, 2024No Comments
चैत्र नवरात्रि 2024_ माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरुप की कहानी

चैत्र महीने में आने के कारण इस नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है। चैत्र नवरात्रि हिंदू समाज का बहुत बड़ा धार्मिक त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार नए साल का आरंभ भी चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से आरंभ हो रही है और 17 अप्रैल को समाप्त हो रही है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस देवीय शक्ति की पूजा के महत्व के बारे में बताया गया है।

चैत्र नवरात्रि की महिमा के बारे में जानने के लिए जरुर पढ़े यह लेख:

कुछ सामान्य प्रश्नों में लोगों के यह प्रश्न भी रहते है। जैसे नवरात्रि कब से है?, माँ दुर्गा के नौ स्वरुप की पूजा करने का क्या है महत्व?, माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए मुझे कौन से उपाय करने चाहिए?, चैत्र नवरात्रि 2024 मुहूर्त में कौन से कार्य करने से होगा मुझे लाभ?, इन सब प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के लिए आप इंस्टाएस्ट्रो ऐप पर जाकर हमारे सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी से बात कर सकते हैं, जो आपके सभी प्रश्नों का उत्तर प्रदान करेंगे।

2024 में चैत्र नवरात्रि कब से हैं-

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2024 में तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है और 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की समाप्ति तिथि है। 9 अप्रैल को सुबह 06:12 मिनट से लेकर सुबह 10 23 मिनट तक घटस्थापना का मुहूर्त है।

जानिए नवरात्रि से जुडी कथा के बारे में-

प्राचीन काल में नवरात्रि से जुडी कई कथाओं का वर्णन मिलता है। उन कथाओं का छोटा सा वर्णन यहां किया गया है:

महिषासुर वर्धिनी माँ दुर्गा-

पहली कथा के अनुसार महिषासुर से देवताओं की रक्षा करने के लिए दिव्य शक्तियों वाली माँ दूर्गा का जन्म हुआ। माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उसके कष्टों से आजाद कराया। इसलिए माँ दुर्गा को महिषासुर वर्धिनी के नाम से भी जाना जाता है।

Mahisasur Ka Vadh Maa Durga Dwara

ब्राह्मण और माँ भगवती-

नवरात्रि से जुडी दूसरी कथा में एक ब्राह्मण और उसकी पुत्री का वर्णन किया गया है। ब्राह्मण प्रतिदिन माँ दुर्गा की पूजा किया करता था। एक दिन अपनी पुत्री के पूजा में उपस्थित न होने से ब्राह्मण को क्रोध आ गया और उसने अपने बेटी को श्राप दे दिया। हालांकि बाद में ब्राह्मण को अपने किए की सजा मिल गई और माँ भगवती ने ब्रह्मण की बेटी की झोली खुशियों से भर दी।

श्री राम ने किया था नवरात्रि का उपवास-

नवरात्रि से जुडी कथा में तीसरी कथा का उल्लेख रामायण के एक प्रसंग में मिलता है। जब भगवान राम और उनकी सेना ने लंका विजय के लिए नौ दिनो तक माँ दुर्गा की अराधना की।

Lord Ram

जानिए माँ दुर्गा के नौ स्वरुप के बारे में-

नीचे माँ दुर्गा के नौ स्वरुप और उनकी महिमा के बारे में छोटा सा वर्णन किया गया है:

1. माँ दुर्गा का पहला स्वरुप शैल पुत्री-

शैल पुत्री माँ दुर्गा के नौ रुपो में से पहला रुप है। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैल पुत्री की पूजा होती है।

Shailputri Maa

2. माँ दुर्गा का दूसरा स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी-

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माँ ब्रह्मचारिणी अपने भक्तो में तप, ज्ञान, संयम, वैराग्य आदि की भावना जागृत करती है।

3. माँ दुर्गा का तीसरा स्वरुप माँ चंद्रघंटा-

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा होती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति में वीरता के गुणों का संचार होता है।

Chandraghanta Maa

4. माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप माँ कुष्मांडा-

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कुष्मांडा को सिद्धियों की देवी और व्यक्ति के रोग दूर करने वाली माना जाता है।

5. माँ दुर्गा का पांचवा स्वरुप माँ स्कंदमाता-

नवरात्रि की पंचम तिथि को पूजी जाने वाली स्कंदमाता की पूजा से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

SkandMata Maa

6. माँ दुर्गा का छठा स्वरुप माँ कात्यानी-

मनुष्य में शक्ति और कौशल वृद्धि का संचार करने वाली माँ कात्यानी की पूजा नवरत्रि के छठे दिन होती है। नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यानी का दिन माना जाता है।

7. माँ दुर्गा का सांतवा स्वरुप माँ कालरात्रि-

 नवरात्रि की सप्तम तिथि को माँ कालरात्रि की पूजा होती है। माँ कालरात्रि को पापों का नाश करने वाली माना जाता है। अत: माँ कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते है और दुश्मनों पर विजयी की प्राप्ति होती है।

Kalratri Maa

8. माँ गौरी है माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप –

माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप माँ गौरी है। माँ गौरी की पूजा करने से व्यक्ति को क्षय रोग से मुक्ति मिलती है और साथ ही व्यक्ति के चेहरे पर जीत का निखार भी आता है।

9. सिद्धिदात्री माँ है माँ दुर्गा का नौवा स्वरुप –

माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के आखिरी दीन यानी नवमी का दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

Siddidatri Maa

जाने नवरात्रि का महत्तव:

हिंदू कैलेंडर और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि का उत्सव आता है। पहला चैत्र और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि जिसे प्रत्यक्ष नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। दूसरा आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रुप में जाना जाता है। नवरात्रि के इन नौ दिन 10 महाविघाओं की पूजा की जाती है। नवरात्रि का महत्व जानने के लिए नीचे लिखे गए कथनो पर एक नजर अवश्य डाले:

  • करती है अंतर्शक्ति को पहचाने में मदद-

नवरात्रि के नौ दिन हम शक्ति के नौ रुपो की पूजा करते है। यह नौ रुप हमे अपने अंदर छुपी हुई शक्ति को पहचान्ने में मदद करती है।

  • आध्यात्मिक शक्ति का करती है संचार-

माँ दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है। नवरात्रि के यह नौ दिन एक वर्कशॉप की तरह है। जो हमारी आत्मा की शुद्धि करते है।

  • त्याग का देती है संदेश-

नौ देवियो की प्रतिमा व्यक्ति में त्याग भावना जगाती है। व्यक्ति को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर उसे लोगों की मदद करने का संकेत देती है।

  • लाती है सौभाग्य-

नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा करने से मनुष्य का दुर्भाग्य दूर होता और उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उसकी सारी दरिद्रता दूर हो जाती है।

  • देती है सामाजिक संदेश-

नवरात्रि के दिन छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और फिर भोग लगाया जाता है। जो बताता है कि संसार को चलाने के लिए एक स्त्री का होना कितना महत्वपूर्ण है। इसलिए इस दिन कन्या पूजन करने की परंपरा है।

  • शुभ मुहूर्त में उठे-

ज्योतिष शास्त्र में शुभ मुहूर्त मे उठने के कई फायदे बताए गए है। लेकिन नवरात्रि वाले दिन शुभ मुहूर्त में उठकर अम्बे माँ की पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिषियों द्वारा इस दिन जल्दी उठने की सलाह दी जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. कब है चैत्र दुर्गाष्ठमी?

2024 में चैत्र दुर्गाष्ठमी 9 अप्रैल को पड़ रही है।

2. चैत्र नवरात्रि 2024 मुहूर्त का समय क्या है?

हिंदू पंचांग में चैत्र नवरात्रि 2024 मुहूर्त का समय 9 अप्रैल को सुबह 06:12 मिनट से लेकर सुबह 10 23 मिनट तक बताया जा रहा है।

3. शारदीय नवरात्र का त्योहार किस ऋतु में मनाय जाता है?

शरद ऋतु में शारदीय नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है।

4. किस कैलेंडर के आधार पर त्योहार की तिथियों का निर्धारण करते है?

चंद्र कैलेंडर के आधार पर त्योहार की तिथियों का निर्धारण किया जाता है।

5. नवरात्रि किसका प्रतिनिधित्व करती है?

नवरात्रि माँ दुर्गा का प्रतिनिधित्व करती है।

और पढ़े: रावण की आत्मा से जुड़ा रहस्य आखिरकार रावण को क्यों नहीं हुआ बाण से नुकसान?

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