हिन्दू धर्म में कई पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं। सभी पर्वों में दीपावली मुख्य पर्व होता है। दीपावली की तैयारियां इस पर्व के पहले से शुरू हो जाती हैं। हिन्दू धर्म में छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली को मनाया जाता है। दीपावली से जुड़ी कथा तो हम सभी जानते हैं। हम आज आपको बताएंगे छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है? दीपावली से जुड़ा इतिहास और कहानी।
छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी-
हिन्दू धर्म में छोटी दीपावली का विशेष महत्व होता है। इस दिन भी लोग धूमधाम से दिए जलाते हैं। छोटी दीपावली की कई कहानियां हैं। हम आपको बताएँगे नरकासुर राक्षस की कहानी। छोटी दीपावली के दिन नरकासुर का वध हुआ था। तब से छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
आइये जानते हैं नरकासुर की दीपावली से जुड़ी कहानी।
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नरकासुर से जुड़ी दीपावली की कहानी-
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को हिरण्यास नामक राक्षस से बचाने के लिए विष्णु ने वराह का रूप धारण किया था। युद्ध के पश्चात वराह के पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिर गई। जिससे नरका का जन्म हुआ। नरका को वरदान मिला था कि वह उसी इंसान द्वारा मारा जा सकता है। जिससे नरका का जन्म हुआ है। भगवान विष्णु ने पृथ्वी के लोगों की रक्षा के लिए श्री कृष्ण के अवतार में जन्म लिया। नरकासुर अत्यधिक शक्तिशाली हो चुका था। उसने देवताओं और पृथ्वी पर अत्याचार करके अपने अधीन कर लिया था। सभी देवताओं ने श्री कृष्ण से मदद मांगी। श्री कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार थे। इसी कारण श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया । नरका ने अपने अंतिम समय में प्रकाश देखा और अन्धकार दूर हो गया था। इसी कारण दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
छोटी दीपावली की पूजा विधि-
- इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करना चाहिए।
- आपको इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन तेल से स्नान करना चाहिए।
- इसके पश्चात सूर्यदेव को जल अर्पित करें और भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए।
- भगवान विष्णु को फल और फूल अर्पित करें और धूप से पूजा करें।
- विष्णु जी की पूजा के लिए दीपक घी का और आटे से बना होना चाहिए।
- शाम के समय मुख्य द्वार पर पांच या सात दिए अवश्य जलाने चाहिए।
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