
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि होती है। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यह तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित होती है। इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों से विनायक चतुर्थी पूजा विधि और विनायक चतुर्थी का महत्व।
विनायक चतुर्थी तिथि 2023
प्रत्येक माह में एक विनायक चतुर्थी आती है। वर्ष 2023 में हर माह की विनायक चतुर्थी तिथि इस प्रकार है।
25 जनवरी – माघ
23 फ़रवरी – फाल्गुन
25 मार्च – चैत्र
24 अप्रैल – वैशाख
23 मई – ज्येष्ठ
22 जून – आषाढ़
22 जुलाई – श्रवण
20 अगस्त – भाद्रपद
19 सितंबर – अश्विन
18 अक्टूबर – कार्तिक
17 नवंबर – अगहन
16 दिसंबर – पौष
गणेश चतुर्थी
मुख्य विनायक चतुर्थी भाद्रपद माह में आती है। जिसे ‘गणेश चतुर्थी’ कहा जाता है। यह पर्व पूरे भारत में 11 दिन तक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह भगवान श्री गणेश की भक्ति के लिए अत्यधिक शुभ त्यौहार माना जाता है।
गणेश चतुर्थी की मान्यता
मान्यता है कि हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश कैलाश पर्वत से उतरकर अपने भक्तों के पास आते हैं। 10 दिन तक वे अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। और अंतिम दिन अपनी माता और भगवान शिव के पास लौट जाते हैं।
विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं में सबसे प्रथम भगवान गणेश को पूजनीय माना जाता है।
यह उत्सव भारत के महाराष्ट्र राज्य में बहुत उत्साह और जोश से मनाया जाता है।
इस दिन व्रत करने से साधक सभी परेशानियों और कष्टों से मुक्त हो जाता है।
पूरी आस्था और श्रद्धा से की गई गणेश जी की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करने से वैवाहिक और पारिवारिक जीवन हमेशा सूखी बना रहता है।
महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का पालन करती हैं।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। फिर व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल में भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- उसके बाद श्री गणेश की प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें। फिर विधि विधान से पूजा करें।
- पूजा में रोली, अक्षत, धूप, पान का पत्ता, फूल, नैवेद्य, फल इत्यादि अर्पित करें।
- अंत में श्री गणेश मंत्र का जाप करें। फिर भगवान गणेश जी की आरती करें।
- गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। इस प्रकार विनायक चतुर्थी पूजा विधि संपन्न हो जाएगी।
- पूजा के बाद फल और मिठाई को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा इस प्रकार है – एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे कर चौपड़ खेल रहे थे। सवाल था कि इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा। तब भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्रित किए। और उसका एक पुतला बनाया। फिर पुतले से कहा- ‘बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, इसलिए तुम बताना कि दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?’ उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने चौपड़ का खेल शुरू किया। उन्होंने तीन बार खेला और संयोग से तीनों बार माता पार्वती विजयी हुईं। खेल समाप्त होने के बाद जब उस बालक से हार-जीत का फैसला पूछा। तो उसने महादेव को विजयी बता दिया।
यह सुन माता पार्वती क्रोधित हो गईं। और क्रोध में उन्होंने बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। श्रापित होने पर बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी। तब माता ने कहा कि तुम श्री गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम्हारी सज़ा माफ़ हो जाएगी। एक वर्ष बाद उस स्थान पर कुछ नागकन्याएं आईं, तब उस बालक ने उनसे श्री गणेश व्रत की विधि पता करी। और 21 दिन तक लगातार गणेशजी का व्रत किया। उसकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर गणेशजी ने उसे मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा। तब उस बालक ने कहा- ‘हे विनायक! मुझे अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर पहुंचना है।’ तब श्री गणेश ने बालक को वरदान दिया। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर गया और अपनी कथा भगवान शिव तथा माता पार्वती को सुनाई। उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला यह व्रत एक परंपरा बन गया।
विनायक चतुर्थी व्रत के नियम
- यह व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होता है। और अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
- इस दिन व्रत करने वाले साधक पूरे दिन केवल फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
- अन्न, मांसाहारी भोजन, शराब आदि का सेवन वर्जित होता है।
- इस शुभ दिन पर पूजा करने के बाद गरीबों को दान अवश्य दें।
- भगवान गणेश को मोदक और लड्डू अत्यंत ही प्रिय होते हैं। इसलिए इस दिन उन्हें इसका भोग ज़रूर लगायें।
- गणेश जी की पूजा में दूर्वा ज़रूर अर्पित करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. विनायक चतुर्थी तिथि कब आती है ?
2. विनायक चतुर्थी पूजा विधि क्या है ?
3. विनायक चतुर्थी का महत्व क्या है ?
4. गणेश चतुर्थी कब आती है ?
5. विनायक चतुर्थी व्रत कैसे रखें ?
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