हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन को बड़ा पावन माना जाता है। कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात्रि में एक बार आसमान में चांद का दर्शन अवश्य करना चाहिए। इससे मनुष्य सदैव निरोग और सकारात्मक बना रहता है। ज्योतिष शास्त्र में भी पूर्णिमा के दिन को अच्छाई और सच्चाई का प्रतीक बताया गया है। वैसे तो वैशाख पूर्णिमा का इतिहास और महत्व भगवान विष्णु से जुड़ा है। लेकिन इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन को सुख समृद्धि लाने वाली और दरिद्रता को दूर करने के लिए भी जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा का महोत्सव वैशाख महीने की आखिरी तिथि को मनाया जाता है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत मुहूर्त 2023-
- वैशाख पूर्णिमा तिथि- 5 मई 2023।
- पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ- 4 मई, सुबह 11:44 मिनट से।
- पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 5 मई, सुबह 11:04 मिनट पर।
वैशाख पूर्णिमा व्रत अनुष्ठान में करे इन साम्रगियों का उपयोग-
वैशाख पूर्णिमा व्रत अनुष्ठान में जिन चीजों को शामिल किया जाता है। उनकी सूची नीचे दी गई है-
- इस दिन सूर्योदय से पहले गंगा नदी में डुबकी लगाने का अनुष्ठान है। अगर आप किसी कारण से इस पवित्र नदी में डुबकी नहीं लगा रहे है। तो स्नान करने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।
- स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प ले।
- इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनने से भी विशेष लाभ मिलता है।
- भगवान विष्णु को सिर्फ सात्विक आहार का ही भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु के प्रसाद में मुख्य रूप से तुलसी का ख्याल रखें। क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी है।
- शाम के वक्त पूजा के शुभ मुहूर्त को देखकर ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करें।
- वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से भी कई लाभ मिलते है।
- शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी मनुष्य जीवन के कई दोषों का निवारण होता है।
- आप इंस्टाएस्ट्रो की साइट पर जाकर वैशाख पूर्णिमा व्रत मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।
शास्त्रों में क्या है वैशाख पूर्णिमा का महत्व-
व्रत छोटा हो चाहे बड़ा हर व्रत का कोई न कोई महत्व होता है। हम बचपन से अपने बड़े बुजुर्गों और आस पास के लोगों से सुनते आए है कि इस व्रत का यह महत्व होता है उस व्रत का वो महत्व होता है। आइए जानते है वैशाख पूर्णिमा व्रत का क्या महत्व होता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी होती है प्रसन्न-
जो मनुष्य इस दिन एकाग्र होकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करता है। उस मनुष्य से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहते है और अपनी कृपा उस व्यक्ति पर बनाए रखते है।
अकाल मृत्यु के भय से मिलता है छुटकारा-
वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक निस्वार्थ भाव से यमराज की पूजा करता है। उसे कभी भी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। क्योंकि यमराज का आशीर्वाद इनके ऊपर सदैव बना रहता है।
खोलता है सुख और समृद्धि के रास्ते-
माँ लक्ष्मी को धन की देवी के रुप में घर घर में पूजा जाता है। लेकिन वैशाख पूर्णिमा व्रत के दिन जातक के ऊपर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा दृष्टि बनती है। जो जातक के ऊपर सुख, समृद्धि, धन और धान्य की वर्षा करती है।
संतान सुख की होती है प्राप्ति-
भविष्य पुराण और आदित्य पुराण में वैशाख पुर्णिमा के महत्व के बारे में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो स्त्री वैशाख पूर्णिमा का व्रत सच्चे दिल और पूरे विधि विधान के साथ करती है। उस स्त्री को संतान सुख की प्राप्ति की इच्छा शीघ्र ही पूर्ण होती है।
ज्ञान की होती है प्राप्ति-
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान बुद्ध के दर्शन करने से और उनके आदर्शों पर चलने से मनुष्य को ज्ञान, बुद्धि, तपस्या आदि का मूल्य समझ में आता है।
आर्थिक संकटों से दिलाता है निजात-
पूरे भारतवर्ष में वैशाख पूर्णिमा ही एक ऐसा व्रत है जिसमें विभिन्न देवी देवताओं की पूजा एक साथ की जाती है। इस व्रत में चंद्र देव की उपासना करने का भी विशेष महत्व है। कई धर्म ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि वैशाख पूर्णिमा व्रत के दिन भगवान विष्णु के साथ चंद्रमा की पूजा करने से जातक को कई कष्टों से छुटकारा मिलता है। जैसे मानसिक विकार और शारीरिक अक्षमता आदि।
ज्योतिषी से जाने वैशाख पूर्णिमा व्रत से जुड़े महत्वपूर्ण नियमों के बारे में-
हिंदू धर्म की यह खासियत रही है कि इसमें हर व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों का भी वर्णन मिलता है। इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों के द्वारा इस व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में बताया गया है।
पीपल के पेड़ की करे पूजा-
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ पर त्रिदेवों(ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें, जल चढ़ाएं और पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करे।
शनि दोष से पीड़ित है तो अपनाए यह उपाय-
व्यक्ति की कुंडली में शनि के खराब होने से व्यक्ति के बने बनाए काम भी बिगड़ जाते है। इसलिए ज्योतिषी सलाह देते है कि शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति को वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
हनुमान चालीसा का करे पाठ-
सिर्फ ज्योतिष शास्त्र ही नहीं बल्कि हर कोई यह मानता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए वैशाख पूर्णिमा के दिन हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए।
काले कुत्ते को खिलाएं रोटी-
बहुत से धार्मिक शास्त्रों में काले कुत्ते को रोटी खिलाना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि काले कुत्ते के रूप में हमारा कोई सगा संबंधी जो इस दुनिया में अब नहीं रहा है हमसे मिलने आता है। इसलिए काले कुत्ते को रोटी खिलाने की सलाह दी जाती है। खासकर वैशाख पूर्णिमा के दिन।
नशीली चीजों से रहें दूर-
यह बात तो सभी जानते है कि नशीली चीजों का सेवन करने से मनुष्य अंदर से खोखला हो जाता है। इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा पर अगर जो मनुष्य नशीली चीजों का सेवन करता है। तो उसके द्वारा किए गए सारे पुण्य एक क्षण में व्यर्थ चले जाते है। इसलिए अपने अच्छे स्वास्थ्य और परिवार की शांति के लिए नशीली चीजों से दूरी बनाए रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा क्यों कहा जाता है?
2. सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा कौन सी है?
3. कौन सा काम पूर्णिमा के दिन करना अशुभ होता है?
4. क्या पूर्णिमा के दिन मांगलिक कार्य करना शुभ होता है या अशुभ?
5. 2023 में वैशाख पूर्णिमा कब मनाई जाएगी?
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इस साल की वैशाख पूर्णिमा का कौन सी राशि पर कैसा रहेगा असर। जानने के लिए आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।