
वैशाख महीने की अमावस्या तिथि को पड़ने वाला वैशाख अमावस्या का व्रत मुख्य रूप से पितृ दोष से निवारण के लिए किया जाने वाला व्रत है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अप्रैल और मई के महीने में वैशाख अमावस्या आती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस अमावस्या का संबंध हमारे पूर्वजों से है। ऐसी मान्यता है कि वैशाख अमावस्या व्रत करने से मनुष्य को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। दक्षिण भारत के कई राज्यों में इस व्रत को शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के प्रत्येक अमावस्या व्रत में वैशाख अमावस्या व्रत को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।
वैशाख अमावस्या शुभ मुहूर्त 2023-
2023 में वैशाख अमावस्या व्रत का महोत्सव गुरुवार 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। वैशाख अमावस्या शुभ मुहूर्त की शुरुआत 19 अप्रैल को 11 बजकर 23 मिनट से हो रही है और समाप्त 20 अप्रैल को 9 बजकर 41 मिनट पर है।20 april
जाने वैशाख अमावस्या 2023 की व्रत विधि के बारे में-
किसी भी व्रत में उसकी पूजा विधि का अहम स्थान होता है। यदि आप भी जानना चाहते है वैशाख अमावस्या व्रत विधि के बारे में। तो इंस्टाएस्ट्रो की साइट आपके लिए एक उपयुक्त विकल्प है। जहां आपको वैशाख अमावस्या व्रत विधि के बारे महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर शौच आदि नित्य कर्म से निवृत होकर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- फिर अमावस्या व्रत का प्रण ले।
- वैशाख अमावस्या व्रत के दिन माँ लक्ष्मी, ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की पूजा अवश्य करे।
- पूजा करते समय अपने मन को इधर उधर भटकने न दें। देवी देवता की पूजा के साथ पितरों का भी स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- अपने घर आए याचक और ब्राह्मणों को दान प्रसाद, अन्न या फल दें।
- पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करे।
- शाम के वक्त पीपल के वृक्ष के पास दीया जरुर जलाएं।
- इस दिन शनिदेव की भी आरती करे और शनिदेव को तिल, सरसों का तेल, आदि चढ़ाए।
- इस दिन कौवों को भोजन अवश्य कराए। क्योंकि वैशाख अमावस्या का व्रत पितरों को शांत करने के लिए किया जाता है।
- हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन कौवे के रूप में हमारे पूर्वज हमारे घर आते है। इसलिए कौवों को भोजन कराने की सलाह दी जाती है।
वैशाख अमावस्या व्रत कथा के पीछे का इतिहास-
प्राचीन काल के धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण से जुड़ी है वैशाख अमावस्या व्रत कथा। जो बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और ऋषि मुनियों का आदर करने के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार की बात है जब धर्मवर्ण ने किसी जाने माने पंडित को यह कहते हुए सुना। कि कलयुग में भगवान विष्णु के नाम का जाप करने को सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना जाएगा। धर्मवर्ण ने महात्मा द्वारा कही गई इस बात को गंभीरता से लिया और संन्यास ले लिया। अपने संन्यास के दौरान धर्मवर्ण ने जगह जगह भ्रमण किया। ऐसे ही भ्रमण करते करते वह पितृलोक पहुंच गए।
जहां उन्होंने अपने पितरों को असहनीय कष्ट भोगते हुए देखा। अपने पितरों से धर्मवर्ण को पता लगा कि उनके कष्टों का कारण धर्मवर्ण का संन्यास लेना है। क्योंकि उनके वंशज में अब कोई भी नहीं बचा जो पितृ दान कर सके। इसलिए धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने का निश्चय किया और पिंडदान करके पितरों को मुक्ति दिलाई।
जिस दिन धर्मवर्ण ने पिंडदान किया वह वैशाख अमावस्या का दिन था। इसलिए उस दिन से वैशाख अमावस्या का व्रत हर घर में मनाया जाता है।
ज्योतिषी से जाने वैशाख अमावस्या का महत्व-
हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में 12 अमावस्या आती है। जिसे अंग्रेजी में नो मुन डे कहा जाता है। वैशाख अमावस्या का महत्व जानने के लिए निम्नलिखित कथनो पर डाले एक नजर।
पितृ दोष से दिलाता है छुटकारा-
वैशाख अमावस्या को मुख्य रुप से पितृ दोष से मुक्ति का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया पिंडदान पितरों की आत्मा को जन्म जन्म के बंधन से मुक्त करता है।
कालसर्प दोष का भी करता है निवारण-
व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होने का मतलब व्यक्ति को जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। वैशाख अमावस्या व्रत मनुष्य की इस समस्या का भी निवारण करता है।
कर्ज से भी दिलाता है निजात-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैशाख अमावस्या व्रत विधि के नियमों का अगर ठीक तरह से पालन किया जाए। तो यह व्यक्ति के ऊपर से सारा कर्ज उतारने में भी सहायक बनता है।
ग्रह दोष का भी करता है निवारण-
व्यक्ति की कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह होते है जो उसके जीवन में आने वाली सफलता के रास्ते को रोकते है। ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि वैशाख अमावस्या का व्रत करने से जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है।
धन में होती है वृद्धि-
कई धर्म शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि वैशाख अमावस्या का व्रत करने से व्यक्ति की तिजोरी में जमा धन चार गुणा बढ़ जाता है। जो उसके लिए समाज में प्रतिष्ठा का कारण बनता है।
वैशाख अमावस्या पर क्या करें और क्या न करे-
हर व्रत की यह खासियत होती है कि वह अपने साथ व्रत के दिन क्या करे और क्या न करे। जैसे ऑप्शन लेकर आता है। जिसके बारें में नीचे बताया गया है।
वैशाख अमावस्या पर क्या करें-
- इस दिन शुभ मुहूर्त में उठे और स्नान करें।
- भगवान की आराधना करें और व्रत का संकल्प ले।
- वैशाख अमावस्या 2023 व्रत की सही तिथि और शुभ मुहूर्त का पता करें।
- शनि मंत्र का जाप करें।
- धार्मिक स्थलों का भ्रमण करें।
- इस दिन सकारात्मक बातें सोचे।
- सात्विक आहार का सेवन करें।
- वैशाख अमावस्या के दिन पिंडदान करने का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन पिण्डदान जरुर करे।
वैशाख अमावस्या पर क्या न करें-
- इस दिन किसी भी नशीली पदार्थ का सेवन करना वर्जित बताया गया है। इसलिए यह काम तो सबसे पहले छोड़े।
- इस दिन मांस-मछली का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
- अपनी सोच को शुद्ध रखें और दूसरों की बुराई करने से बचें।
- घर के छोटे, बड़े या फिर कोई अनजान शख्स ही क्यो न हो। उनको कड़वे वचन बोलने से बचे।
- घर के बड़ो, ब्राह्मण और अतिथि का अपमान न करे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. क्यों माना जाता है वैशाख महीने को इतना शुभ?
2. वैशाख कौन से महीने से शुरू होता है?
3. वैशाख अमावस्या पर क्या न करें?
4. इस महीने में क्या क्या दान करना चाहिए?
5. बाथरूम में नमक रखने से क्या होता है?
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क्या आपकी कुंडली में भी है पितृ दोष। इसे दूर करने के चमत्कारी उपाय जानने के लिए आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।