महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में सात काण्ड हैं – बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, युद्ध कांड और उत्तरकांड। रामायण के प्रत्येक अध्याय या कांड के मुख्य पात्र भगवान श्री राम हैं। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण को संस्कृत भाषा में एक कविता के रूप में लिखा था। बाद में गोस्वामी तुलसीदास ने इसे अवधि भाषा में अनुवादित करके रामचरितमानस की रचना की। शास्त्रों और पुराणों में रामायण पढ़ने के लाभ बताए गए हैं। आइये जानते हैं सुंदरकांड पाठ के लाभ।
जानें सुंदरकांड क्या है ?
रामायण का पांचवा कांड सुन्दरकाण्ड मुख्य रूप से प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी पर आधारित है। इसका मूल अर्थ है – सौन्दर्य की पुस्तक। सुन्दरकाण्ड में रहस्योद्घाटन है और पूरी रामायण की सभ्यता इसमें दर्शायी गई है। इसमें भगवान राम और दैत्य रावण के बीच का संघर्ष भी दर्शाया गया है।
जानें पौराणिक कथाओं में सुन्दरकाण्ड का महत्व
सुन्दरकाण्ड में अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे भगवान हनुमान ने समुद्र पार कर के कठिन यात्रा की और लंका में माता सीता को खोजने के लिए कठिनाइयों का सामना किया। यह कांड हनुमान जी की बुद्धिमत्ता और शक्ति पर भी प्रकाश डालता है।
जानें सुंदरकांड पाठ के लाभ
सुन्दरकाण्ड का पाठ करने के अनेक फायदे हैं। आइये इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं सुंदरकांड के लाभ :
- इसमें व्यक्ति को गलत राह पर जाने से रोकने की शक्ति होती है।
- जीवन में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। तथा जीवन की सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
- इसमें भगवान राम की रावन के ऊपर जीत का उल्लेख है इसलिए इसका पाठ करने से शत्रुओं से लड़ने की प्रेरणा मिलती है।
- इसका पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। और काम करने की उर्जा भी प्राप्त होती है।
- मान्यता है कि सुन्दरकाण्ड पढ़ने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विशेष फल की प्राप्ति के लिए सुन्दरकाण्ड पाठ
सुंदरकांड पाठ की समय अवधि – यदि 40 सप्ताह तक पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाये, तो साधक की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसका पालन करने से व्यक्तिगत और व्यावसायिक, दोनों जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही, जीवन का तनाव दूर होता है और साधक को काम करने की प्रेरणा मिलती है। अतः नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करें।
ज्योतिष शास्त्र में सुन्दरकाण्ड का महत्व
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुन्दरकाण्ड का नियमित रूप से पाठ करने से अशुभ ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है।
- यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह कमज़ोर स्थिति में है, तो उसे सुन्दरकाण्ड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- बुरी नज़र, नकारात्मक उर्जा और बुरी शक्तियों से बचने के लिए हनुमान जी की उपासना और सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए।
- इससे सेहत भी अच्छी बनी रहती है और साधक हर प्रकार के रोगों से दूर रहता है। शुभ फल की प्राप्ति के लिए रोज़ सुंदरकांड का पाठ करें।
सुन्दरकाण्ड का पाठ करने का उपयुक्त समय
मंदिरों में अक्सर सामूहिक रूप से सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। संगीत और भजन-कीर्तन के साथ किया गया सुन्दरकाण्ड का पाठ सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रातः काल 5 बजे अथवा संध्या काल में 7 बजे के बाद का समय सुन्दरकाण्ड के लिए उपयुक्त है।
मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना के लिए जाना जाता है। इसलिए ये दोनों दिन सुन्दरकाण्ड पाठ करने के लिए उचित हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर भी सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जा सकता है।
सुन्दरकाण्ड का पूरा अध्याय एक ही बार में पढ़ना चाहिए। पाठ अधूरा छोड़कर बीच में कहीं जाएँ नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. सुंदरकांड क्या है ?
2. सुंदरकांड पाठ के लाभ क्या हैं ?
3. सुंदरकांड पाठ की समय अवधि क्या होनी चाहिए ?
4. सुन्दरकाण्ड का ज्योतिष विद्या से क्या संबंध है ?
5. सुन्दरकाण्ड का पाठ पढ़ने का सही समय क्या है ?
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