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Somvati Amavasya 2023: बहुत खास है इस साल की सोमवती अमावस्या

By February 25, 2023August 31st, 2024No Comments

सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। फाल्गून माह की कृष्ण पक्ष की तिथि में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्मशास्त्रों में बहुत महत्व है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो सोमवती अमावस्या पूरे साल में एक या दो बार आती है। सोमवती अमावस्या भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है की इस दिन जो भक्तजन भगवान शंकर से जो कुछ मांगते है। भगवान भोलेनाथ उनको वो सब कुछ देते है। स्वभाव से भोले होने के कारण भगवान शंकर किसी व्यक्ति की दिखावे की पूजा को भी स्वीकार कर लेते है और उसे मनचाहा फल देते है।

सोमवती अमावस्या का हिंदू संस्कृति में क्या है महत्व। जानने के लिए जरुर पढ़े यह लेख:

हिंदू समाज में सोमवती अमावस्या का क्या है महत्व?, सोमवती अमावस्या अनुष्ठान में किन किन सामग्रियों का होता है उपयोग?, कब है सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त?, अगर आपके मन में भी ऐसे प्रश्न उठते है। तो अब आप इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी के पास जाकर सोमवती अमावस्या के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है। यह एक ऑनलाईन साईट है और आपको यहां सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

सोमवती अमावस्या कब है-

इस साल सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को मनाई जाएगी। सोमवती अमावस्या का प्रारंभ समय 19 फरवरी शाम 04: 18 मिनट से शुरु हो रहा है और 20 फरवरी की दोपहर 12: 35 मिनट पर खत्म हो रहा है।

बहुत अद्भुत है सोमवती अमावस्या की व्रत कथा-

प्राचीन काल में सोमवती अमावस्या से संबंधित कई कहानियां सुनने को मिलती है। इसी व्रत की एक कहानी है जो एक गरीब ब्राह्मण परिवार से जुड़ी है। उस परिवार में एक गरीब ब्राह्मण माता-पिता और उनकी एक पुत्री मिलजुल कर रहते थे। लाख जतन के बावजूद भी ब्राह्मण की पुत्री का विवाह नहीं हो रहा था। तभी एक साधु ने उस कन्या को सोना धोबिन की सेवा करने के लिए कहा। कन्या ने ठीक वैसा ही किया। कन्या की सेवा से सोना धोबिन बहुत प्रसन्न हुई और उसकी मांग में अपनी मांग का सिंदूर लगा दिया। सिंदूर के कन्या की मांग में लगते ही सोना धोबिन के पति का देहांत हो गया।

सोना धोबिन किसी को बिना कुछ कहे घर से चली गई और रास्ते में जो पीपल का पेड़ मिला। उस पेड़ को जल अर्पित किया और पेड़ की परिक्रमा की। सोना धोबिन के ऐसा करते ही उसके पति के शरीर में जान आ गई और वह पुनर्जीवित हो गया। हिंदू मान्यताओं के अनुसार वह दिन सोमवार का दिन था। इसलिए सोना धोबिन द्वारा पीपल के पेड़ पर की गई पूजा, विधि को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाने लगा। जिसे लोग सोमवती अमावस्या व्रत के रुप में पूजते है।

क्या है सोमवती अमावस्या का महत्व-

ऊपर चर्चित कथा के माध्यम से ही पता चलता है कि सोमवती अमावस्या का महत्व क्या है। सोमवती अमावस्या के महत्व के निम्नलिखित कारणों की चर्चा नीचे की गई है:

कालसर्प दोष से दिलाती है छुटकारा-

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष की समस्या है उन लोगों को सोमवती अमावस्या का व्रत जरुर करना चाहिए। सोमवती अमावस्या भगवान भोलेनाथ का त्योहार माना जाता है। भगवान भोलेनाथ को सांपों का राजा भी कहा जाता है। इसलिए जो व्यक्ति सोमवती अमावस्या का व्रत करता है। भगवान शंकर उसकी कुंडली से कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने में मदद करते है।

पितृ दोष का करती है निवारण-

वैसे तो प्रत्येक अमावस्या के दिन पितृ दोष का उपाय करना चाहिए। लेकिन सोमवती अमावस्या के दिन पितृ दोष की शांति के लिए पितरों के लिए अलग से एक थाली में खीर और रोटी रखनी चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह आपके किसी कार्य में कोई बाधा नहीं डालते।

करियर के लिए होती है शुभ-

अगर आपको अपनी मेहनत के अनुकूल परिणाम नहीं मिल पा रहा है तो सोमवती अमावस्या का व्रत जरुर करे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत करने से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जागता है और उसे हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।

सुहागिनों के लिए है बेहद लाभकारी-

हिंदू मान्यताओं में सोमवती अमावस्या का व्रत सुहागिनों के लिए बहुत लाभकारी बताया गया है। इस दिन जो सुहागन औरतें सोमवती अमावस्या का व्रत करती है उनके पति को दीर्घायु प्राप्त होती है। सुहागन औरतों के लिए यह व्रत करवाचौथ के समान होता है।

धन लाभ का देती है वरदान-

अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। चाहकर भी वह अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहा तो सोमवती अमावस्या का व्रत उसे इन सब कारणों से राहत दिला सकता है। ज्योतिषियों का भी यहीं मानना है कि सोमवती अमावस्या का व्रत व्यक्ति को आर्थिक परेशानी के साथ साथ उसे अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाता है।

सोमवती अमावस्या के दिन क्या करें और क्या न करें-

इस साल का सोमवती अमावस्या कई जातकों के लिए एक खास योग लेकर आ रहा है। नीचे कुछ ऐसे कारणों का वर्णन किया जा रहा है जिन्हें करने से जातक को अचूक लाभों की प्राप्ति होती है:

सोमवती अमावस्या के दिन क्या करें-

ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान करे और सूर्य देव को जल अर्पित करे।

भगवान शिव और देवी पार्वती की अराधना करे और व्रत का सकल्प लें।

पूरे विधि विधान से व्रत के नियमों का पालन करे।

बड़ो को प्रणाम करे और उनका आशीर्वाद लें।

आपके उपयोग में नहीं आने वाली चीजों का गरीबों में दान करें।

पीपल के पेड़ पे मौली का धागा बांधकर पीपल के पेड़ की परिक्रमा करे।

सोमवती व्रत कथा अवश्य सुने।

सोमवती अमावस्या के दिन क्या न करें-

किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य न करें।

अपनो से छाटे और बड़ो का अपमान न करे।

साधु- संतों का निरादार करने से बचे।

मांसाहार का सेवन करने से बचे।

अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे। किसी को भी कटू वचन बोलने से बचे।

सोमवती अमावस्या अनुष्ठान और पूजा विधि-

किसी भी व्रत में उस व्रत में किए गए अनुष्ठान का बहुत महत्व होता है। जो जातक के लिए शुभ या अशुभ फल लेकर आता है। ज्योतिषियों का सुझाव है कि सोमवती अमावस्या अनुष्ठान में जातक को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:

पवित्र स्थानों के दर्शन व्यक्ति को जरुर करने चाहिए।

किसी पवित्र नदी में या घर पर रखे गंगाजल से स्नान करें।

108 बार सोमवती अमावस्या का मंत्र जाप भी जरुर करे।

तुलसी के पौधे की परिक्रमा करे।

गाय को रोटी खिलाएं और अपने ग्रह दोष के बूरे प्रभाव से मुक्ति पाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. 2023 में सोमवती अमावस्या कब है?

सोमवती अमावस्या 2023, 20 फरवरी को पड़ रही है।

2. सोमवती अमावस्या के निम्नलिखित उपायों में कौन सा उपाय सबसे खास माना जाता है?

पीपल के पेड़ पर जल और दूध चढ़ाना सोमवती अमावस्या के अनेक उपायों में से एक खास उपाय है।

3. अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले बच्चे शुभ होते है या अशुभ?

अमावस्या को जन्म लेने वाले बच्चे अशुभ होते है। क्योंकि अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही घर में होते है। जो जातक की कुंडली में अशुभ योग बनाते है।

4. कार्तिक अमावस्या कब है?

इस साल कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर को मनाई जाएगी।

और पढ़े:  नारद मुनि जयंती 2022: हिन्दू धर्म में इस जयंती का महत्व क्या है?

इस साल की सोमवती अमावस्या का किस राशि पर कैसा रहेगा प्रभाव। जानने के लिए आज ही बात करे इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से।

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