प्रत्येक माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। स्कंद षष्ठी का उतस्व हिंदू धर्म में बड़ी रौनक शौनक के साथ मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय के जन्मोत्सव के रुप में स्कंद षष्ठी व्रत का अपना एक अलग ही महत्व है। मान्यता है कि इस दिन जो मनुष्य स्कंद षष्ठी का व्रत रखते है। उनके ऊपर भगवान कार्तिकेय के साथ साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा दृष्टि भी पड़ती है और उस व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व और इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।
अगर आप भी जानना चाहते है स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा तो जुड़ जाइए हमारे साथ-हममे से अधिकतर लोगों को स्कंद षष्ठी व्रत के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होती या तो कुछ लोगों ने इस व्रत का नाम ही पहली बार सुना होगा? अगर आप भी जानना चाहते है स्कंद षष्ठी व्रत का क्या है आपके जीवन में महत्व? तो आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से परामर्श करे। इसके साथ ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों से स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि, तिथि और महत्व के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
2023 में जानिए कब है स्कंद षष्ठी व्रत तिथि-
हिंदू पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत साल के हर महीने में आता है। जनवरी में यह व्रत माघ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है। तो वहीं फरवरी में फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष तिथि को लोगों द्वारा स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस साल फरवरी माह में स्कंद षष्ठी का व्रत शनिवार 25 तारीख को पड़ रहा है। स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त 25 फरवरी को 12: 31 मिनट पर शूरु हो रहा है और 26 फरवरी को 12: 20 मिनट पर समाप्त हो रहा है।
जानिए स्कंद षष्ठी व्रत कथा के बारे में-
पौराणिक कहानियों के अनुसार स्कंद षष्ठी व्रत कथा भगवान कार्तिकेय से जुड़ी हुई है। यह उस वक्त की बात है जब देवी सती ने अपने पत्नी धर्म की रक्षा करने के लिए यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दी थी। जिससे भगवान शिव फिर से वैराग्य जीवन में चले गए। यह खबर तारकासुर के कानो में पड़ते ही उसने देवताओं का जीना मुश्किल कर दिया। इस समस्या का हल पाने के लिए सभी देवता गण भगवान ब्रह्मा के पास गए और उनसे तारकासुर के वध का उपाय पूछा। भगवान ब्रह्मा ने तारकासुर के वध का उपाय भगवान शिव के पुत्र के हाथों से बताया।
यह सब सुनकर सभी देवता गण भगवान शिव के पास गए और उनसे देवी सती के रुप में दुबारा जन्मी पार्वती से विवाह करने का आग्रह किया। भगवान शिव ने देवताओं की बात मान ली और देवी पार्वती की एक परीक्षा ली। अत: देवी पार्वती उस परीक्षा में सफल हुई और इस तरह भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। विवाह के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का एक पुत्र हुआ जिसे कार्तिकेय के नाम से जाना गया। उसी कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया और सभी देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया।
जानिए क्या होता है स्कंद षष्ठी विरथम-
हिंदू संस्कृति में किसी विशेष त्योहार के दिन भगवान से अपनी मनौती इच्छा की पूर्ति कराने के लिए उस अवसर पर व्रत करने का चलन सदियों पुराना है। तमिल क्षेत्र में व्रत को विरथम कहा जाता है। स्कंद षष्ठी विरथम में मुख्य रुप से भगवान कार्तिकेय की पूजा होती है। तमिल हिंदुओं द्वारा स्कंद षष्ठी विरथम को भगवान कार्तिकेय के जन्मोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। दक्षिण भारत का यह एक प्रमुख त्योहार है जिसमे भगवान कार्तिकेय की पूजा मुरुगन, शनमुख और सुब्रह्मण्यम के रुप में होती है।
मासिक षष्ठी विरथम 2023-
स्कंद षष्ठी विरथम महिने में 2 बार मनाई जाती है। पहला शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को और दूसरा कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को। चंद्र कैलेंडर के अनुसार मासिक षष्ठी विरथम 2023 के शुभ मुहूर्त की जानकारी नीचे दी गई है:
जनवरी माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत का प्रारंभ हो रहा है और सुबह 09 बजकर 10 मिनट पर 27 जनवरी को समाप्त हो रहा है।
फरवरी माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
25 फरवरी 2023 को सुबह 12 बजकर 31 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत का प्रारंभ हो रहा है और सुबह 12 बजकर 20 मिनट पर 26 फरवरी को समाप्त हो रहा है।
मार्च माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
26 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और शाम 05 बजकर 27 मिनट पर 27 मार्च को समाप्त हो रहा है।
अप्रैल माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
25 अप्रैल 2023 को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत का प्रारंभ हो रहा है और सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर 26 अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
मई माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
25 मई 2023 को सुबह 03 बजे स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और सुबह 05 बजकर 19 मिनट पर 26 मई को समाप्त हो रहा है।
जून माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
24 जून 2023 को शाम 07 बजकर 53 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और रात्रि 10 बजकर 17 मिनट पर 24 जून को समाप्त हो रहा है।
जुलाई माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
23 जुलाई 2023 को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
अगस्त माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
22 अगस्त 2023 को सुबह 02 बजे से स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और सुबह 03 बजकर 05 मिनट पर 23 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
सितम्बर माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
20 सितम्बर 2023 दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और 02 बजकर 14 मिनट पर 21 सितम्बर को समाप्त हो रहा है।
अक्टूबर माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
20 अक्टूबर 2023 को सुबह 12 बजकर 31 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर 20 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है।
नवम्बर माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
18 नवम्बर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और सुबह 07 बजकर 23 मिनट पर 19 नवम्बर को समाप्त हो रहा है।
दिसम्बर माह में स्कंद षष्ठी व्रत-
17 दिसम्बर 2023 को शाम 5 बजकर 33 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत प्रारंभ हो रहा है और दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर 18 दिसम्बर को समाप्त हो रहा है।
भगवान मुरुगन को समर्पित है स्कंद षष्ठी कवचम-
स्कंद षष्ठी कवचम में भगवान मुरुगम की महिमा का वर्णन किया गया है। इस कवच के माध्यम से भगवान मुरुगम के रुप में भगवान स्कंद की ही पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य स्कंद षष्ठी कवचम से सच्चे दिल से जो कुछ मांगते है उसकी हर इच्छा पूरी होती है। स्कंद पुराण में स्कंद षष्ठी कवजम के लाभ के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है। स्कंद षष्ठी कवचम के लाभ नीचे निम्नलिखित है:
- यह अपने भक्तों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है जो अपने भक्तों को हर मुसीबत से बचाता है।
- स्कंद षष्ठी कवच मंत्र का जाप करने से जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय गुजरता है।
- इस कवच की नियमित रुप से पूजा करने से मनुष्य की संतान प्राप्ति की इच्छा जल्द ही पूरी होती है।
- यह कवच अपने भक्तों के लिए धन, धान्य और समृद्धि लाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. स्कंद षष्ठी का व्रत किस उद्देश्य से रखा जाता है?
2. क्या स्कंद षष्ठी का व्रत हर महीने आता है?
3. हमारे धर्मशास्त्र में कुल कितने प्रकार के पुराणों का वर्णन किया गया है?
4. भारत का सबसे बड़ा वेद कौन सा है?
5. कब हुई थी स्कंद पुराण की रचना?
6. स्कंद षष्ठी में किस भगवान की पूजा होती है?
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