
श्री राम और हनुमान जी का रिश्ता-
हनुमान जी श्री राम के परम भक्त कहे जाते हैं। हनुमान जी के जीवन में श्री राम का अत्यधिक महत्व था। जिस प्रकार मधुमक्खी मीठे व्यंजनों के साथ रहती है। उसी प्रकार हनुमान जी राम के साथ हमेशा रहते थे। हनुमान जी होते हुए। श्री राम जी का बाल भी बाक़ा कोई नहीं कर सकता था। श्री राम के साथ उनके दुख सुख में हनुमान जी उपस्थित थे।
आज हम आपको बताएँगे। श्री राम की मृत्यु का सच। श्री राम ने अपनी मृत्यु के समय हनुमान जी को क्यों दिया धोखा।
श्री राम को अपनी मृत्यु के समय हनुमान को धोखा देने का रहस्य-
राम का मृत्यु समय निकट आ गया था। क्योंकि जिसका जन्म हुआ है। उसकी मृत्यु होना निश्चित है। एक दिन राम को आभास हुआ। मृत्यु के देवता यम आने वाले हैं। यम आने से डरते थे। क्योंकि श्री राम की रक्षा हनुमान जी करते थे। इसी वजह से हनुमान जी का भय यम को सता रहा था।
श्री राम हनुमान को दिया धोखा-
हनुमान के रहते हुए यम का राम जी के पास आना नामुमकिन था। इसलिए राम ने अपनी अंगूठी एक दरार में फेंक दी। हनुमान जी से अंगूठी लाने को कहा। तब हनुमान ने उस दरार के सामान अपने आप को कर लिया। दरार के अंदर चले गए। दरार के अंदर जाने पर हनुमान को पता चला। वह एक सुरंग का रास्ता है। जो नाग लोक तक जाता था। इसे वासुकी लोक भी कहा जाता था। क्योंकि इस लोक के राजा वासुकी थे। वासुकी ने बताया हनुमान को अंगूठी का रास्ता।
हनुमान जी हुए आश्चर्यचकित-
वासुकी हनुमान जी को अंगूठी के ढेर के पास ले गए। वासुकी ने कहा हनुमान यहाँ आपको राम की अंगूठी अवश्य मिल जाएगी। हनुमान सोचने लगे। इतनी सारी अंगूठी में प्रभु राम की अंगूठी को कैसे खोजा जाए। हनुमान ने अंगूठी के ढेर से एक अंगूठी उठाया। वह अंगूठी श्री राम की थी। हनुमान जी खुश हुए। इसके पश्चात हनुमान ने दूसरी अंगूठी उठाई। वह अंगूठी भी श्री राम की थी। यह देखकर हनुमान जी आश्चर्यचकित हो गए। वह सोचने लगे। यदि दोनों अंगूठी श्री राम की हैं। वह समझ गए कि श्री राम जी उन्हें धोखा दिया है। यह कथा थी। राम ने अपनी मृत्यु के समय हनुमान को कैसे धोखा दिया था।
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