
वर्ष 2022 में हिंदू पंचांग के अनुसार 09 दिसंबर से पौष माह की शुरुआत हो रही है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी वर्ष की अंतिम एकादशी होती है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन सच्ची श्रद्धा से व्रत कर, भगवान विष्णु की उपासना करने से मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
सफला एकादशी 2022 कब है ?
सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, दिन सोमवार को है। इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष के अनुसार एकादशी तिथि 19 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 32 मिनट पर आरम्भ होगी और 20 दिसंबर 2022 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा। इस प्रकार सफला एकादशी 2022 19 दिसंबर को है।
जानें सफला एकादशी की कथा
पद्म पुराण के अनुसार सफला एकादशी व्रत कथा इस प्रकार है –
महिष्मान नाम का एक राजा था। जिसका ज्येष्ठ पुत्र लुम्पेक अत्यंत ही पापी और क्रूर था। पुत्र से नाराज होकर राजा ने उसे देश से बाहर निकाल दिया था। लुम्पेक जंगल में रहने चला गया। एक बार पौष माह में कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि की ठंडी रात में वह सो ना सका। सुबह होते होते वह ठंड से बेहोश हो गया। बहुत समय गुजर जाने के बाद जब वह होश में आया तो खाने के लिए जंगल से फल इकट्ठा करने लगा। संध्या काल में सूर्यास्त के बाद वह अपनी किस्मत को कोसते हुए भगवान का स्मरण करने लगा। एकादशी तिथि की रात को भी लम्पक अपने दुःखों पर विचार करते हुए सो नहीं पाया। इस प्रकार अनजाने में ही लुम्पक ने सफला एकादशी का व्रत पूर्ण कर लिया। इस व्रत के परिणामस्वरूप लुम्पक के सारे पाप धुल गए। उसके पिता ने प्रसन्न होकर अपना सारा राज्य उसे सौंप दिया। लम्पक ने कई वर्षों तक धर्म पूर्वक शासन किया और मृत्यु के बाद उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।
तभी से सफला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने की मान्यता है।
सफला एकादशी व्रत नियम
- एकादशी का व्रत करने के लिए दशमी तिथि से ही नियमों का पालन करना चाहिए। दशमी तिथि की संध्या से अन्न का त्याग कर दें। केवल फलाहार ग्रहण करें। रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को पवित्र करें। सभी प्रकार के मोह, भोग-विलास से दूर रहें।
- प्याज़ -लहसुन युक्त भोजन, मांस-मछली, मदिरा आदि से परहेज़ करें।
- एकादशी के दिन पूरी निष्ठा से व्रत रखें। इस दिन अन्न का सेवन ना करें, खासकर चावल का तो बिलकुल भी नहीं। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
- यदि संभव हो तो निर्जला उपवास करें।
- जो व्यक्ति व्रत करने में असमर्थ हो, वह पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करे। इससे भी फल की प्राप्ति होती है।
- एकादशी तिथि पर रात्रि को जागरण करना चाहिए। सारी रात भगवान विष्णु का सुमिरन करें और भजन-कीर्तन में मन लगायें।
जानें सफला एकादशी पूजा विधि
एकादशी तिथि के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। भगवान विष्णु को प्रणाम करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल में श्री हरि विष्णु भगवान की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान की प्रतिमा को कुमकुम, अक्षत, फूल, सुगंधित इत्र और तुलसी की पत्तियां अर्पित करें। फिर फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सफला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। और फिर धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें। इस प्रकार सफला एकादशी पूजा विधि संपन्न हो जाएगी। इस दिन विशेष फल पाने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और गरीबों को दान-दक्षिणा दें। संध्या के समय दीपदान करके भगवान विष्णु को नमन करें और व्रत खोल लें।
क्या है सफला एकादशी का महत्व ?
- धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत अत्यंत ही फलदायी और कल्याणकारी होता है। इस व्रत को पूरी निष्ठा के साथ करने से मनचाही इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
- मान्यता है कि शुरू किये गए नए काम पूर्ण रूप से सफल हो जाते हैं।
- सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की सच्ची साधना और रात्रि जागरण करने से कई वर्षों की तपस्या का पुण्य मिलता है। साथ ही व्रत रखने वाले साधक के समस्त दुख और दोष समाप्त हो जाते हैं।
- सफला एकादशी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन कराने से अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. सफला एकादशी 2022 कब है ?
2. सफला एकादशी के व्रत नियम क्या हैं ?
3. सफला एकादशी का महत्व क्या है ?
4. सफला एकादशी पूजा विधि क्या है ?
5. क्या है सफला एकादशी की कथा ?
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