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सफल वैवाहिक जीवन के लिए करें शुभ नक्षत्र में विवाह

By March 30, 2023December 6th, 2023No Comments

विवाह एक ऐसा पवित्र बंधन है जो दो लोगों को नए रिश्ते में जोड़ता है। इस रिश्ते का आधार प्यार और विश्वास होता है। लेकिन कई बार इस पवित्र रिश्ते की गांठ इतनी ढीली पड़ जाती है। कि लाख कोशिशों के बावजूद भी लोग अपना रिश्ता नहीं बचा पाते। जिसका अंत सिर्फ एक शब्द तलाक पर आकर रुक जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस रिश्ते के टूटने का कारण अशुभ नक्षत्रों को बताया जाता है। इसलिए ज्योतिषी शुभ नक्षत्रों में विवाह करने की सलाह देते है। हिंदू धर्मशास्त्रों में भी ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों का विवाह शुभ नक्षत्र में संपन्न होता है। उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और बहुत लंबा चलता है।

विवाह के लिए शुभ नक्षत्र कौन कौन से है-

ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन किया गया है। जिनमे से 10 नक्षत्र ऐसे है जो विवाह के लिए अनुकूल नहीं माने जाते। आइए जानते विवाह के लिए शुभ नक्षत्र के बारे में।

रोहिणी नक्षत्र-

वैदिक ज्योतिष में रोहिणी नक्षत्र चौथे स्थान पर आता है। रोहिणी नक्षत्र को करियर, प्रेम, व्यवसाय, विवाह आदि के लिए एक शुभ नक्षत्र माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र वालों की कुंडली में प्रेम के साथ साथ वैवाहिक जीवन भी अनुकूल परिणाम लेकर आता है। रोहिणी नक्षत्र वालों का दांपत्य जीवन खुशी खुशी बीतता है। उन्हें अपने प्रेम और वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता।

Rohini Nakshtra

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र-

वैदिक ज्योतिष का 12 वां नक्षत्र है उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र। रोशनी को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। आदर्श वैवाहिक जोड़े के लिए उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बहुत शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस नक्षत्र में विवाह करने से नवविवाहित दंपत्ति को शिव पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग खुशमिजाज, प्रकृति से प्रेम करने वाले और उदार स्वभाव के होते है।

हस्त नक्षत्र-

ज्योतिष में 13वां स्थान रखने वाला हस्त नक्षत्र मुख्य रूप से आकर्षण से जुड़ा है। जो दो व्यक्तियों के बीच शारीरिक और भावनात्मक लगाव पैदा करता है। इस नक्षत्र की खास बात यह है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोग खासकर पुरुष बहुत शांत और शर्मीले स्वभाव के होते है। जबकि महिलाएं बहुत बातूनी और एक्सप्रेसिव होती है। अत: इन प्रतिकूल कपल का मैच बहुत शुभ माना जाता है। इनका वैवाहिक जीवन सात जन्मों के बंधन के समान होता है। क्योंकि इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा को प्यार, लगाव, अनुशासन आदि का कारक माना जाता है।

स्वाति नक्षत्र-

स्वाति नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में 15वें स्थान पर आता है। स्वाति नक्षत्र में जन्मे युवक युवतियों में परस्पर स्वीकार्यता का भाव होता है। इन लोगों के बीच कम्पेटिबिलिटी की बहुत अच्छी सूझबूझ होती है। इसलिए ऐसे जोड़ो में झगड़े न के बराबर होते है। स्वाति नक्षत्र में जन्मी महिलाएं स्वभाव से शर्मीली, ईमानदार और बहुत सीधी होती है। जबकि पुरुष बहुत वाचाल और किसी भी बात को बेझिझक कहने वाले होते है। भरणी नक्षत्र को स्वाति नक्षत्र का सबसे अच्छा मैच माना जाता है।

 Swati Nakshtra

अनुराधा नक्षत्र-

बात जब प्यार और रिश्ते की आती है और अनुराधा नक्षत्र का जिक्र न हो। ऐसा तो हो ही नहीं सकता। ज्योतिष में 17वें स्थान पर विराजमान होता है अनुराधा नक्षत्र। वैसे तो अनुराधा नक्षत्र का स्वभाव विद्रोही है। लेकिन यह अपने विद्रोह के साथ साथ प्यार, स्नेह और रोमांटिक इच्छाओं का भी खुलकर प्रदर्शन करते है। अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत भावुक और संवेदनशील प्रवृति वाले होते है। अपने रिश्तेदारों से यह अक्सर मूर्ख बन जाते है। लेकिन उनका वैवाहिक जीवन बहुत शांतिमय होता है। यह अपने पार्टनर की भावनाओं को अच्छे से समझते है। साथ ही अपने पार्टनर की भावनाओं और इच्छाओं का आदर भी करते है। अनुराधा नक्षत्र के लिए सर्वोत्तम योग रोहिणी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र माने जाते है।

रेवती नक्षत्र-

नक्षत्रों में अंतिम स्थान पर आने वाला रेवती नक्षत्र दांपत्य जीवन के लिए काफी शुभ नक्षत्र माना जाता है। रेवती नक्षत्र की महिलाएं स्वतंत्र स्वभाव की होती है। यह किसी के दबाव में रहना पसंद नहीं करती। इसलिए इसे शादी करने वाले पुरुष जातक को उनकी आजादी का ख्याल रखना चाहिए। जो वह करते भी है। रेवती नक्षत्र में जिन लोगों का विवाह संपन्न होता है। उसके साथ सात जन्मों का साथ बन जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है।

विवाह के लिए अशुभ नक्षत्र कौन कौन से है-

ज्योतिष शास्त्र में एक तरफ विवाह के लिए जहां शुभ नक्षत्रों की चर्चा की गई है। तो वहीं दूसरी तरफ विवाह के अशुभ नक्षत्रों के बारे में भी बताया गया है। आइए जानते है विवाह के अशुभ नक्षत्रों के बारे में।

पुष्य नक्षत्र-

ज्योतिषियों के अनुसार पुष्य नक्षत्र में कोई भी मांगलिक कार्य करना बहुत अशुभ माना जाता है। वैसे तो पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। लेकिन इस नक्षत्र में विवाह करना वर्जित माना जाता है। क्योंकि कई पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने पुष्य नक्षत्र को श्राप दिया था। इसलिए इस दिन विवाह न करने की सलाह दी जाती है।

 Pushya Nakshtra

अश्लेषा नक्षत्र-

अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में विवाह करना जातक के लिए प्रतिकूल प्रभाव लेकर आता है। वैसे कुछ ज्यादा हानि तो नहीं होती। लेकिन इस नक्षत्र में जन्मी कन्या शादी के बाद ससुराल पक्ष के लिए शुभ नहीं मानी जाती। इसलिए शादी से पूर्व ही इस दोष का निवारण कर लेना चाहिए।

पुनर्वसु नक्षत्र-

नक्षत्रों में 7वें स्थान पर आता है पुनर्वसु नक्षत्र। पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातक गहरी सोच वाले, बुद्धिमान और स्वभाव से विचारशील प्राणी होते है। लेकिन उनकी मैरिड लाइफ बहुत ही अस्त व्यस्त होती है। जिसका कारण इनका अपने पार्टनर को धोखा देना या छिपकर किसी और के साथ अफेयर करना होता है।

मघा नक्षत्र-

वैदिक ज्योतिष में 10वें स्थान पर आता है मघा नक्षत्र। मघा नक्षत्र महत्वाकांक्षा, यश, वैभव, शक्ति आदि गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। वैसे तो इस नक्षत्र मे विवाहित जोड़ी सबके लिए आदर्श स्वरुप होती है। लेकिन अपने अहंकार के कारण इनके रिश्ते में दरार आते देर नहीं लगती। जिस कारण उनका तलाक भी जल्द ही हो जाता है।

Magha Nakshtra

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र-

पूर्वा फाल्गुनी का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक चालाक, साहसी, उदार और विलासी होते है। प्यार और रिश्तों के मामलों में पूर्वा फाल्गुनी के जातक बहुत बदनसीब होते है। उन्हें अपना जीवनसाथी पाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ता है। अगर इन्हें जीवनसाथी मिल भी जाता है। तो इनको अपने जीवन में आगे तलाक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोग कैसे होते है?

भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोग सुख समृद्धि, मान सम्मान और धन धान्य से परिपूर्ण होते है।

2. नक्षत्र किसे कहते है?

धरती के चारों और 27 ज्ञात तारों का समूह है। जो रात के समय आकाश में दिखाई पड़ते है। उन्हें कहते है नक्षत्र ।

3. सबसे भाग्यशाली नक्षत्र कौन सा है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है पुष्य। जिसे सभी नक्षत्रों में सबसे अच्छा नक्षत्र माना जाता है।

4. कितने दिनों का होता है नक्षत्र?

नक्षत्र 27 दिनों का होता है। 27 दिनों का एक नक्षत्र एक मास के समान होता है। जो चंद्रमा से लेकर अश्विनी तक के नक्षत्र में विचरण करता है।

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