
रामायण की रचना-
हिन्दू ग्रंथों में रामायण प्रमुख ग्रंथ है। रामायण का अर्थ होता है। राम जी की जीवन यात्रा। रामायण एक ऐसा ग्रंथ है। जिसमें राम के जीवन की सम्पूर्ण कथा है। इस ग्रंथ में सात अध्याय हैं। जिन्हें काण्ड कहा जाता है।
रामायण में 24000 श्लोक पाए जाते हैं। रामायण में बताया गया है। राम श्री कृष्ण के अवतार थे। श्री राम के 16 गुणों के बारे में रामायण में बताया गया है। श्री राम एक आदर्श पुरुष कहलाये जाते हैं। रामायण की रचना वाल्मीकि ने की थी। पर क्या आप जानते हैं? रामायण की रचना वाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने की थी।
आज हम इस कथा की पूरी जानकारी देंगे।
रामायण की रचना की हनुमान ने-
कहा जाता है रामायण की रचना वाल्मीकि से पहले हनुमान ने की थी। एक बार की बात है। जब श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या में वापस आ गए थे। तब हनुमान जी हिमालय पर शिव जी की तपस्या करने आ गए थे। इस तपस्या के दौरान हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम का नाम जपा करते थे। तभी वह अपने नाखूनों से राम कथा लिखते रहते थे। कुछ समय पश्चात वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी।
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण-
इस रामायण को शिव जी को देने के लिए कैलाश पर्वत जा पहुंचे। वहां पर हनुमान जी द्वारा लिखी रामायण पहले ही मौजूद थी। यह देखकर वाल्मीकि जी आश्चर्यचकित हो गए। तब वाल्मीकि जी ने हनुमान जी से कहा। आपके द्वारा लिखी हुई रामायण के आगे मेरे द्वारा रचित रामायण का कोई मोल नहीं है। हनुमान जी ने सोचा चाहे मेरे द्वारा रामायण हो या वाल्मीकि जी की। सब में मेरे प्रभु श्री राम की महिमा को बताया गया है। तब हनुमान जी ने अपनी रामायण को समुद्र में विसर्जित कर दिया था।
यह कथा थी हनुमान द्वारा रचित रामायण की।
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