प्रेम विवाह योग-
जातक की कुंडली से प्रेम विवाह के योग का पता लगाया जा सकता है। जन्म कुंडली में कभी कभी ऐसे योग होते हैं। जो प्रेम विवाह के योग कहलाते हैं। कई लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं। परंतु कभी कभी प्रेम विवाह करने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जिसके कारण प्रेम विवाह नहीं हो पाता है। क्योंकि जातक की कुंडली में विवाह के कारक नहीं बनते हैं। तभी प्रेम विवाह में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। जातक की जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के विपरीत परिस्थितियां बनती है।
आज हम जानेंगे प्रेम विवाह के योग कब बनते हैं?
प्रेम विवाह के योग-
राहु का योग-
- जब जातक की कुंडली में सातवें भाव पर गुरु की नजर हो और राहु लग्न भाव में उपस्थित हो।
- तब प्रेम विवाह का योग बनता है।
- प्रेम विवाह का योग तब बनता है। जब मंगल राहु से या शनि से एक साथ मिल रहा हो।
- जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश पर राहु,शुक्र या शनि की दृष्टि विराजमान हो तब प्रेम विवाह का योग बनता है।
- जन्म कुंडली में जब पंचम स्थान पर राहु और केतु दोनों स्थित हो। तब प्रेम विवाह संभव होता है।
प्रेम विवाह कब होता है?
किसी व्यक्ति के प्रेम विवाह उसकी कुंडली के सप्तम भाव से संबंधित होता है। जब सप्तमेश तृतीय,पंचम,नवम, एकादश और बारहवें के साथ मिलता है। तब कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनता है। तब व्यक्ति का प्रेम विवाह होता है। प्रेम विवाह के लिए भावों के साथ केंद्र संबंधों का होना अति आवश्यक होता है।
यदि आपकी जन्म कुंडली का सप्तमेश कुंडली के पंचम भाव के साथ तृतीय,पंचम, सप्तम,एकादश और बारहवें भाव के साथ उपस्थित होता है। तब व्यक्ति का प्रेम विवाह निश्चित हो जाता है। माना जाता है पंचम का संबंध मित्रों और प्रेम से होता है। सप्तमेश का रिश्ता विवाह से होता है। जब सप्तमेश और पंचम दोनों एक साथ मिलते हैं। तब प्रेम विवाह का योग बनता है।
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प्रेम विवाह के अन्य योग-
- कुंडली के सप्तम भाव में राहु और केतु स्थित हो।
- पंचमेश का शुक्र और चंद्र से संबंध स्थापित हो।
- जन्म कुंडली में पांचवा,सातवां और एकादश भाव का संबंध हो।
- सप्तम भाव में शनि और केतु मिल रहे हो।
- जब शनि अशुभ भाव का स्वामी हो और मंगल के साथ संबंध स्थापित करे।
प्रेम विवाह में असफल होने के योग-
- कभी- कभी पुरुष और महिला एक दूसरे से प्रेम करते हैं और विवाह भी करना चाहते हैं। परन्तु प्रेम विवाह करने में असफल रहते हैं। प्रेम विवाह करने में कई तरह की परेशानियां आती है।
- अगर जन्म कुंडली में सप्तमेश सही स्थान पर ना हो या उसकी दशा ख़राब हो तो प्रेम विवाह में कठिनाई आती हैं।
- यदि किसी की कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश दोनों की स्थिति खराब हो तो प्रेम में धोखा प्राप्त होता है।
- ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र, सप्तमेश में जाकर दुर्बल हो जाए। ऐसे जातक का प्रेम सफल नहीं रहता है।
- अगर आपकी कुंडली का पंचमेश और सप्तमेश दोनों आठवें और नौवें भाव में हो तो प्रेम संबंध टूट जाता है।
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