
परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। प्रत्येक महीने दो एकादशी पड़ती हैं। माना जाता है एकादशी के दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से अत्यधिक लाभ होता है। भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। तो वह भक्तों पर अपनी कृपा बना कर रखते हैं। इस दिन विष्णु जी के वामन अवतार की पूजा की जाती है।
परिवर्तिनी एकादशी क्या है?
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए शयनकाल में चले जाते हैं। यह चार माह आषाढ़,सावन,भाद्रपद और अश्विन है। इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों का अलग ही महत्व होता है। इन चार महीनों में भगवान विष्णु सोते रहते हैं। पर एक ऐसा समय आता है। जब भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं। इस दिन को परिवर्तिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। जिसे परिवर्तिनी एकादशी व्रत कहते हैं।
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परिवर्तिनी एकादशी व्रत 2022 तिथि-
यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है। वर्ष 2022 में परिवर्तिनी एकादशी 6 सितंबर दिन मंगलवार को है। परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण का समय 7 सितंबर को सुबह 8 बजकर 19 मिनट से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त-
इस एकादशी का प्रारम्भ 6 सितंबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से आरम्भ होगा। परिवर्तिनी एकादशी व्रत की समाप्ति 7 सितंबर को सुबह 3 बजकर 4 मिनट तक होगी।
परिवर्तिनी एकादशी पर कैसे करें पूजा?
- इस एकादशी के व्रत का संकल्प शुभ मुहूर्त में लेना चाहिए।
- इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें।
- इसके पश्चात भगवान की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर चौकी को सजाएं।
- इस चौकी पर भगवान विष्णु को स्थापित करें।
- इसके बाद पूरे विधि पूर्वक भगवान विष्णु की आरती करें।
- पूजा के दौरान पीले रंग की वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
- भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है।
- पूजा के दौरान पीले वस्त्र पहने।
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु जी मिठाई, फल और पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।
- पूजा में तुलसी के पत्ते और तिल जरूर शामिल करें।
- इस दिन दही,चावल और तांबा से बनी वस्तु का दान करें।
- मान्यता के अनुसार इस दिन पूरे विधि पूर्वक पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
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परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा-
इस दिन विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इसलिए परिवर्तिनी एकादशी के दिन वामन अवतार की कथा हम आपको बताएँगे। जब राजा बलि ने तीनों लोकों को अपने अधीन कर लिया था। तब विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि की परीक्षा ली थी। बलि तीनों लोकों पर अधिकार कर करके अत्यधिक अहंकारी हो गया था। पर उसमें एक गुण दान करने का था। वह किसी को खाली हाथ जाने नहीं देता था।
भगवान विष्णु को राजा बलि ने तीन पग जमीन देने का वचन दे दिया। इसके पश्चात भगवान विष्णु ने दो पग में समस्त लोक को नाप दिया। बलि के पास विष्णु जी के तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा। इसी वजह से राजा बलि ने अपने सिर को तीसरे पग के लिए आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक में जगह दिया और स्वयं भी वही रहने लगे। परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन काल में करवट बदलते हैं। तब राजा बाली विष्णु जी के पास ही रहते हैं।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन नहीं करने चाहिए यह कार्य-
- इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिष के अनुसार सात प्रकार के अनाज का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- जैसे चना,गेहूं,मूंग,उड़द,चावल,जौ और मसूर।
- इस दिन दातुन नहीं करना चाहिए।
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन अल्कोहल का सेवन नहीं करें।
- इस दिन दूसरों के बुराई नहीं करनी चाहिए और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं किया जाता है।
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