
श्री राम जी का जीवन परिचय-
अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्री राम थे। पुराणों में श्री राम के जन्म को लेकर मतभेद है। आखिर कब हुआ था श्री राम का जन्म। प्राचीन कथाओं के अनुसार। राम जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। इसी नवमी को राम नवमी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में राम नवमी को धूमधाम से मनाया जाता है।
भगवान राम सूर्यवंशी थे। भगवान राम का गोत्र विवस्वान है।भगवान राम बचपन से ही शांत स्वभाव के थे। उन्होंने मर्यादाओं को सबसे ऊंचा स्थान दिया। जिसके कारण उनका नाम मर्यादा पुरुषोत्तम राम पड़ा। प्रभु राम एक वीर पुरुष के रूप में जाने जाते हैं।
आइये जानते हैं। कैसे हुआ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म? और भगवान राम के जन्म से जुड़ी अनकही कहानी।
श्री राम के जन्म से जुड़ी अनकही कहानी-
आइये जानते हैं। कैसे हुआ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म? राजा दशरथ को पुत्र प्राप्त नहीं हो रहे थे। राजा दशरथ को गुरु वशिष्ठ ने ऋषि ऋंग से अश्वमेध यज्ञ करने की सलाह दी। दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की लिए ऋषि ऋंग से यज्ञ करवाया। अश्वमेध यज्ञ में महान विद्वान और ऋषि मुनि शामिल हुए।
अश्वमेध यज्ञ प्रारम्भ हुआ। पूरा वातावरण मंत्र और सुगंध से महक रहा था। यज्ञ के दौरान एक तेजस्वी आकृति उत्पन्न हुई। उस आकृति ने देवताओं की तरफ से एक बर्तन दिया। उस बर्तन में खीर थी। राजा दशरथ ने इस खीर को अपनी तीनों रानियों को खिला दिया। खीर ग्रहण करने के परिणामस्वरूप से ही तीनों रानियों ने गर्भधारण कर लिया था।
इसके पश्चात चैत्र माह की रामनवमी को तीनों रानियों ने पुत्र को जन्म दिया। कौशल्या ने रामको जन्म दिया था। कैकेयी ने भरत को जन्म दिया।सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया था। पूरे अयोध्या राज्य में खुशी का माहौल था। चारों बालकों का नामकरण महर्षि वशिष्ठ ने किया था। ऐसे हुआ भगवान श्री राम का जन्म।
राम बचपन से ही वीर और प्रतिभावान थे। राम अपने से बड़ों और गुरु की सेवा में लगे रहते थे। अयोध्या की प्रजा राम को प्रेम करने लगी थी। प्रजा के प्रिय बन गए थे। यह श्री राम के जन्म से जुड़ी अनकही कहानी थी।
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