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पापमोचनी एकादशी 2023: मनुष्य के सभी पापों का नाश करती है पापमोचनी एकादशी

By February 14, 2023August 31st, 2024No Comments
Papmochni Ekadashi

वैसे तो हिंदू धर्म में कई एकादशियों के महत्व का वर्णन किया गया है। इन्हीं एकादशियों में से एक है पापमोचनी एकादशी जो हिंदू धर्म शास्त्रों में अपना एक विशेष स्थान रखती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है पापमोचनी एकादशी मनुष्य के सभी पापों का नाश करती है। ठीक उसी तरह जैसे भारत की पवित्र नदी गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है। वैसे ही पापमोचनी एकादशी मनुष्य को ब्रह्महत्या जैसे बड़े पाप से भी मुक्ति दिलाती है। अगले माह की 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी आ रही है। ज्योतिष शास्त्र में भी पापमोचनी एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए जातक को पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी जाती है।

पापमोचनी एकादशी की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें यह लेख:

जल्द ही पापमोचनी एकादशी आने वाली है। अगर आप के मन में यह सवाल है कि पापमोचनी एकादशी कब है 2023 में? इसके साथ ही आप पापमोचनी एकादशी पूजा, तिथि, व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहते है तो जुडिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी के साथ।

जाने कब है पापमोचनी एकादशी 2023-

हिंदू कैलेंडर के अनुसार पापमोचनी एकादशी 2023 मार्च महीने की 18 तारीख शनिवार को पड़ रही है। पापमोचनी एकादशी 17 मार्च दोपहर 2:56 मिनट पर शुरू हो रही है और 18 मार्च को सुबह 11:13 पर खत्म होगी। जबकि पारण की अवधि 19 मार्च को सुबह के 6:25 से 8:07 तक हैं। यह एकादशी चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की तिथि में मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र में सुझाया गया है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में उठना चाहिए और शुभ कार्य करने चाहिए।

18 March 2023

जानिए पापमोचनी एकादशी व्रत कथा के बारे में :

हिंदू धर्म में कई पौराणिक कथाओं के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है। इन्हीं पौराणिक कथाओं में से एक है पापमोचनी एकादशी व्रत कथा। पौराणिक कथाओं की मान्यता अनुसार पापमोचनी एकादशी स्टोरी उस समय काफी चर्चित थी। लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते जमाने के साथ ऐसी कथाएं हिंदू धर्म ग्रंथों के ही पन्नों में कहीं खो गई है। हिंदू मान्यता अनुसार पापमोचनी एकादशी स्टोरी का संबंध प्राचीन काल से माना जाता है।

ऋषि मेधावी की तपस्या-

हिंदू धर्म शास्त्रों में यह मान्यता है कि प्राचीन काल में एक भव्य, फूलों से सुशोभित, प्रकृति के समीप चित्ररथ नाम का एक मनोहारी वन था। इस वन में मेधावी नाम के एक ऋषि शिव की तपस्या में लीन रहते थे। मेधावी ऋषि के अलावा देवराज इंद्र भी अक्सर चित्ररथ वन में देवताओं और गंधर्व कन्याओं के साथ भ्रमण करने आते थे। एक बार कामदेव की नजर ऋषि मेधावी पे पड़ी। कामदेव ने ऋषि की तपस्या भंग करने की काफी कोशिश की लेकिन ऋषि मेधावी की तपस्या पर कामदेव के षड़यंत्रों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह अपनी तपस्या नियमित रूप से करते रहे। अंत में कामदेव के दिमाग में एक विचार आया और उन्होंने अप्सरा मंजुघोषा को ऋषि मेधावी के पास उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा।

Rishi Muni

कामदेव का षड्यंत्र और ऋषि की तपस्या का भंग होना-

कामदेव अपनी चाल में कामयाब रहे और मंजुघोषा ऋषि की तपस्या भंग करने में सफल रहीं। 57 वर्ष तक ऋषि मेधावी और अप्सरा मंजुघोषा एक अवैध रिश्ते में साथ रहें। धीरे धीरे मंजुघोषा ऋषि मेधावी से ऊब गई। इसलिए मंजुघोषा ने ऋषि मेधावी को छोड़कर देवलोक जाने का निर्णय लिया। मंजुघोषा के निर्णय को सुनकर ऋषि मेधावी अपनी चेतना में वापस आए और उन्होंने मंजूघोषा पर क्रोधित होकर उन्हें सुन्दर स्त्री की जगह हमेशा के लिए पिशाचिनी बनने का श्राप दिया।

पापमोचनी एकादशी व्रत का अस्तित्व में आना-

ऋषि मेधावी के श्राप को सुनकर मंजुघोषा डर गई और ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए मंजूघोषा ने अपने किए की माफी मांगी। मंजूघोषा के बार बार करूणा निवेदन पर ऋषि मेधावी ने मंजूघोषा को माफ कर दिया। ऋषि मेधावी ने श्राप से मुक्ति के उपाय के रूप में मंजूघोषा को पापमोचनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। अनजाने में किए पाप के बोझ तले ऋषि मेधावी अपने पिता च्यवन के आश्रम चले गए और अब से पूरा जीवन वहीं बिताने का निर्णय लिया। च्यवन ऋषि ने पूरी घटना सुनने के बाद अपने पुत्र मेधावी को पापमोचनी एकादशी व्रत करने को कहा। अपने पिता के कहे अनुसार ऋषि मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों के बोझ से आजाद हुए।

उस दिन से पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का प्रारंभ हुआ और धीरे धीरे हर घर में यह व्रत मनाया जाने लगा। इसी कहानी के माध्यम से पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है यह समझा गया है।

Lord Vishnu

क्या मायने रखता है पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व-

ऊपर बताई गई कथा के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व व्यक्ति के सुखी जीवन के लिए काफी मायने रखता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस व्रत के निम्नलिखित महत्व के बारे में बताया गया है

यह व्रत व्यक्ति के बुरे कर्मो का नाशक है और उसे हमेशा सत्कर्म की ओर ले जाता है।
मनुष्य के मन से बुरे विचारों को निकालकर अच्छे विचारों का संचार करता है।
व्यक्ति को बुरी परिस्थितियों में भी धैर्यवान और सकारात्मक बनाएं रखता है।
मनुष्य के पापों का विनाश करता है और व्यक्ति के लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खोलता है।
ज्योतिष के अनुसार यह व्रत व्यक्ति के बुरे ग्रह के प्रभाव को कम करता है और शुभ परिणाम देता है।
यह व्रत व्यक्ति के लिए सफलता का मार्ग खोलता है। उसे अपने करियर में सफलता हासिल होती है। चाहे नौकरी सरकारी हो या प्राइवेट।
पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को इस व्रत के प्रसाद स्वरूप पूजा का फल, फ्रूट ऑफ वरशिप मिलता है।

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि-

  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जिसमें भगवान विष्णु का चतुर्भुज रूप प्रमुख है।
  • पापमोचनी एकादशी व्रत में बनने वाला सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  • भगवान की पूजा करते समय अपने मन में कोई दूसरा ख्याल न लाएं और भगवान विष्णु का स्मरण करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं।
  • गरीबों में व्रत का प्रसाद दान करें और उनका आशीर्वाद ले।
  • इस दिन शुभ मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान का ध्यान करें।
  • इस व्रत को करने से जातक के सारे पाप धुल जाते है और उसे पूजा का फल, फ्रूट ऑफ वरशिप ईश्वर के आशीर्वाद के रूप में मिलता है।
  • पापमोचनी एकादशी में प्रयोग होने वाली सामग्री से ही ईश्वर की पूजा करें।
  • इस दिन पापमोचनी एकादशी मंत्र का जाप करें।

Lord Vishnu

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. पापमोचनी का अर्थ क्या है?

पापमोचनी दो शब्दों के मेल से बना है। पहला पाप यानी बुरे कार्य और मोचनी यानी की पाप को खत्म करने वाली।

2. विवाहित स्त्रियों के लिए कौन सा व्रत उत्तम माना गया है?

विवाहित स्त्रियों के लिए वट सावित्री का व्रत पुराणों के अनुसार काफी उत्तम बताया गया है।

3. भगवान कृष्ण की पापमोचनी एकादशी में क्या भूमिका है?

ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन का हौसला वापस दिलाने के लिए उन्हें पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी। ताकि अर्जुन को आत्मगलानी न हो और वह कुरुक्षेत्र के युद्ध में बने रहें।

4. 2023 में पापमोचनी एकादशी कब है ?

हर साल पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस साल यह एकादशी 18 मार्च को पड़ रही है।

5. हिंदू धर्म में सबसे बड़ी एकादशी का दर्जा किस एकादशी को प्राप्त है?

निर्जला एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है जो ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को पड़ती है।

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