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मंत्र जाप के फायदे और इसका महत्व

By October 21, 2022December 1st, 2023No Comments
मंत्र जाप का महत्व और फायदे

मंत्रयोग या जाप योग के चमत्कार के संबंध में शास्त्रों में कई सारे उल्लेख मिलते हैं। वेदों में बताया गया है की विभिन्न-विभिन्न मंत्रों से विशेष प्रकार की शक्ति उत्पन्न होती है। अनेक परीक्षणों से यह भी सिद्ध है की मंत्रो में प्रयोग होने वाले शब्दों में भी ऊर्जा होती है। मंत्र में प्रयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्द है, जिन्हे ‘अल्फ़ा वेव्स ‘ कहते हैं। मंत्र का यह शब्द 8 से 13 चक्र प्रति सैकेंड में होता है और यह ध्वनि तरंग व्यक्ति की एकाग्रता में भी उत्पन्न होती है। इन शब्दो से जो बनता है, उसे मंत्र कहते है। मंत्रो के जाप करने से व्यक्ति के भीतर जो ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है, उसे ही जापयोग या मंत्रयोग कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार अपनी इन्द्रियों को नियंत्रण में रखने का एक मात्र उपाय जाप बताया गया है। किसी भी व्यक्ति का मन इतना चंचल होता है कि भले ही उसका शरीर एक स्थान पर हो परन्तु मन देश- विदेशों की सैर कर आता है। भटकते हुए मन को शांत करने का एक मात्र उपाए निरंतर रूप से मंत्र का जाप करना बताया गया है।

मंत्र जाप के लाभ-

मंत्र जाप करने से मनुष्य अपने आप को न केवल ईश्वर के निकट महसूस करता है बल्कि यह क्रिया आत्म संतुष्टि और आत्मसंयम की दिशा में ले जाने का भी कार्य करती है। मनुष्य अपने कार्य में इतना उलझ जाता है की खुद तक पहुंचने का मार्ग ही भूल जाता है, जाप की क्रिया हमें यह मार्ग तलाशने में सहायता करती है।

हिन्दू धर्म में मंत्र साधना को सभी प्रकार की साधनाओं से ऊपर माना गया है। शास्त्रों के अनुसार मंत्रों के जाप से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथ के अनुसार हर एक मंत्र वह शक्ति प्रदान करते है जो आज काल के मनुष्य समझ नहीं सकते । क्योंकि कलयुग के प्रभाव से लोगों के मन में अधिक से अधिक नकारात्मक सोच का विस्तार हो रहा है, जिसके कारण अधिकांश मनुष्य मंत्र विद्या पर विश्वास नही करते। लेकिन कुछ ऐसे भी मनुष्य है जो मंत्र साधना करके ईश्वर को प्राप्त करना चाहते है। शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि, मनुष्य का कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है।मनुष्य निष्ठा से कर्म कर है तो उसका फल जरूर प्राप्त होता है। जिस प्रकार का मनुष्य कर्म करता है ठीक उसी प्रकार की फल की प्राप्ति भी होती है। वैसे ही मनुष्य,भक्ति के साथ मंत्र का जाप करते है तो उसका फल उन्हें अवश्य प्राप्त होता है। यदि आप विश्वास के साथ चलते -फिरते मंत्रों का जाप करते है तो ईश्वर की कृपा दृष्टि सदैव आप पर बनी रहती है। बस विश्वास के साथ मंत्रो का जाप चलते – फिरते करे आपका जीवन सदैव सुखमयी रहेगा।

मंत्र जाप करने की माला

मंत्र जाप के प्रकार-

मंत्र जाप तीन प्रकार के होते है, वाचिक, उपांशु और मानसिक। हर प्रकार के मंत्र का अपने में एक अनोखा लाभ होते है
वाचिक – जिस मंत्र का जप करते समय दूसरा सुन सके उसको वाचिक जप कहते हैं।
उपांशु – जिस मंत्र को ह्रदय में जपा जाता है, उसे उपांशु जप कहते हैं।
मानसिक – जिस मंत्र को मौन रहकर जपा जाता है, उसे मानसिक जप कहते हैं।

मंत्र

मंत्र में कितनी शक्ति होती है?

मंत्र शब्द में मन का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है। मंत्र में इतनी शक्ति है की इससे अनिष्टकारी बाधाओं को बड़ी ही आसानी से दूर किया जा सकता है। आध्यात्मिक प्रगति, शत्रु नाश, अलौकिक शक्ति पाने, पाप नष्ट करने से लेकर तमाम कार्यो की सिद्धि के लिए मंत्रो का जाप लाभ दायक है। शास्त्रों में मंत्र जाप के कुछ विशेष नियम बताए गए है। उन नीयमों का पालन करने से लाभ प्राप्त होत है ।

Trishul

मंत्र सिद्धि के नियम-

जिस मंत्र की साधना करनी हो, पहले विधिपूर्वक उसे जितना हर रोज जप सके उतना जपे । सवा लाख बार जप पूरा कर मंत्र साधना करें। फिर जिस कार्य को करना चाहते हैं 108 बार या 21 बार जैसा मंत्र में लिखा हो – उतनी बार जप करने से कार्य सिद्ध होता है। मंत्र शुद्ध अवस्था में जपना चाहिए। भोजन भी शुद्ध खाना चाहिए। जिस मंत्र के आगे २ का अंक हो तो उस शब्द का २ बार उच्चारण करना चाहिए। पद्मासन में मंत्र का जप करें। बायां हाथ गोद में रखे एवं दाहिने हाथ से जप करें। अगर मंत्र में बाएं हाथ से जप करना लिखा हो तो दाहिने हाथ को गोद में रख लें।
मंत्र जपने बैठे तो सर्वप्रथम रक्षा मंत्र जप कर अपनी रक्षा करें, ताकि आप के ऊपर कोई विघ्न न आ सके। मंत्र साधना में पहने वाले वस्र सफेद रंग का हो या जिस रंग से मंत्र लिखा हो उस रंग का हो, बिछाने का आसन भी सफेद या किस रंग से मंत्र लिखा हो उस रंग का हो तो उत्तम माना गया है। अपवित्र होते ही स्नान करना चाहिए। मंत्र की सिद्धि कितने दिन करें ब्रह्मचर्य का पालन करे। मंत्र के अक्षरों का शुद्धता से धीरे -धीरे उच्चारण करे। अक्षरों को शुद्ध बोलें। मंत्र हेतु दीपक लिखा हो तो दीपक जलते रहे। धूप लिखा हो तो धूप सामने रखे। जिस ऊँगली अंगूठे से जाप करना लिखा हो उसी से करें। मंत्र साधना जन हितार्थ की जाती है। अपने लोभ , लालच या दूसरों के नुकसान के हेतु नहीं अन्यथा परिणाम विपरीत होता है। अनुभव मंत्र साधक से परामर्श करके ही मंत्र साधक करना चाहिए।

मंत्र जाप करने की माला

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