
हिंदू धर्म में मान्यता है कि सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन पूरे विधि विधान से महादेव की पूजा की जाती है। सोमवार के दिन छोटे से बड़े हर शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
महादेव की विशेष कृपा के लिए सोमवार व्रत
कई लोग सोमवार के दिन व्रत करते हैं और महादेव के साथ माता पार्वती की पूजा करते हैं। मान्यता है कि सोमवार व्रत करने से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार के दिन शिव जी की पूजा करने से मनचाहा वरदान भी प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से सोमवार व्रत विधि और सोमवार व्रत के नियम।
क्या है सोमवार व्रत विधि ?
सोमवार के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। शिव मंदिर में शिवलिंग की पूजा करें और महादेव का दूध, दही, गंगाजल, घी और शहद से अभिषेक करें। शिवलिंग पर सफेद फूल, बेलपत्र, धतूरा और रुद्राक्ष अर्पित करें। ये सभी शंकर भगवान की प्रिय वस्तुएं हैं। शिवलिंग पर सफेद चंदन से त्रिपुंड भी बनाएं। फल अथवा मिठाई का भोग लगाएं। फिर रुद्राक्ष की माला से ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। अंत में धूप-दीप जलाकर महादेव की आरती करें। इस सोमवार व्रत विधि को पूरी श्रद्धा से करने पर महादेव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं।
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महादेव के लिए पूजन सामग्री
गाय का कच्चा दूध, पवित्र जल, फूल, फल, बिल्वपत्र, धतूरा, शमीपत्र, शुद्ध घी, शहद, इत्र, कपूर, धूप, दीप, मौली, जनेऊ, मिठाई, भांग, भस्मी, सफ़ेद / पीला चन्दन।
महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त
महादेव की पूजा का सबसे उत्तम और सही समय काल प्रदोष का समय माना गया है। काल प्रदोष सूर्यास्त के एक घंटे पहले या एक घंटे बाद का समय होता है। इस शुभ मुहूर्त में शिव जी की पूजा-अर्चना करने से महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोमवार व्रत की कथा
किसी नगर में एक धनवान साहूकार रहता था। उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था। पुत्र प्राप्ति के लिए वह सोमवार के दिन व्रत रखता था और शिव मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता था।
उसकी भक्ति देखकर माता पार्वती प्रसन्न हो गईं और उन्होंने भगवान शिव से साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया।
माता पार्वती के कहने पर महादेव ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान दिया परन्तु साथ में यह कहा कि उसके पुत्र की आयु केवल बारह वर्ष होगी।
इसके पश्चात साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ था। जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो पढ़ाई के लिए काशी चला गया। साहूकार के कहने पर पुत्र के मामा भी उसके साथ गये। रास्ते में उन्होंने यज्ञ करवाया और ब्राह्मणों को भोजन कराया।
जब साहूकार का पुत्र बारह वर्ष का हुआ तब शिव जी के कहे अनुसार उसकी मृत्यु हो गई। परंतु माता पार्वती से ये सब देखा नहीं गया। उन्होंने शिव जी से पुनः आग्रह किया कि साहूकार के पुत्र को जीवित कर दो। तब पार्वती जी की बात मानकर और साहूकार की श्रद्धा भक्ति देखकर महादेव ने उसके पुत्र को चिरायु होने का आशीर्वाद दिया।
शिव जी ने कहा – हे भक्त। तेरे सोमवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर मैंने तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है।
इस प्रकार जो भी व्यक्ति सोमवार व्रत करता है या व्रत कथा सुनता है उसके सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
क्या होते हैं सोमवार व्रत के नियम ?
- प्रातः काल स्नान करके साफ व स्वच्छ कपड़े पहने। सूर्य देव को जल अर्पित करें और सोमवार व्रत का संकल्प लें।
- एक साफ कलश में शुद्ध जल और थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद दूध, घी, दही और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- भगवान शिव को चमेली का फूल जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि शिवलिंग पर चमेली के फूल चढ़ाने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- आरती के बाद शिव मंदिर की परिक्रमा करें। परंतु मान्यता के अनुसार परिक्रमा कभी भी पूरी न करें। जहां से शिवलिंग का दूध बहता है, वहीं रुक जाएं और वहां से वापस घूम जाएं।
- सोमवार के व्रत में नमक का सेवन ना करें। केवल फलाहार ही खाएं।
सोलह सोमवार का व्रत
सोलह सोमवार का व्रत मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए या शादीशुदा जीवन को खुशहाल बनाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि 16 सोमवार के व्रत का आरंभ स्वयं माता पार्वती ने किया था। और उनकी भक्ति, कठोर तपस्या और श्रद्धा के कारण उन्हें पति रूप में भगवान शिव प्राप्त हुए थे।
इस व्रत का आरंभ श्रावण मास से करने पर यह और भी फलदायी होता है। कुंवारी कन्याओं को यह व्रत रखना चाहिए। इससे उन्हें गुणी और कुशल वर मिलता है। विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करें, सोलह सोमवार तक प्रत्येक सोमवार पर महादेव का अभिषेक करें और व्रत रखें।
भोलेनाथ की पूजा में ना करें ये गलतियां
- शिवलिंग पर कभी मालती, चंपा, चमेली या केतकी का फूल ना चढ़ाएं। शंकर भगवान की पूजा में शंख उपयोग भी नहीं करना चाहिए।
- महादेव की पूजा करते समय बेलपत्र और शमी पत्र को कभी भी उल्टा नहीं चढ़ाना चाहिए।
- शंकर भगवां को रोली और सिंदूर का तिलक नहीं चढ़ाना चाहिए। महादेव को हमेशा सफेद या पीले चंदन का तिलक ही लगाना चाहिए।
- अभिषेक के दौरान दूध, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल जरूर चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर अंत में जल चढ़ाने से ही जलाभिषेक पूर्ण होता है।
- अभिषेक करने के लिए तांबे के कलश का प्रयोग न करें। तांबे के पात्र में दूध रखने से दूध संक्रमित हो जाता है और चढ़ाने योग्य नहीं रहता। अतः दूध को स्टील के कलश से चढ़ायें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. सोमवार व्रत का महत्व क्या है?
2. क्या है सोमवार व्रत विधि?
3. क्या होते हैं सोमवार व्रत के नियम?
4. भोलेनाथ की पूजा में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
5. शिव जी को प्रसन्न कैसे करें?
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