हम कुंभकरण की नींद के बारे में तो जानते होंगे। क्या आप कुंभकरण की नींद का पूरा रहस्य जानते हैं। आज हम आपको बताएंगे कुंभकरण की नींद का रहस्य क्या था? इसे पढ़कर आप अचंभित और हैरान हो जाएंगे। इस लेख में बताएंगे कुंभकरण की नींद की कहानी।
कुंभकरण कौन था?
रामायण के प्रमुख किरदारों में कुंभकरण भी सम्मिलित है। कुंभकरण रावण का छोटा भाई था। रामायण की एक कथा के अनुसार जब रावण और इंद्र का युद्ध हुआ था। उस युद्ध में कुंभकरण ने अपने भाई रावण की मदद की थी। कुंभकरण के पिता का नाम विश्रवा और माता का नाम कैकसी था। कुंभकरण को किसी प्रकार का वरदान नहीं मिला था। कुंभकरण स्वयं में ही शक्तिशाली था। कुंभकरण जन्म के समय जंतुओं को अपना भोजन बना लिया था। कुंभकरण एक विशाल राक्षस था।
कुंभकरण की नींद की कहानी-
आइये जानते हैं कुंभकरण की नींद की पूरी कहानी। आख़िरकार कुंभकरण हमेशा क्यों सोता रहता था। इसके पीछे का पूरा राज।
कुंभकरण ने की तपस्या-
एक बार कुंभकरण रावण और विभीषण ब्रह्मा जी की तपस्या कर रहे थे। तीनो भाई ब्रह्मा जी को प्रसन्न करना चाहते थे। तीनों भाइयों ने ब्रह्मा जी को खुश करने के लिए कठिन तपस्या की। आखिरकार ब्रह्मा जी तीनों भाइयों से अत्यधिक प्रसन्न हुए। ब्रह्मा जी ने तीनों भाइयों को वरदान मांगने के लिए कहा। रावण और विभीषण ने वरदान मांग लिया। अब बारी कुंभकरण की थी। कुंभकरण इंद्रदेव का इंद्रासन चाहता था। इस बात को देव इंद्र जानते थे। इंद्र ने सरस्वती जी को कुंभकरण की जीभ बांधने का अनुरोध प्रकट किया। ब्रह्मा जी जानते थे कुंभकरण अधिक शक्तिशाली है। कुंभकरण ने गलती से ब्रह्मा जी से सास्वत नींद का वरदान मांग लिया।
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कुंभकरण की दुर्दशा ना देख सका रावण-
रावण को अपने भाई कुंभकरण की दुर्दशा नहीं देखी जा रही थी। रावण ब्रह्मा जी के पास गया। ब्रह्मा जी से अनुरोध किया कि ब्रह्मा जी अपना वरदान वापस ले लीजिए। ब्रह्मा जी ने रावण से कहा मैं अपना वरदान वापस नहीं ले सकता हूं। तब ब्रह्माजी ने कहा कि कुंभकरण आधा साल सोएगा और आधा साल जागेगा। तब राम और रावण के बीच युद्ध हुआ तो कुंभकरण सो रहा था। कुंभकरण को नींद से उठाने के लिए कई प्रयास किए गए थे।
यह कुंभकरण की नींद का रहस्य था।
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