हिन्दू धर्म में कई ऐसे व्रत होते हैं जो सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। उनमें से एक व्रत है करवा चौथ। सुहागिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से पति की उम्र लंबी होती है और पति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। करवा चौथ के दिन करवा माता और चन्द्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन चन्द्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। करवा चौथ के दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती है। इस दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है। माना जाता है कि करवा चौथ व्रत रखने से स्त्रियों को सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए हिन्दू धर्म में करवा चौथ के व्रत का महत्व अधिक होता है।
करवा चौथ 2024 की तिथि-
यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। वर्ष 2024 में करवा चौथ की तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को है।
करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त-
2024 में करवा चौथ के पूजन का मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 45 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 1 घंटा 25 मिनट की है।
करवा चौथ का चंद्रोदय समय 20 अक्टूबर 2024 को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर है।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है?
आइये जानते हैं करवा चौथ का इतिहास। पौराणिक काल से इस दिन की यह मान्यता है कि सावित्री ने अपनी पति के प्राण यमराज से वापस ले लिए थे तभी करवा चौथ मनाया जाता है। आज हम आपको बताएँगे सम्पूर्ण करवा चौथ की कहानी। यमराज जब सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लेकर वापस जा रहे थे। यह देखकर सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेने को कहा। परन्तु यमराज ने मना कर दिया।
सावित्री विलाप करते हुए उनके पीछे पड़ गयी और सत्यवान के प्राण यमलोक नहीं लेकर जाने दे रही थी। यह देखकर यमराज को दया आ गयी।यमराज ने सावित्री से कहा कि मैं तुम्हारे पति के प्राण वापस तो नहीं दे सकता। परन्तु तुम एक वरदान मांग सकती हो। यह सुनकर सावित्री ने अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान माँगा।
यमराज ने यह वरदान सावित्री को दे दिया। इसके पश्चात यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे। सावित्री बोली अभी आपने मुझे अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया है। आप मेरे पति के प्राण लेकर नहीं जा सकते। यमराज को सावित्री के पति सत्यवान के प्राण वापस देने पड़े। इसी कारण करवा चौथ को मनाया जाता है। सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी लम्बी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं।
करवा चौथ पूजा विधि-
- इस दिन सुहागिन स्त्रियां 16 श्रृंगार करती हैं और नए वस्त्र धारण करती हैं।
- इसके पश्चात पूजा की थाली सजाती हैं और उस थाली में पूजा सामग्री को रखती हैं।
- भगवान गणेश और करवा की पूजा करते हैं और करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।
- सभी महिलाएं एक दूसरे से अपनी पूजा की थाली और करवा बदलती है।
- इस पश्चात छलनी में दिया रखकर चाँद को देखती हैं और चाँद की पूजा करती हैं।
- अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
2024 करवा चौथ पर सुहागिन स्त्रियां करें विशेष उपाय-
करवा चौथ का त्यौहार सुहागन के लिए विशेष महत्व रखता है। इस व्रत के पर्व सास अपनी बहू को सरगी खिलाती है। हिन्दू धर्म में ये रिवाज़ सास और बहु के बीच प्रेम संबंध को दर्शाता है। तो इस करवा चौथ पर कुछ विशेष उपाय करें जिससे सुहागिन स्त्रियों को अत्यधिक लाभ प्रदान होगा। आइये जानते हैं विशेष उपाय-
सुहागिन स्त्रियां करें 16 श्रृंगार-
- सभी शादी-शुदा स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत प्रिय है।
- इसलिए स्त्रियों को पूजा करते वक़्त 16 श्रृंगार करके ही पूजा- विधि से पूजन करना चाहिए।
- अगर आपका पहला करवा चौथ व्रत है तो ध्यान रहे कि आपको मेहंदी लगाकर पूरी तरह से 16 श्रृंगार करके ही पूजा करनी चाहिए।
सरगी को खाएं सही समय पर-
- जिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का पहला व्रत होता है उनके लिए सरगी बहुत महत्व रखती है।
- सुबह सूर्योदय से पहले अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेकर सरगी खानी चाहिए।
शादी का जोड़ा या लाल रंग के वस्त्र पहने-
- शादी-शुदा स्त्रियों के लिए अपनी शादी का जोड़ा बहुत महत्व रखता है।
- इसलिए करवा चौथ पर शादी का जोड़ा अवश्य पहने।
- अगर आप शादी का जोड़ा नहीं पहनना चाहती है तो लाल रंग के वस्त्र को जरुए पहनना चाहिए, यह आपके लिए शुभ होगा।
करवा चौथ व्रत कथा अवश्य सुनें-
- करवा चौथ पर पूजा का जितना महत्व होता है उतना ही करवा चौथ की व्रत कथा भी महत्व रखती है।
- करवा चौथ व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए।
- करवा चौथ की पूजा और व्रत कथा सही दिशा में बैठ कर सुननी चाहिए।
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