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कब है कामदा एकादशी 2025? कैसे हुई इस व्रत की शुरूआत!

By April 3, 2025No Comments
कामदा एकादशी

कामदा एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह व्रत उन लोगों के लिए भी खास होता है जिनके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां होती हैं।

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कामदा एकादशी क्या है ?

ज्योतिषियों के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जिसे कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कामदा एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आरोग्य का वर्धन होता है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, जो आर्थिक कठिनाइयों या जीवन की किसी अन्य परेशानियों से जूझ रहे होते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की कामदा एकादशी 2025 में पूजा करने से ना केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जन्मों के पाप भी समाप्त हो जाते हैं। खास बात यह है कि इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जो इस पूजा के प्रभाव को और भी अधिक शुभ बना देता है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से धन की देवी मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती है। इस व्रत को करने से साधक को मनचाहा फल मिलता है।

कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त-

कामदा एकादशी का व्रत 7 अप्रैल की रात 8 बजे से शुरू होगा और 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, सनातन धर्म में उदया तिथि कामदा एकादशी 2025 मुहूर्त का महत्व होता है, जिसका अर्थ है कि तिथि का पालन सूर्योदय के आधार पर होता है। इस कारण, 8 अप्रैल को कामदा एकादशी मनाई जाएगी।

व्रत पारण करने का सही समय-

कामदा एकादशी व्रत का पारण 9 अप्रैल को किया जाएगा। यह पारण सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 34 मिनट तक किया जा सकता है। इस बीच साधक को कामदा एकादशी 2025 मुहूर्त में गंगाजल से स्नान करने के बाद विधिवत पूजा करनी चाहिए।

सिद्धि योग और रवि योग का खास संयोग-

ज्योतिषियों के अनुसार, कामदा एकादशी 2025 में सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। ये दोनों योग सुबह 6 बजकर 3 मिनट से लेकर 7 बजकर 55 मिनट तक रहेंगे। इसके अतिरिक्त, अश्लेषा और मघा नक्षत्र का संयोग भी है। वणिज और बव करण के योग भी बन रहे हैं, जो पूजा के प्रभाव को और भी प्रबल बना देंगे। इस समय में लक्ष्मी नारायण की पूजा से साधक के जीवन में सुख और सौभाग्य की वृद्धि होगी।

कैसे हुई थी कामदा एकादशी की शुरूआत-

ऐसा कहा जाता है कि पुण्डरीक नामक नागों का एक राज्य था। यह राज्य बहुत ज्यादा सपन्न था। इस राज्य में अप्सराएं, गन्धर्व और किन्नर रहा करते थे। वहां ललिता नाम की एक सुन्दर अप्सरा रहती थी। उसका पति ललित भी उसी के साथ रहता था। वह नाग दरबार में गाना गाता था और अपना नृत्य दिखाकर सबका मनोरंजन करता था। कामदा एकादशी की कहानी एक दिन राजा पुण्डरीक ने ललित को गानागाने और नृत्य करने का आदेश दिया। ललित नृत्य करते हुए और गाना गाते हुए अपनी पत्नी ललिता को याद करने लगा, जिससे उसके नृत्य और गाने में भूल हो गई।

सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता भी आए हुए थे, जिन्होंने पुण्डरीक नामक नाग राजा को ललित की गलती के बारे में बता दिया था। इस बात से नाराज होकर राजा पुण्डरीक ने ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया। उसकी अप्सरा पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई और इसे ठीक करने का उपाय ढूंढने लगी। तब एक मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। कामदा एकादशी की कहानी ललिता ने मुनि के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पुण्य लाभ अपने पति को दे दिया। व्रत की शक्ति से ललित को अपने राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया।

कामदा एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं-

  • कामदा एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है, जब साधक को विशेष सावधानी से भोजन और आहार से संबंधित नियमों का पालन करना चाहिए।
  • इस दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए।
  • व्रत के दिन, सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। घर की सफाई करनी चाहिए और गंगाजल छिड़ककर शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
  • इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद, भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करें, जिसमें फल, फूल, हल्दी, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित की जाती हैं।
  • पूजा के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ और भगवान विष्णु के नामों का जप करें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद आरती अर्चना करें और भगवान विष्णु से सुख और शांति की कामना करें। इसके बाद, व्रत का पारण करते समय अन्न दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

अगर आप भी ऐसी अन्य एकादशी व्रत के बारे में और जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।

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Pratibha Pathak

About Pratibha Pathak

इंस्टाएस्ट्रो में हिन्दी कंटेट राइटर। पत्रकारिता में अमरउजाला से सफर की शुरूआत की। यहां से कारवां बढ़ता हुआ पंजाब केसरी, इंडिया न्यूज से होते हुए इंस्टाएस्ट्रो में पहुंची। लगातार कुछ बेहतर और अलग करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सिखने की कोशिश। एस्ट्रोलॉजी, राजनीतिक और सॉफ्ट खबरों में रूचि।