कामदेव-
शास्त्रों के अनुसार कामदेव को प्रेम और काम का देवता कहा जाता है। कामदेव का रूप आकर्षक माना जाता है। कामदेव का विवाह देवी रति से हुआ था। कथाओं के अनुसार कामदेव के नयन और भौहें को अत्यधिक आकर्षक बताया गया है। इनके नयन बाण की तीर की तरह तेज थे। कामदेव का वाहन हाथी है। शास्त्रों के अनुसार कामदेव का वाहन तोते को माना जाता है। कामदेव का अस्त्र धनुष है।
कामदेव को मिला श्राप-
पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है। एक बार ब्रह्मा जी सृष्टि के विस्तार के बारे सोच रहे थे। तभी ब्रह्मा के अंश से एक पुत्र का जन्म हुआ। इस अंश से कामदेव की उत्पत्ति हुई थी। कामदेव ने ब्रह्मा से पूछा मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ। मुझे आज्ञा दें। ब्रह्मा जी कामदेव से कहा। मैंने सृष्टि की रचना की है। पर मैं सृष्टि की रचना करने में असफल रहा हूँ। ब्रह्मा जी ने यह कार्य कामदेव को सौंप दिया। कामदेव, ब्रह्मा जी की बात सुने बिना वहां से चले जाते हैं। यह देखकर ब्रह्मा जी को क्रोध आ जाता है। क्रोधित होकर ब्रह्मा जी कामदेव को श्राप दे देते हैं। कि तुम्हारा अस्तित्व जल्द ही ख़त्म हो जाएगा।
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कामदेव का निवास स्थल-
श्राप मिलने के बाद कामदेव डर गए। ब्रह्मा जी से माफ़ी की याचना करने लगे। तब ब्रह्मा जी उन्हें रहने के लिए 12 जगह को दिया था। जिनमें से स्त्री का कटाक्ष,जांघ,केश,वक्ष,नाभि,कामवासना,सुन्दर फूल,परागकण,यौवन,बंसत ऋतु,आर्कषित वस्त्र और आभूषण धारण किया हुआ शरीर।
कामदेव का अस्त्र-शस्त्र-
- इनके अस्त्र मे विशेष रूप से धनुष बाण को बताया गया है।
- कामदेव के धनुष का रंग पीला होता है।
- तीर कामदेव का प्रमुख अस्त्र माना गया है।
- कामदेव का धनुष गन्ने से बना हुआ होता है।
- इस धनुष के तीन कोण होते है।
- यह कोण ब्रह्मा,विष्णु,महेश को दर्शाता है।
- यह धनुष बताता है कि काम के अलावा कर्म और मोक्ष भी आवश्यक होता है।
- कामदेव का धनुष खास है। क्योंकि इसका बाण लगने पर व्यक्ति को आनन्द का अहसास होता है।
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