
हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष की माला मंत्र जाप करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। रुद्राक्ष को महादेव का प्रतीक माना जाता है। इसलिए किसी भी मंत्र का उच्चारण करने के लिए रुद्राक्ष की माला को उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा 108 जप माला के अत्यधिक लाभ होते हैं।
रुद्राक्ष की माला जपने के फायदे-
यह एक चमत्कारी और पवित्र रत्न माना जाता है। इसमें सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करने की शक्ति भी होती है। मान्यता है कि रुद्राक्ष वातावरण में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है और यही ऊर्जा साधक के शरीर में पहुंचती है।
रुद्राक्ष के अतिरिक्त, जाप करने के लिए तुलसी, स्फटिक, मोती या नगों से बनी माला भी प्रयोग होती है। प्राचीन काल से ही तपस्वी और साधु-संत जाप के लिए 108 दाने की माला इस्तेमाल करते हैं।
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मंत्र जाप में उपयोग की जाने वाली माला में दानों की संख्या 108 होती है। ऐसे में कई लोगों का सवाल रहता है कि आखिर 108 का रहस्य क्या है ? आख़िर इस संख्या का क्या महत्व है ?
मान्यता है कि शास्त्रों में 108 संख्या का अत्यधिक महत्व है। इसके पीछे धार्मिक, ज्योतिष और वैज्ञानिक कारण बताए जाते हैं आइए इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं 108 का रहस्य और 108 जाप का वैज्ञानिक महत्व।
क्या होता है 108 मोती का ज्योतिषी कारण ?
प्राचीन काल से ही देखा गया है कि ऋषि-मुनि जब माला से जाप करते थे 108 दाने होते थे। आइये पढ़ते हैं इसके पीछे का ज्योतिषी कारण। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं। इस प्रकार 27 नक्षत्रों के 108 चरण होते हैं। माला का प्रत्येक मोती 108 नक्षत्रों के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि जाप की माला में 108 मोती होते हैं।
जानें 108 जप का वैज्ञानिक महत्व –
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो एक पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, उसी से जाप माला की संख्या 108 का संबंध है। सामान्य रूप से चौबीस घंटे में एक व्यक्ति करीब 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटे में व्यक्ति 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यस्त रहता है। शेष 12 घंटों में वह 10800 बार सांस लेता है। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। यानि कि 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। लेकिन यह संभव नहीं है। इसलिये 10800 में से अंतिम दो शून्य हटाकर जाप के लिए 108 की संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जाप की माला में 108 दाने होते हैं।
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जप माला में 108 दाने का अन्य वैज्ञानिक कारण –
मान्यता है कि माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का घनिष्ट संबंध है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति बदलता है। सूर्य की स्थिति के अनुसार छह माह की अवधि को उत्तरायण कहते हैं और अगले छह माह को दक्षिणायन। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है। इस प्रकार छह माह में सूर्य 108000 बार कलाएं बदलता है। इसी संख्या में से यदि अंतिम तीन शून्य हटा दिए जाएँ तो जाप माला के 108 मोती निर्धारित हो जाते हैं। माला का प्रत्येक दाना सूर्य की प्रत्येक कला का प्रतीक होता है। सूर्य व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है। सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से हमें दिखाई देते हैं। यही कारण है कि सूर्य और जाप माला का गहरा रिश्ता है। इसी वजह से माला के दानों की संख्या सूर्य की कलाओं के आधार पर 108 निर्धारित की गई है।
जानिए 108 दाने के अन्य ज्योतिषी कारण –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जाप माला के दाने संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रह्मांड को 12 भागों (राशियों) में विभाजित किया गया है। बारह राशियों इस प्रकार हैं – मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन बारह राशियों में नवग्रह विचरण करते हैं। नौ ग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु।
यदि विचरण ग्रहों की संख्या 9 का गुणा राशियों की संख्या 12 में किया जाए तो 108 संख्या प्राप्त होती है। अतः इसी संख्या के आधार पर जाप की माला में 108 मोती होते हैं।
माला जपने के फायदे –
बिना माला के संख्याहीन पढ़े गए मंत्र जाप का अधूरा फल प्राप्त होता है। अतः जब भी किसी मंत्र का जाप करें, पूर्ण फल की प्राप्ति के लिये माला का प्रयोग ज़रूर करें। जो साधक माला की सहायता से मंत्र जाप करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंत्र जाप निर्धारित संख्या 108 के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
माला जपते समय ध्यान रखने योग्य बातें –
- मंत्र जाप में उपयोग होने वाली माला में सबसे ऊपर एक बड़ा दाना होता है जिसे सुमेरु कहते हैं।
- सुमेरू से जाप की संख्या प्रारंभ होती है और सुमेरु पर ही समाप्त होती है।
- जब जाप का एक चक्र पूर्ण हो जाता है और साधक सुमेरु दाने तक पहुंच जाता है, तब माला को पलट लिया जाता है।
- सुमेरु को कभी लांघना नहीं चाहिए।
- जब भी मंत्र जाप पूर्ण हो जाये तब सुमेरू को माथे पर लगाकर नमन करना चाहिए। इससे जाप के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
1. जाप करते समय माला का उपयोग क्यों किया जाता है?
2. रुद्राक्ष की माला जपने के फायदे क्या हैं?
3. सुमेरु क्या होता है?
4. 108 का रहस्य क्या है?
5. रुद्राक्ष के अतिरिक्त जाप करने के लिए और कौन सी माला का उपयोग होता है?
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