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Janmashtami 2025: राशि के अनुसार जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को लगाएं विशेष भोग!

By August 8, 2023July 30th, 2025No Comments
Janmashtami 2025

भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म में बड़ी धूमधाम और ख़ुशी व उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भारत में लगभग सभी लोग सम्पूर्ण दिन व्रत करते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन की आधी रात के समय ही भगवान विष्णु ने अपना आठवां अवतार भगवान श्री कृष्ण के रूप में माता देवकी के पुत्र रूप में लिया था जिन्हें माता यशोदा ने पाला था। 

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर बहुत सारे अनुष्ठान लोकप्रिय हैं। इस दिन मथुरा और वृंदावन में भक्तों की भीड़ रहती है। देश में जगह- जगह पर दही हांडी फोड़ने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तो कहीं भगवान श्री कृष्ण के कीर्तन, हवन आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि, देश की विभिन्न इलाकों में कृष्ण जन्माष्टमी के पश्चात छठे दिन श्री कृष्ण की छठी भी की जाएगी। जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाया जाता है। भोग के पश्चात सभी भक्तों में वितरित किया जाता है। आइए जानते हैं कृष्णजन्माष्टमी शुभ मुहूर्त, कृष्ण जन्माष्टमी पूजा समय और श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के बारे में सबकुछ।

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कृष्ण जन्माष्टमी तिथि और समय

हिन्दू कैलंडर के अनुसार इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में 16 अगस्त दिन शनिवार को है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट पर होगी। अष्टमी तिथि की समाप्ति 16 अगस्त को रात 9 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगी। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 17 अगस्त को सुबह  4 बजकर 38  मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 18 अगस्त को सुबह 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह में अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को हुआ था। इसलिए यह व्रत प्रत्येक वर्ष 12 बजे के बाद पश्चात ही पारण किया जाता है।कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात 12 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा और 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जायेगा। पूजा करने का शुभ मुहूर्त सिर्फ 20 मिनट का ही होगा। 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर सुबह सूर्योदय से पहले जागकर घर में साफ सफाई करें और स्नान आदि करके सुंदर वस्त्र धारण करें।
  • इसके पश्चात पूजा में साफ सफाई करें और चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। अब प्रतिमा के ऊपर और उसके आस-पास गंगाजल के छींटे लगाए।
  • इसके पश्चात भगवान कृष्ण के आगे आसन लगाएं और बैठकर सीधे हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर उससे सम्पूर्ण दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री कृष्ण जन्मष्टामी का व्रत करने का संकल्प लें और जल को धरती पर विसर्जित करें।
  • इसके पश्चात एक साफ-सुथरी थाली में धूप, अक्षत, चंदन टीका, दीपक, घी, फल, फूल, मिठाई, आदि रख लें।
  • इसके पश्चात सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के पैर धोएं और उनके चरणों में पुष्प और फलों को अर्पित करें।
  • अब भगवान श्री कृष्ण के आगे धूप और गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
  • इसके पश्चात भगवान को माखन और मिष्ठान सहित सूखे मेवों को चढ़ाएं और हाथ जोड़कर आशीर्वाद लें।
  • अब भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा पढ़ें आरती करें और ध्यान लगा कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः इस मंत्र का 108 पर जाप करें।
  • इसके पश्चात सभी को प्रसाद बांटे और सम्पूर्ण दिन व्रत करें। आप इस व्रत को निर्जला भी कर सकते हैं या फिर सम्पूर्ण दिन फलाहार और मिष्ठान पर व्रत कर सकते हैं। रात के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें।
  • रात तक भजन, कीर्तन और दही हांडी का कार्यकर्म आयोजित करें या उसमें शामिल रहें। इससे आपको लाभ होगा और आपका मन नहीं भटकेगा।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

हिन्दू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व विशेष है। इस दिन भगवान कृष्ण का सम्पूर्ण देश में जन्मोत्सव मनाया जाता है और विभिन्न प्रकार के कृष्ण जन्माष्टमी अनुष्ठान किए जाते हैं। भारत में लगभग सभी व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं। इस व्रत को करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भारत देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ व्रत माना गया है। विधि- विधान से पूजा करने से इस व्रत पर आपको भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास

हिन्दू धर्म शास्त्रों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास बहुत रोचक बताया गया है। यह इस प्रकार है। एक अहंकारी राजा कंस ने अपनी बहन का विवाह वसुदेव जी के साथ किया। विवाह के पश्चात कंस को पता चला की उनकी बहन की आठवीं संतान ही उनकी मृत्यु का कारण बनेगी। ऐसा पता चलते ही उन्होंने अपनी बहन को मारना चाहा लेकिन वसुदेव जी ने कंस को कहा की हम दोनों अपनी प्रत्येक संतान जन्म लेते ही तुम्हें सौंप देंगे तुम देवकी को ना मारो। इसके पश्चात कंस को माता देवकी और वासुदेव की प्रत्येक संतान दे दी जाती और कंस उसे मारता रहता। अब उनकी आठवीं संतान यानि की भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया।

भगवान श्री कृष्ण को सबसे से छिपकर वासुदेव जी माता यशोदा के घर पर छोड़ आये और वहां से उनकी पुत्री को लाकर कंस को दे दिया। कंस ने जैसे ही उस कन्या को पटक के मारना चाहा उन्होंने एक देवी का रूप लेकर कंस को जल्द मरने की चेतावनी दे दी और गायब हो गयीं। इसके पश्चात कंस ने कई मायावी शक्तियों से भगवान श्री कृष्ण को मरवाना चाहा परन्तु कुछ न हो सका। एक समय पर भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया।

राशि के अनुसार लगाएं माखनलाल कान्हा को भोग

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी पर अपनी राशि के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाना चाहिए। इससे आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा और भगवान श्री कृष्ण की कृपा मिलेगी। आइए जानते हैं राशि के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को क्या भोग लगाना रहेगा शुभ।

1. मेष राशि

मेष राशि के जातकों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को बेसन की मिठाई, मक्खन और सूखे मेवे का भोग लगाना चाहिए। इससे भगवान श्री कृष्ण की मेष राशि पर विशेष कृपा होगी।

2. वृषभ राशि

वृषभ राशि वाले व्यक्तियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को मावे और शक्कर के लड्डू, मीठी दही, गाय का दूध और बादाम की बर्फी का भोग चढ़ाना चाहिए। इससे आपके सभी कार्य सफल होंगे।

3. मिथुन राशि

मिथुन राशि वाले जातकों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को मिष्टी डोई, सुख पनीर, गाय के दूध का मक्खन, सफेद और गुलाबी रंग के गुलाब जामुन और शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए। इससे आपको जीवन में सफलता प्राप्त होगी।

4. कर्क राशि

कर्क राशि वाले जातकों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को गुलाब जामुन, मावे के लड्डू, बादाम के दूध को भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाना चाहिए। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आयेगी।

5. सिंह राशि

कर्क राशि वाले लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर भगवान श्री कृष्ण को बादाम और काजू से बनी मिठाई, बूंदी के लड्डू और रसमलाई का भोग लगाना चाहिए। इससे इनको व्यापार और नौकरी में सफलता प्राप्त होती है।

6. कन्या राशि

कन्या राशि वाले व्यक्तियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर भगवान श्री कृष्ण को बादाम का दूध, गाय का मक्खन, काजू की बर्फी, मिष्टी दोही और फलों को अर्पित करना चाहिए। इससे आपके जीवन में लगी सभी बाधाएं दूर होती और खुशियां आपके जीवन में दस्तक देती हैं।

7. तुला राशि

तुला राशि वाले लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को कई प्रकार के फलों, बेसन और गुड़, घी के लड्डू, सूखे मेवे और गाय का दूध अर्पित करना चाहिए। इससे आपके जीवन में विशेष रूप से सुख- शांति आयेगी और मानसिक तनाव भी दूर होगा।

8. वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को गोले और बादाम की मिठाई, रसमलाई, बादाम और मखाने की खीर और बूंदी के लड्डू को भोग लगाना शुभ होगा। इससे आप जो भी अच्छा कार्य करेंगे वह सफलता अवश्य प्राप्त करेगा।

9. धनु राशि

धनु राशि वाले व्यक्तियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को गोले के लड्डू, मिल्क केक, फलों, बादाम दूध और मक्खन का भोग लगाना शुभ होगा। इससे यात्राओं का शौक रखने वाली धनु राशि की प्रत्येक यात्रा सफल हो कामयाब होगी।

10. मकर राशि

मकर राशि के व्यक्तियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को गुलाब जामुन, रसमलाई, मक्खन, गाय का दूध और बादाम, पिस्ता, अखरोट आदि सूखे मेवों का भोग चढ़ाना चाहिए। इससे आपके जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां समाप्त हो जायेगी और नौकरी व व्यापार में उन्नति होगी।

11. कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को सफेद मावा बर्फी, बेसन या बूंदी के लड्डू, मक्खन, मीठी दही बादाम, काजू, कलौंजी, पिस्ता, गोला या कोई भी 5 सूखे मेवों की खीर बनाकर भोग लगाना शुभ होगा। इससे आपकी सभी मनोवांछित इच्छाएं पूर्ण होंगी।

12. मीन राशि

मीन राशि के लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण को रसमलाई, बेसन के लड्डू, नारियल, गाय के दूध से बना मक्खन, बादाम का दूध, फलों और मिष्टी दोही का भोग लगाना शुभ होगा। इससे आपके जीवन में सुख शांति आएगी और सभी बाधाएं दूर होंगी।

कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या करें?

  • सम्पूर्ण दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
  • कथा, मंत्र, ध्यान आदि घर में करें और दही हांडी, भजन कीर्तन, जागरण का आयोजन करें या उसमें जाकर शामिल हो जाएँ।
  • आपको इस दिन श्रीमद भगवद गीता भी पढ़नी चाहिए।
  • सम्पूर्ण दिन का उपवास करें। फलाहारी व्रत या निर्जला व्रत करें दोनों में श्रद्धा भाव रखें समान फल की प्राप्ति होती है।
  • दूसरे लोगों को सहारा दें उनकी मदद करें।
  • इस दिन सेवा भाव से किये गए बड़े लोगों के लिए कार्य व्यक्ति बहुत पुण्य फल देते हैं।
  • कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दान भी अवश्य करें।
  • गरीबों में वस्त्र, भोजन और खाने की दूसरी चीजों या जरूरत के सामान का दान किया जा सकता है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या नहीं करें?

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन जो व्रत नहीं भी कर रहें हैं उन्हें भी यह सब नहीं ग्रहण करना चाहिए।
  • इस दिन किसी से किसी भी प्रकार का झूठ नहीं बोलना चाहिए।
  • अपनी जुबान से सिर्फ सच बोलें और दूसरों के हित में कार्य करने की सोचें।
  • अपने आस- पास का माहौल देखें यदि वह अच्छा नहीं है तो आपको वहां नहीं रुकना चाहिए। 
  • जन्माष्टमी व्रत से कम से कम 2 दिन पहले तक ब्रह्मचर्य को ना तोड़ें।
  • काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ये पांच दोषों को खुद में व्रत के दौरान ना रहने दें।
  • बुरे कार्य को त्याग कर अपने व्रत पर ध्यान लगाएं।
  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
  • यह न सिर्फ भारत में बल्कि अब तो कई अन्य देशों में भी मनाया जाने लगा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है?

इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त दिन शनिवार को पड़ेगी।

2. श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। यह पर्व भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या होता है?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सभी भक्त व्रत करते हैं और कई प्रकार के अनुष्ठान होते हैं। जैसे दही हांडी फोड़ना, कीर्तन करना आदि।

4. श्री कृष्ण की माता कौन थी?

भगवान श्री कृष्ण की 2 माताएं थी। एक माता देवकी और दूसरी माता यशोदा। माता देवकी ने भगवान श्री कृष्ण को जन्म दिया था और माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का पालन- पोषण किया था।

5. भगवान श्री कृष्ण किसके अवतार हैं?

भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान विष्णु ने कंस का वध करने के लिए अवतार लिया था।

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