जब किसी जातक की कुंडली में कोई 2 ग्रह भी साथ आते हैं तो ऐसे में कुंडली में कई तरह के योग बनते हैं। इसी प्रकार कुंडली के ग्रह जब इधर से उधर होते हैं गोचर करते हैं तब भी जातक के जीवन में कई अच्छे और कई बुरे योग बनते हैं। अच्छे योग बनने से जातक का जीवन पूरी तरह बदल जाता है वहीं दूसरी तरफ एक बुरा योग भी जातक व्यक्ति के हंसते-खेलते जीवन को भी बर्बाद कर देता है। कुंडली में प्रवेश करते इन ग्रहों पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है। इनकी चाल से हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की चाल किसी को भी ‘पल में राजा और पल में फ़क़ीर’ बना सकती है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में एक पंचग्रही योग भी बनता है। जब किसी जातक की कुंडली में 5 ग्रह एक साथ आते हैं तो, पंचग्रही योग बनता है। अधिकतर समय देखा जाता है की, पंचग्रही योग का बनना जातक की कुंडली में शुभ परिणाम लेकर आता है परन्तु अक्सर ऐसा नहीं होता है। पंचग्रही योग जातक की कुंडली में कभी कभी बुरा प्रभाव भी डालता है। अब आप सोचेंगे कि पंचग्रही योग कैसे अच्छा भी और बुरा भी दोनों प्रभाव ड़ालता है? तो इसका कारण यह है कि, पंचग्रही योग में यदि अधिकतर शुभ ग्रह प्रवेश कर जाते हैं तो जातक को इसका शुभ फल मिलता है। वहीं यदि घर में अधिक पाप ग्रहों का प्रवेश हो और शुभ ग्रह कम हो तो जातक को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। आज हम इस लेख के द्वारा आपको कुंडली में पंचग्रही योग क्या है? और पंचग्रही योग का ज्योतिषीय महत्व क्या है? इसके बारे में अवगत कराएंगे। जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।
पंचग्रही योग
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पंचग्रही योग किसी जातक की कुंडली में एक घर में 5 ग्रह का मिलन है। कभी कभी ऐसे योग बनते है जिनसे जातक को या तो बहुत फायदा या बहुत नुकसान हो जाता है। कुंडली में पंचग्रही योग का बनना भी इन्हीं योगों में से एक होता है। पंचग्रही योग के बनने से जातक के जीवन में उसे दूसरों के द्वारा आत्म सम्मान प्राप्त होता है। उसके पुराने रुके हुए काम पूरे होने लगते है, धन की कमी नहीं होती है और वह जीवन में सुख समृद्धि को पाता है। लेकिन इसका प्रभाव उल्टा भी पड़ जाता है। और यह मनुष्य के जीवन को तबाह भी कर सकता है। कुंडली में कौन सा ग्रह पांच ग्रहों में शामिल है अच्छा और बुरा उसी पर निर्भर करता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि पांच ग्रहों में बुध ग्रह शामिल न हो तो इसका अच्छा परिणाम होता है लेकिन जो 5 ग्रह घर में प्रवेश कर रहे हैं तो उनमें से एक राहु या केतु का होना आवश्यक है। तभी यह शुभ लाभ देगा यदि ऐसा नहीं है तो इसका अशुभ परिणाम आएगा।
पंचग्रही योग का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंडली में पंचग्रही योग का विशेष ज्योतिषीय का महत्व होता है। इस योग का कुंडली में बनना जातक के लिए अधिक समय लाभकारी ही सिद्ध होता है। लेकिन कभी कभी ग्रहों चाल के कारण यह उल्टा प्रभाव देने लगता है। और यह ज्यादा खतरनाक साबित होता है। इसलिए समय रहते इसका उपाय करना चाहिए। पंचग्रही योग सभी योगों में एकमात्र ऐसा योग है जिसका अच्छा और बुरा दोनों तरह का प्रभाव जातक की कुंडली पर होता है। जब एक घर में 5 ग्रह का योग बनता है तो इसमें सूर्य का सबसे महत्वपूर्ण किरदार होता है। यदि सूर्य पंच ग्रहों के अधिक पास होता है तो पंच ग्रह का अस्त होने का खतरा भी बना रहता है। तो ज्योतिष द्वारा यह भी देखा जाता है कि सूर्य ग्रह के साथ पंच योग में जो ग्रह आ रहा हो वह अस्त न हो अन्यथा इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
कुंडली में पंचग्रही योग की युति
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र की कुंडली में युति
इन पंचग्रहों की कुंडली में युति जातक की कुंडली में पंचग्रही योग बनाती है। जब यह युति बनती है तो इसका सीधा असर मनुष्य के व्यवहार और उसके दिमाग और मन पर पड़ता है। जातक स्वभाव से मतलबी हो जाता है और अपने मन की करने लगता है वह नहीं देखता की यह सही है या गलत। जातक दूसरे लोगों के साथ बस अपना मतलब पूरा होने तक मतलब रखेगा अन्यथा उनकी मुसीबत के समय मदद नहीं करेगा। वह खुद को सबसे ऊपर रखेगा। दूसरे लोगों के साथ दिखावा करेगा।
रवि, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु की कुंडली में युति
यदि किसी जातक की कुंडली में यह पांच ग्रह एक घर में आ रहे हो तो भी जातक की कुंडली में पंचग्रही योग का निर्माण होता है। इन सभी ग्रहों की युति जब होती है तो जातक किसी भी तरह की लड़ाई में जीत हासिल करता है और उसके पास विवेक कौसल की क्षमता होती है। लेकिन इस युति के दौरान जातक अपने आप को सबसे बढ़कर समझने लगता है और बातों को बढ़ा चढ़ा कर बताता है।
रवि, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र की कुंडली में युति
यदि किसी जातक की कुंडली में यह 5 ग्रह युति कर रहे हैं तो भी जातक की कुंडली में पंचग्रही योग का निर्माण होता है। तो यह जातक को इतना मतलबी बना देता है की उसका अपने परिवार के साथ भी संबंध खत्म हो जाता है। और वह अहंकार में डूबा रहता है। वह इस हद तक अहंकारी बन सकता है की उसको अपने परिवार की चिंता भी नहीं होती है।
रवि, चंद्र, मंगल, बुध, शनि की कुंडली में युति
यदि किसी जातक की कुंडली में इन पांच ग्रहों की युति बन रही है तो भी जातक की कुंडली में पंचग्रही योग बनता है। यह योग जातक के लिए बिलकुल भी शुभ नहीं होता है। ये युति जातक को हर तरह से बर्बाद करती है। जातक का परिवार उसको छोड़ कर चला जाएगा। उसके पास धन की कमी रहेगी और उसकी आयु भी कम होती है। जातक का विवाह होना संभव नहीं होता है साथ ही यदि विवाह होता भी है तो उसे कभी भी संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है। उसके जीवन में कुल मिलाकर सुख नहीं आते हैं। वह समस्त जीवन दुखों में रहता है।
रवि, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र की कुंडली में युति
यदि किसी जातक की कुंडली में इन ग्रहों की युति बन रही है तो भी यह पंचग्रही योग बनता है। यदि जातक की कुंडली में यह योग बन रहा तो जातक अपने परिवार के लिए एक दुःख बन जाता है। वह अपनी सारी संपत्ति नष्ट कर देता है और घर में ज़रा भी धन नहीं छोड़ता है। जातक इतना धूर्त और लालची हो जाता है कि वह अपनी संपत्ति को नष्ट करने के पश्चात अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की सम्पति भी धोखे से हड़पने की कोशिश करता है। साथ ही जातक कई बीमारियों का शिकार भी बना रहेगा उसे हृदय रोग और शुगर हाई बीपी जैसे और भी कई तरह के रोग रहेंगे।
रवि, चंद्र, मंगल, शुक्र, शनि की कुंडली में युति
इन सभी ग्रहों की युति यदि जातक की कुंडली में बनती है तो वह बहुत भाग्यशाली होता है। जातक बहुत अधिक मान सम्मान प्राप्त करेगा और जीवन में आगे जायेगा। इस योग के बनने से जातक के पास अधिक धन होगा और वह बहुत प्रतिष्ठित लोगों के साथ दोस्ती करेगा। वह युद्धों में जीतेगा और दिखने में आकर्षक लगेगा। यदि यह जातक को व्यापार करता है तो उसे व्यापार में बहुत अधिक लाभ होगा और उसकी समझदारी से वह सभी समस्याओं को दूर करेगा।
रवि, चंद्र, बुध, शुक्र, शनि की कुंडली में युति
इन सभी ग्रहों का एक घर में होना जातक के लिए लाभकारी तो है परंतु यदि वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखेगा या रखेगी तो यह शुभ योग अशुभ योग में बदल जायेगा। ग्रहों का यह योग जातक को अधिक मात्रा में धन लाभ कराता है परन्तु अधिक स्त्री आकर्षण के कारण जातक धन गवा देता है और बर्बाद हो जाता है। वहीं यदि कोई स्त्री की कुंडली में यह युति बन रही है तो वह भी अधिक पुरुष मोह के चलते धन गवा देगी।
शुभ ग्रहों के पंचग्रही योग के फायदे
- शुभ ग्रहों के पंचग्रही योग के बनने से जातक के जीवन में धन की कोई कमी नहीं होती है। जीवन में अधिक धन प्राप्त करता है।
वह प्रतिभावान बनता है और दूसरे लोगों के ऊपर एक अच्छा प्रभाव छोड़ता है। - जातक को जीवन में मान सम्मान प्राप्त होता है। वह कुछ खाश लोगों के संपर्क में रहना ही पसंद करता है जिनका समाज में कुछ रुतबा होता है।
- जातक को उसके जीवन में तरक्की प्राप्त होती है वह यदि कोई प्रतियोगिता की तैयारी करता है तो उसे सफलता हाथ लगती है।
- उसे समाज में ऊंचा रुतबा मिलता है। उसके पास बहुत शक्तियां होती हैं।
यह सभी पंचग्रही योग के फायदे अपने जाने और यदि आपकी कुंडली में भी पंचग्रही योग बन रहा है तो आपको इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। आप इस योग का कुंडली में पता करने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात कर सकते हैं। यहाँ आपको इसका पूरा विवरण दिया जायेगा और बुरे प्रभाव के उपाय भी बताये जायेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. पंचग्रही योग कब बनता है?
2. पंचग्रही योग का क्या प्रभाव पड़ता है?
3. कौन से ग्रहों के पंचग्रही योग से जातक धनवान बनता है?
4. कौन से ग्रहों का पंचग्रही योग बनने से जातक निकम्मा बनता है?
5. क्या पंचग्रही योग बनने का कोई समय होता है?
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क्या लगा है आपकी कुंडली में पंचग्रही योग जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।