बारिश का मौसम आ गया है। वर्षा ऋतु का यह सुहावना मौसम लगभग सभी लोगों को पसंद आता है। बारिश के मौसम में मिट्टी की वो सौंधी सी खुशबू मन को मोह लेती है। परंतु क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार सूरज के वह कौन से योग हैं जिनसे बारिश होती है? और क्या आपको पता है की बारिश होने के दौरान कभी- कभी सूर्य भी निकलता है उसके पीछे का ज्योतिषी रहस्य क्या है? यदि आप नहीं जानते तो इस लेख को पढ़कर आप जान पाएंगे की, बारिश के दौरान सूरज निकलने का क्या मतलब है और बारिश और सूर्य के बारे में बहुत कुछ पता चलेगा। अब आगे पढ़िए।
आपने कभी ध्यान दिया होगा या हाल फ़िलहाल में बारिश बहुत बार आयी है, तब देखा होगा की कभी बहुत तेज तो कभी बहुत धीमी बारिश होने लगती है या फिर सूरज और धुप दोनों ही एक साथ आ जाते हैं। आप सोचते होंगें की बारिश के दौरान सूरज निकलने का क्या मतलब है? क्या प्रकृति अपने बनाये नियम ही भूल गयी है? लेकिन ऐसा नहीं हैं बारिश के दौरान सूर्य दिखाई देना या बारिश अचानक से तेज या कम होने के पीछे ज्योतिष में कई सूर्य के कुछ योग ऐसे बनते हैं जिस वजह से यह सब होता है और प्रकृति ने अपने नियम नहीं बदले हैं यह सब नेचुरल ही हो रहा है। तो आइए जानते हैं बारिश और सूर्य के बारे में जरूरी बातें।
सनशावर क्या है?
यदि आप नहीं जानते की, सनशावर क्या है तो सनशावर उस घटना को कहते हैं जब सूर्य और बारिश एक साथ होते हैं। यह घटना मौसम से जुड़ी हुई है, जब सूरज बारिश में चमकता है तो सनशावर होता है। अक्सर ऐसा होता है की, कहीं दूर तूफ़ान आता है और वहां जो जल रहता है उसकी कुछ बूंदों को हवा उड़ा कर ऐसे स्थान पर एकत्रित कर देती है जहाँ कोई और बादल नहीं होता है जब उस बादल की जल सोखने की क्षमता पूरी हो जाती है तो, वह बादल वहां से आगे बढ़ने की कोशिश करता है और उसी दौरान सूर्य की एक कोण बादल को अपनी किरणों में बाधा बनने से रोकता है उसी बारिश और सूर्य को साथ देखा जाता है। इसके पीछे एक मत यह भी है की, बहुत अधिक बादल एक साथ आसमान में आगे बढ़ते हैं लेकिन किसी प्रकार से इनमें से एक बादल आगे निकल जाता है और उसको सूरज का कोण रोकने की कोसिस करता है उस दौरान भी यह घटना होती है। ज्योतिष में इसे शुभ घटना माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सनशावर
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बारिश के समय सूर्य दिखाई देना व्यक्ति का भाग्य खोल देता है। सनशावर तब होता है तो यदि उसे कोई व्यक्ति देखता है तो इसके द्वारा यह संकेत माना जाता है की, देखने वाले जातक को जल्द ही धन लाभ होने वाला है। जातक के कार्यक्षेत्र में धन वृद्धि होती है और उसे सफलता प्राप्त होती है। इसलिए ज्योतिष में कहा जाता है की, जब भी सन शावर होता है तो उसे सभी लोगों को देखना चाहिए। यह देखना बहुत शुभ शकुन माना जाता है।
कौन से नक्षत्र से बारिश होने की संभावना अधिक या कम होती है?
बारिश का मौसम चल रहा है। ऐसे में सूर्य के कौन से नक्षत्र में आने से बारिश अधिक होती है या किस नक्षत्र से बारिश होने के योग बनते हैं हम आपको इसके बारे में अवगत कराएंगे। तो आइए जानते हैं वह कौन से नक्षत्र हैं जिनमें बारिश अधिक या कम होती है।
1. अधिक बारिश वाले नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आद्रा नक्षत्र, भद्रा नक्षत्र, हथिया नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र अश्लेषा नक्षत्र, उत्तरा नक्षत्र, भाद्रपद नक्षत्र, पुष्य शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और मूल नक्षत्र ये सभी नक्षत्र बारिश वाले नक्षत्र होते हैं। फिलहाल की बात करें तो ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार आद्रा नक्षत्र में सूर्य 22 जून 2023 से 6 जुलाई 2023 तक गोचर कर रहा है। सूर्य देव के इस गोचर से भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों में भारी वर्षा का अनुमान लगाया गया है। आद्रा नक्षत्र बारिश के लिए सबसे अनुकूल नक्षत्र माना गया है। अन्य बारिश के नक्षत्र भी जब बनते हैं तो उनके अनुसार ही बारिश होती है।
ग्रहों के योग जिनके बनने से होती है बारिश
- यदि बुध और शुक्र ग्रह एक ही राशि में एक साथ हैं और उन पर गुरु ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो ऐसे में बारिश होने का शुभ योग बनता है। लेकिन यदि इन दोनों ग्रहों के एक राशि में होने से उनपर शनि या मंगल ग्रह की दृष्टि पड़ रही है तो बारिश नहीं बाढ़ आती है।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि चंद्र मंडल में एक घेरा बन जाता है और उत्तर दिशा की तरफ से बादलों में बिजली चमकने लगे तो इस योग से वर्षा होती है।
- यदि सूर्य ग्रह पूर्व असाढ़ नक्षत्र में प्रवेश करता है और उस समय आसमान में बादल आने की आशंका यदि होती है तो, ऐसे में कई दिनों तक बारिश होने का योग बनता है।
सूर्य के गोचर से वर्षा ऋतु
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रह एक ऐसा ग्रह है जो हर 1 महीने में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है इस प्रकार से जैसे ही सूर्य 2 राशियां बदलेगा तो ऋतुएँ भी बदल जाती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस तरह से जब सूर्य कर्क और सिंह राशि में वास करता है तो उस दौरान वर्षा ऋतु आती है। वर्षा ऋतु में तेज बारिश होती है।
पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य का गोचर
वैसे तो 22 जून 2023 से ही आद्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से बारिश की शुरुआत हो चुकी है, जो 6 जुलाई 2023 तक रहेगी लेकिन इस दौरान जो बारिश पड़ रही है वह हल्की बारिश है। लेकिन 6 जुलाई 2023 से पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य प्रवेश करेगा जिससे भारी बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार आद्रा नक्षत्र में स्त्री और स्त्री का योग बन रहा जिस वजह से कम बारिश है लेकिन पुनर्वसु नक्षत्र में स्त्री और पुरुष का योग बन रहा है जिस वजह से बारिश तेज होगी। और मौसम बदलेगा।
सूर्य को आद्रा और पुनर्वसु नक्षत्र में देना चाहिए जल
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य को आद्रा नक्षत्र और पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान जल देना चाहिए। नक्षत्र लगने के पहले दिन आपको खूब सारे पकवान बनाने चाहिए और सूर्य देव की पूजा के पश्चात उन्हें जल देकर पकवान का भोग लगाकर गरीबों में दान कर दें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और हॉकी आयु भी बढ़ेगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार आद्रा नक्षत्र पर राहु का अच्छा असर रहता है। उसका भी आपको लाभ मिलता है। वहीं दूसरी और पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल को माना गया है। जिसका अच्छा प्रभाव पड़ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. सनशावर से ज्योतिष में क्या अर्थ है?
2. सनशावर का वैज्ञानिक मत क्या है?
3. सूर्य के अनुसार ऋतुएँ कैसे बदलती हैं?
4. आद्रा और पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य को कैसे प्रसन्न करें?
5. पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य कब गोचर करेगा?
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सूर्य और बारिश के बारे में ओर जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें।