हिंदू धर्म में अपरा एकादशी को मनाया जाता है। अपरा एकादशी कुछ लोगों के बीच अचला एकादशी के नाम से भी प्रचलित है। इसमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूरी होने की दुआ मांगते हैं।
हिंदू धर्म में ‘अपरा’ शब्द का अर्थ होता है ‘अपार’ और इस व्रत को करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की अपार कृपा होती है। वह धन संपत्ति कीर्ति, यश, और अपने पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है।
अपरा एकादशी तिथि
अपरा एकादशी रविवार 14 मई 2023 को सुबह 2 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो जाएगी, और 15 मई सोमवार सुबह 1 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जायेगी। शास्त्रों के हिसाब से ये व्रत 15 मई को रखा जाएगा।
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त
सोमवार 15 मई को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा। इसके बाद 15 मई सोमवार को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर खत्म हो जाएगा। वैसे तो इसमें पूरा दिन पूजा की जा सकती है परंतु शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान विष्णु की असीम अनुकम्पा बनी रहती है।
अपरा एकादशी पूजा करने के नियम
- अपरा एकादशी पूजन नियम कुछ इस प्रकार हैं। इसमें भगवान विष्णु की चंदन, कपूर, तुलसी व फूलों से पूजा की जाती है।
- इस व्रत को करने वाले मनुष्य को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी का ध्यान करके पूजन करना चाहिए
- इस दौरान मनुष्य को छल- कपट, दोष, ईर्ष्या लोभ, मोह, काम, क्रोध अपने 5 दोषों का त्याग करना चाहिए
- इस व्रत को करने के लिए पूजा में तुलसी, कई तरह के फल, चंदन, मिठाई, सबका प्रसाद विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की मूर्ति के आगे रखना चाहिए।
- इस दिन विशेष रूप से जो भी व्यक्ति व्रत रखे वह विष्णु कवच का पाठ जरूर करें। इससे घर में और जीवन में शांति बनी रहती है।
- इस व्रत में मंदिर जाकर भी भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।
अपरा एकादशी व्रत कथा
एक समय महिध्वज के नाम से प्रसिद्ध एक राजा था राजा का एक छोटा भाई था जिसका नाम व्रजध्वज था। किसी कारणवश राजा का छोटा भाई अपने भाई महिध्वज से ग्रहणा करता था। उसके मन में था की वो अपने भाई और राजा की हत्या कर दे। और एक समय घात लगाकर व्रजध्वज ने महीध्वज की हत्या कर दी। हत्या करने के बाद उसने राजा को एक वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर दबा दिया। राजा की अकाल मृत्यु होने की वजह से राजा प्रेत योनि में चला गया और जिस वृक्ष के नीचे दबाया था उसी के ऊपर रहने लगा। अब उस पेड़ के नीचे से जो भी कोई गुजरता राजा उसको ही दुखी करने लग जाता।
एक समय बीत जाने के पश्चात वहां से ऋषि जा रहे थे, राजा ने उनको भी परेशान करने की कोशिश की, परन्तु ऋषि ने अपने ज्ञान और तप से पता लगाया कि यह प्रेत आत्मा कौन है? ऋषि को जब राजा के प्रेत बनने की कहानी पता चली तो उन्होंने आत्मा को पेड़ से नीचे उतार कर राजा को परलोक विद्या के बारे में ज्ञान कराया। अब ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखा और जब व्रत पूरा हो गया तो उसका पुण्य प्रेत आत्मा को दे दिया। राजा को ये पुण्य मिलने के बाद वह प्रेत योनि से मुक्त हो गया और स्वर्ग की और बढ़ गया। तो यह थी अपरा एकादशी व्रत कथा जिसको इस व्रत के दौरान पढ़ा भी जाता है।
अपरा एकादशी का ज्योतिष महत्व
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की अपरा एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप कर्म खत्म हो जाते हैं और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है।
- गौ हत्या, अजन्में बच्चे की हत्या करने जैसे बड़े पाप भी इस व्रत को करने से खत्म हो जाते हैं।
- इस व्रत को सफलतापूर्वक करने से व्यक्ति को उसके सभी कार्यो में अवश्य ही सफलता प्राप्त होती है।
- जो व्यक्ति इस व्रत को सफ़लतापूर्वक पूरा करता है वह अपने सारे पाप कर्मो से छुटकारा पाकर अपनी आत्मा का उत्थान करने लगता है।
- इस व्रत को करने से भूत योनि में जाने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है, और वह अपनी गन्दी आदतें छोड़ कर सचाई और अच्छाई की तरफ बढ़ सकता है।
अपरा एकादशी पर ज्योतिष शास्त्रों के द्वारा बताए गए उपाय
अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर सूरज उदय होने के तुरंत बाद पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में खुशियां आएंगी विष्णु भगवान का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा।
घी का दीपक जलाकर रखें और विष्णु कवच का पाठ करें ऐसा करने से आपके ऊपर कभी कर्ज नहीं होगा।
अपरा एकादशी के दिन कुछ मीठा बनाना चाहिए जैसे खीर या हलवा। इसका भोग भगवान विष्णु को लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद प्रसाद को सभी को बांटना चाहिए। ऐसा करने से घर में शांति रहती है। तनाव की स्थिति नहीं रहती।
अपरा एकादशी के दिन किसी गरीब को खाना या धन और जरूरत का सामान देना चाहिए। दान देने से घर में धन बढ़ने लगता है। और मन को शांति मिलती है।
अपरा एकादशी इस बार 19 मई गुरुवार के दिन आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपडे पहना कर पूजा करने से अधिक लाभ मिलेगा। इस काम को करने से जातक की कुंडली के ग्रहों की ताक़त बढ़ती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. अपरा एकादशी का व्रत कौन रखता है?
2. अपरा एकादशी पर विष्णु भगवान को किस चीज का भोग लगा सकते हैं?
3. अपरा एकादशी तिथि कब है ?
4. इस व्रत को करने से क्या लाभ होंगे?
5. इस व्रत में क्या खाया जाता है।
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