
दक्षिण भारत के त्योहारों में ओणम का त्यौहार प्रमुख है। ओणम का उत्सव मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है। ओणम को थिरुवोणम के नाम से भी जाना जाता है। थिरुवोणम एक मलयालम शब्द है। ओणम का उत्सव 10 दिनों तक चलता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन राजा बलि पृथ्वी पर आये थे। इसी कारण ओणम का उत्सव मनाया जाता है। ओणम के पर्व के समय थिरुवोणम नक्षत्र प्रबल होता है। हिंदी में थिरुवोणम नक्षत्र को श्रवण नक्षत्र के नाम से जाना जाता है। ओणम पर्व को भारत में नहीं बल्कि विदेश के लोग भी मनाना पसंद करते हैं। भारत के दक्षिण राज्य के केरल में ओणम त्योहार मुख्य रूप से धूमधाम से मनाते हैं।
ओणम 2024 की तारीख क्या है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार ओणम का पर्व भाद्रपद या अश्विन माह में पड़ता है। वर्ष 2024 में ओणम की तिथि 15 सितंबर दिन रविवार को है। यह पर्व 10 दिन तक चलता है।
ओणम 2024 का समय-
यह पर्व थिरुवोणम नक्षत्र में होता है। थिरुवोणम नक्षत्र का प्रारम्भ 14 सितंबर को रात 8 बजकर 32 मिनट से होगा। थिरुवोणम नक्षत्र समाप्त होने का समय 15 सितंबर को शाम 6 बजकर 49 मिनट है।
ओणम का महत्व-
यह पर्व 10 दिनों तक चलता है। प्रत्येक दिन अपना एक अलग ही महत्व होता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार थिरुवोणम नक्षत्र के प्रबल होने पर ओणम का उत्सव मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाला यह ओणम उत्सव अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का पर्व चिंगम माह में पड़ता है। चिंगम मलयालम कैलेंडर के अनुसार पर्व का प्रथम मास होता है। ओणम के पर्व पर लोग 12 दिनों तक फूलों से साज-सज्जा की जाती है। ओणम का दसवां दिन अत्यधिक खास होता है।
ओणम पर्व के 10 दिनों का अर्थ-
आइये जानते हैं ओणम के दस दिनों का अर्थ और महत्व। ओणम पर्व के 10 दिन बेहद ख़ास होते हैं।
ओणम पर्व का प्रथम दिन-
- प्रथम दिन को एथम या अथम नाम से जाना जाता है।
- इस दिन सुबह उठकर पूजा भगवान की पूजा करनी चाहिए।
- ओणम के प्रथम दिन केला और पापड़ का सेवन करना चाहिए।
- यह नाश्ता पूरे ओणम पर्व के 10 दिन तक खाया जाता है।
- इसके पश्चात लोग ओणम पूकलम का निर्माण करते हैं।
ओणम पर्व का दूसरा दिन-
- दूसरे दिन को चिथिरा नाम से जाना जाता है।
- ओणम के दूसरे दिन की शुरुआत भी पूजा से की जाती हैं।
- इस दिन पुरुष फूल तोड़ कर लाते हैं।
- इसके पश्चात फूलों को महिलाएं पूकलम में जोड़ती हैं।
ओणम पर्व का तीसरा दिन-
- तीसरे दिन को चोधी नाम से जाना जाता है।
- इस दिन विशेषकर ओणम के पर्व के लिए वस्तुओं को खरीदा जाता है।
- यह दिन ओणम पर्व के लिए अत्यधिक ख़ास माना जाता है।
ओणम पर्व का चौथा दिन-
- चौथे दिन को विकासम के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
- इन प्रतियोगिताओं फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिता प्रमुख है।
- चौथे दिन महिलाएं आखिरी दिन के लिए खाने की चीज़े पापड़, अचार और आलू के चिप्स आदि बनाती हैं।
ओणम पर्व का पांचवा दिन-
- पांचवें दिन को अनिजाम नाम से जानते हैं।
- इस दिन नौका दौड़ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
- इस प्रतियोगिता को वल्लमकली नाम से पुकारा जाता है।
ओणम पर्व का छठा दिन-
- इस दिन को थ्रिकेता नाम से जाना जाता है।
- छठे दिन पर आस पास के सभी लोगों और प्रियजनों को शुभकामनाएं दी जाती हैं।
- कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
ओणम पर्व का सातवां दिन-
- सातवें दिन को मूलम नाम से जाना जाता है।
- इस दिन बाजार अनेक प्रकार के खाने की चीज़ों से भरा होता है।
- सभी लोग इस दिन भरपूर लुफ्त लेते है।
- यह दिन लोगों के अंदर उत्साह लेकर आता है।
- ओणम पर्व के सातवें दिन मेले लगते हैं।
ओणम पर्व का आठवां दिन-
- आठवें दिन को पूरादम नाम से जाना जाता है।
- इस दिन बड़े आकार की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है।
- इन मूर्तियों को फूल चढ़ाए जाते हैं और इनको माँ कहा जाता है।
ओणम पर्व का नौवां दिन-
- इस नौवें दिन को उथिरादम नाम से जानते हैं।
- ओणम पर्व का यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- इस दिन राजा बलि की प्रतीक्षा की जाती है।
- यह दिन प्रथम ओणम कहलाता है।
ओणम पर्व का दसवां दिन-
- इस दिन को थिरुवोणम नाम से जाना जाता है।
- ओणम पर्व का यह दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- दसवें दिन पर राजा बाली पृथ्वी पर आते हैं।
- सभी लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और फूलों के सुन्दर पूकलम बनाए जाते हैं।
- इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किये जाते हैं।
- ओणम के इस दिन को दूसरा ओणम कहा जाता है।
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