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जानिए 2022 के वैशाख माह में पड़ने वाला प्रदोष व्रत क्यों है ख़ास ?

By May 12, 2022November 21st, 2023No Comments
Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत क्या है ?

प्रदोष व्रत भगवान शिव को खुश करने के लिए किया जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार वैशाख का महीना शिव जी का प्रिय महीना माना जाता है। इस माह शिव जी की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। प्रत्येक माह के 2 त्रयोदशी होती हैं। त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव भक्तों के लिए ये व्रत किसी त्योहार से कम नहीं है। वैशाख माह में पड़ रहा प्रदोष व्रत और भी ख़ास हो जाता है। इस माह विशेष तरह का सयोंग बन रहा है। भगवान शिव के भक्त इस व्रत का खासकर इंतज़ार करते रहते हैं।

Shiv Bhakt

प्रदोष व्रत 2022 की तिथि और समय-

प्रदोष व्रत 2022 की तिथि 13 मई 2022 दिन शुक्रवार को है। त्रयोदशी की अवधि 13 मई से 14 मई तक है। त्रयोदशी का समय 13 मई 5 बजकर 29 मिनट से लेकर 14 मई दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक है।
शिव जी की पूजा करने का शुभ समय शाम को 7 बजकर 4 मिनट से लेकर 9 बजकर 9 मिनट तक है। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त के समय भगवान शिव की पूजा करना विशेष लाभ देता है।

Pradosh Vrat

प्रदोष व्रत का नियम-

  • प्रदोष व्रत के नियम का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • प्रदोष व्रत में घर की साफ़-सफाई और स्वछता रखनी चाहिए।
  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
  • साफ़ कपडे धारण करने चाहिए।
  • भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • इसके बाद भगवान शिव का विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • विशेष रूप से रुद्राक्ष की माला से शिव जी का जाप करना चाहिए।
  • पुनः शाम को स्नान करना चाहिए।
  • शाम को भी पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • प्रदोष व्रत की कथा करना अति आवश्यक है।

Pradosh Vrat Ke Niyam

प्रदोष व्रत कथा –

हिन्दू शास्त्र के अनुसार एक समय चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था। जिससे उनको मृत्यु जैसा कष्ट सहना पड़ रहा था। त्रयोदशी के दिन भगवान शिव ने उन्हें पुनः जीवनदान दिया था। तभी से इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा। प्रत्येक प्रदोष व्रत कथा अलग अलग होती है। हिन्दू धर्म में इस व्रत को रखने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पुराण की कथा में बताया गया है कि चंद्रदेव की 27 पत्नियां थी। जिसमे से एक पत्नी जिसका नाम रोहिणी था। उससे अधिक प्रेम करते थे बाकी 26 पत्नियों से दूर रहते थे। इसी कारण उनको श्राप दे दिया गया था। जिससे उनको कुष्ठ रोग हो गया था। तभी चंद्रदेव ने शिव की आराधना की थी। शिव जी के आशीर्वाद से उनका कुष्ठ रोग दूर हो गया था।

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Jaya Verma

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