
शूर्पणखा कौन थी?
रामायण का दुष्ट किरदार शूर्पणखा है। शूर्पणखा रावण की बहन थी। शूर्पणखा के नाम को लेकर कई तरह के मत हैं। एक मत के अनुसार कहा जाता है। सूपे जैसे नाख़ून होने के कारण नाम शूर्पणखा पड़ा। दूसरा मत यह है। शूर्पणखा का नाम शूर्पणखा की नाक की बनावट से सम्बंधित है। शूर्पणखा का अर्थ है- सूप जैसे नाख़ून वाली। शूर्पणखा के पति का नाम विद्युत्जिह्व था। यह कालकेय नामक दैत्य वंश से था। शूर्पणखा अत्यधिक सुन्दर थी। बचपन में शूर्पणखा का नाम मीनाक्षी था। शूर्पणखा का मुख चन्द्रमा के समान था।
श्री राम और रावण के युद्ध का कारण बनी शूर्पणखा।
आइये जानते हैं शूर्पणखा की कहानी। वाल्मीकि के अनुसार। एक बार शूर्पणखा विवाह का प्रस्ताव लेकर श्री राम के पास गयी। श्री राम का विवाह देवी सीता के साथ हो चुका था। यह जानते हुए भी शूर्पणखा ने विवाह का प्रस्ताव श्री राम जी को दिया। श्री राम ने विवाह करने से मना कर दिया। इसके पश्चात शूर्पणखा विवाह का प्रस्ताव लेकर लक्ष्मण के पास गयी। लक्ष्मण ने भी शूर्पणखा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। शूर्पणखा को यह अपना अपमान लगा। उसने बदला लेने का ठान लिया। अपना बदला लेने के लिए सीता के पास गयी। लक्ष्मण ने यह देखा तो लक्ष्मण को क्रोध आया। राम के कहने पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट दी। इसलिए राम से बदला लेना चाहती थी शूर्पणखा।
शूर्पणखा ने लिया बदला-
शूर्पणखा ने यह बात अपने भाई रावण को बताया। रावण ने बदला लेने के लिए सीता का हरण कर लिया। एक बार की बात है। सीता अपनी कुटिया में अकेली थी। रावण ने एक साधु रूप धारण करके। सीता की कुटिया में आया और भिक्षा मांगने लगा। लक्ष्मण ने सीता जी की रक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी। जिसे सीता पार नहीं करना चाहती थी। पर साधु को लौटाना धर्म के अनुचित था। जैसे ही भिक्षा देने के लिए सीता कुटिया से बाहर आयी। रावण अपने असली रूप में आ गया। सीता का हरण करके अपनी लंका में ले गया था। सीता को बचाने के लिए रावण और राम के बीच युद्ध हुआ था। इस कथा से हमें पता चलता है। सीता नहीं शूर्पणखा थी राम और रावण के बीच युद्ध का कारण।
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