
ऋषि विश्वामित्र कौन थे?
विश्वामित्र एक श्रेष्ठ ऋषि थे। इनको चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त था। ऋषि विश्वामित्र को ज्ञान और कठोर तप के कारण महर्षि की उपाधि मिली। प्राचीन काल के यह पहले ऋषि थे। जिसने गायत्री मंत्र को पूरी तरह से समझा था। ऋषि विश्वामित्र प्रतापी और तेजस्वी महापुरुष थे।
आज हम इस लेख में जानेंगे। ऋषि विश्वामित्र की तपस्या का रहस्य। रंभा कौन थी? क्यों विश्वामित्र की तपस्या भंग करने आई रंभा। क्यों करना चाहती थी रंभा ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग।
स्वर्गलोक की अप्सरा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार। स्वर्गलोक में कई अप्सरा रहती थी। जो स्वर्गलोक की शोभा बढाती थी। इंद्र इन अप्सराओं को महान ऋषियों की तपस्या को भंग करने के लिए धरती पर भेजते थे। यह अप्सराएं इंद्र का मनोरंजन करती थी। हम आपको ऐसी अप्सरा की कहानी बताएँगे। जिसका नाम रंभा था। रंभा ने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी।
रंभा कौन थी?
स्वर्गलोक की बेहद खूबसूरत अप्सरा रंभा को माना जाता था। रंभा अपनी कामुक अदाओं के कारण इंद्रलोक में प्रसिद्ध थी। प्राचीन कथाओं के अनुसार। देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। उस समुद्र मंथन में अप्सरा रंभा की उत्पत्ति हुई थी। रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी भी थी। कुबेर और रावण भाई थे। इस रिश्ते से रावण की बहू रंभा थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है। एक बार रावण ने रंभा को गलत नजरों से देखा था। रंभा के साथ जबरदस्ती भी की। जिसके कारण रंभा ने रावण को श्राप दे दिया था। अगर रावण किसी स्त्री पर गलत नजर डालेगा। तो उसके सिर के 100 टुकड़े हो जाएंगे।
ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने पहुंची रंभा-
आइये जानते हैं। ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने पहुंची स्वर्ग की सुन्दर अप्सरा। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है। एक बार ऋषि विश्वामित्र कठोर तपस्या कर रहे थे। विश्वामित्र की तपस्या से इंद्र देव भयभीत हो गए थे। इंद्र ने रंभा को ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए भेजा। रंभा अपनी कामुक अदाओं से ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने लगी। थोड़े समय में विश्वामित्र की तपस्या भंग हो गयी। ऋषि विश्वामित्र क्रोधित हो गए। उन्होंने रंभा को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप दिया। स्वर्ग की सबसे खूबसूरत अप्सरा पत्थर की बन गयी।
कहा जाता है। मूर्ति बनने के पश्चात रंभा ने शिव पार्वती की आराधना करना आरम्भ कर दिया। कई वर्षों तक आराधना करने के बाद शिव- पार्वती खुश हुए। रंभा को श्राप से मुक्त कर दिया।
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