आइए जानते हैं, नंदी बैल कैसे बने शिव जी की सवारी। भगवान शिव त्रिदेव में से एक है। सृष्टि के संहारक के रूप में भगवान शिव को जाना जाता है। आज हम जानेंगे शिव जी के गण नंदी का रहस्य और नंदी कैसे बने थे शिव जी के वाहन।
शिव जी के बारे में-
भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है। जटाशंकर महादेव भोलेनाथ और आदिनाथ। शिव जी के अनेक नाम है। शिवजी की वेशभूषा बिल्कुल विचित्र है। शिवजी का अस्त्र त्रिशूल है। शिवजी के गले में एक नाग लिपटा रहता है। जिसका नाम वासुकी है। कैलाश पर्वत शिव जी का निवास है। कैलाश पर्वत पाताल लोक के ऊपर है।
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शिव जी के गण नंदी का रहस्य-
जब असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था। तब उस समुद्र मंथन में एक विष भी निकला था। जिसका नाम हलाहल विष पड़ा। यह विष इतना खतरनाक था। कि उसकी एक बूंद सृष्टि के विनाश के लिए बहुत थी। तब भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया यानि पी लिया था। पीते वक्त उसकी कुछ बूंदे धरती पर गिर गई। इन बूंदों को नंदी ने अपनी जीभ साफ किया था।
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नंदी कैसे बने शिवजी के वाहन-
बैल नंदी ने हलाहल विष की कुछ बूंदे अपनी जीभ से साफ की थी। नंदी का यह समर्पण देखकर शिवजी अत्यधिक प्रसन्न हुए। नंदी को अपना प्रिय भक्त मानने लगे थे। शिव जी ने प्रिय भक्त की उपाधि नंदी बैल को दे दी। शिव जी नंदी बैल को सबसे खास मानने लगे। शिव जी ने कहा अगर पार्वती की सुरक्षा मेरे साथ है। तो नंदी के साथ भी पार्वती की सुरक्षा होगी। उसके पश्चात शिवजी ने नंदी बैल को ही अपना वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया। ऐसे बने थे नंदी शिवजी के वाहन।
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