हर व्यक्ति इच्छुक होता है अपने जीवनसाथी से मिलने के लिए और ज्योतिष शास्त्र में इसके विभिन्न उपाय बताये गए है । ज्योतिष मानव जीवन पर ग्रह, सितारों, साथियों और अन्य खगोलीय निकायों के प्रभाव का अध्ययन माना गया है । यह एक सही तरीका है जिससे आपके जीवन की विभिन्न संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। चाहे वो विवाहित जीवन हो या करियर हो या जीवन की कोई भी समस्या हर समस्या का हल ज्योतिष के पास होता है। विशेष रूप से जीवन साथी की भविष्यवाणियों और सच्चे प्रेम की अनुकूलता ज्योतिष पद्धति का उपयोग करके आसानी से पता लगाया जा सकता है।
शादी भविष्यवाणी जन्मतिथि के अनुसार?
किसी भी व्यक्ति के लिए शादी एक बहुत महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है,जो दो आत्माओं को एक बंधन में बांधता है और जीवन को सुखमय बनाता है, इसलिए व्यक्ति हमेशा इस विषय में जानने की कोशिश करता है की उसकी शादी-शुदा जीवन कैसा होगा जिसके लिए व्यक्ति अलग अलग विधि चुनते है – जैसे की न्यूमेरोलॉजी ज्योतिष की भविष्यवाणी या कई बार कुंडली में जन्मतिथि को देखकर शादी की भविष्यवाणी करते हैं। कुंडली से गुणों का मिलान के बाद वर वधु की जन्म राशि (जन्मतिथि ) के आधार पर विवाह मुहूर्त निकाला जाता है। विवाह संस्कार के लिए जन्म राशि के आधार पर एक निश्चित तिथि, वार, नक्षत्र और समय निकाला जाता है जो विवाह मुहूर्त कहलाता है।
कुंडली से जाने कैसी पत्नी मिलेगी-
जब कुंडली की बात करते है तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण कुंडली का सप्तम भाव माना जाता है,और यदि कुंडली में सप्तम भाव हो तो व्यक्ति को सुंदर और भाग्यशाली पत्नी मिलती है।बल्कि ऐसे लोगों को अक्सर शादी बाद जीवन में सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति का जीवनसाथी अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता है और शादी के बाद हमेशा अपने जीवनसाथी को खुश रखता है।
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कुंडली से जाने अपना भविष्य –
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग तरीके से भाग्य या भविष्य बताया जाता है। माना जाता है कि भारत में लगभग 150 से ज्यादा ज्योतिष विद्या प्रचलित हैं। प्रत्येक विद्या आपके भविष्य को बताने का दावा करती है। माना यह भी जाता है की प्रत्येक विद्या भविष्य बताने में सक्षम है , जिसमे सबसे प्रचलित है कुंडली ज्योतिष – यह कुंडली पर आधारित विद्या है। इसके तीन भाग है – सिद्धांत ज्योतिष ,संहिता ज्योतिष और होरा शास्त्र। इस विद्या के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय में आकाश में जो ग्रह और 27 नक्षत्रों का अध्ययन पर जातक का भविष्य बताया जाता है। जब जीवनसाथी की चयन की बात आती है तो लग्न अनुसार जीवनसाथी का चयन सबसे उत्तम माना गया है। आप अपनी शादी का योग जानना चाहते है तो ज्योतिष भाव के अनुसार जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न हो उसी वर्ष आपकी शादी का योग बनता हैं। सप्तमेश की महादशा – अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव होता है।
राशियों के अनुसार अपने आत्म साथी से मिलान-
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिव उसके व्यक्तित्व लक्षणों और उसकी विशेषताओं पर निर्भर करता है, सूर्य सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ ही व्यक्तियों के जन्म कुंडली में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है। इसीलिए अनुकूल राशि जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि सूर्य राशि उस पर कैसे प्रतिक्रिया करती है इससे विवाहित जीवन तथा उसका आत्मसाथि कैसा होगा इसकी भी जानकारी मिलती है। राशियों की बहुत बड़ी भूमिका होती है सही जीवनसाथी से मिलने में। हिन्दू धर्म में विवाह के समय सबसे आवश्यक कार्य है कुंडली मिलान। वर – वधु के कुंडली और गुण मिलान के आधार पर ही विवाह तय किया जाता है। विवाह तय करने से पहले वर और वधु के गुणों का मिलान किया जाता है। इसमें वर और वधु की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है। जब दोनों के न्यूनतम गुण मिल जाते हैं तभी शादी का योग बनता हैं।
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