
परशुराम जी के बारे में-
परशुराम जी का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। ये भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। उनका नामकरण संस्कार से राम नाम मिला पर जब भगवान शिव ने अपना अस्त्र दिया जिसका नाम परशु था तब से उनका नाम परशुराम हो गया। इनका जन्म त्रेता युग में हुआ था। इनके पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थी। परशुराम जी सदैव अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करते थे। एक दिन पिता ऋषि जमदग्नि जी के कहने पर परशुराम जी ने अपनी माता का वध कर दिया था। परशुराम जी ने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की थी तब भगवान विष्णु ने उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया। परशुराम जी श्री राम और श्री कृष्ण दोनों के काल में थे। ये सम्पूर्ण तरह से हिन्दू धर्म के हैं। परशुराम जी ने ही श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र प्राप्त कराया था।
परशुराम जयंती की तिथि और समय-
परशुराम जयंती 2022 में 3 मई दिन मंगलवार को पड़ेगी। इस जयंती का समय 3 मई 2022 को सुबह 7 बजकर 20 मिनट से अगले दिन 4 मई 2022 को 7 बजकर 30 मिनट पर ख़त्म हो जाएगा। हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस दिन आप जो पुण्य करते हैं वो पुण्य कभी ख़त्म नहीं होता है। हिन्दू धर्म के लोग इस जयंती को अवसर के रूप में मनाते हैं।
परशुराम जयंती का महत्व-
हिन्दू धर्म में परशुराम जयंती अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन सूर्य के उदय होने से पहले किसी पवित्र नदी में नहाना चाहिए और पूरी विधि पूर्वक परशुराम जी की पूजा करनी चाहिए। इससे आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। कहते हैं कि अगर आपको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो इस दिन व्रत रखने से आपको संतान का सुख प्राप्त होगा। परशुराम जयंती वाले दिन अगर आप भूखों को भोजन कराते हैं तो आपको लाभ मिलेगा।