
भारत के कई राज्यों में होली का त्योहार बहुत प्रसन्नता और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार हिन्दू धर्म के पावन त्योहार में से एक है। होली के त्योहार की शुरूआत होलिका दहन से होती है जो प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता रहा है कि होलिका दहन के दिन लोग अपनी सभी बुरी यादें, बुरे विचार, बुरे कार्य मखाने, गोबर के उपले आदि साम्रगी के माध्यम से होलिका की अग्नि में डालकर दहन कर देते है। फिर इसके अगले दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली के त्योहार का जश्न मनाते है।
इस साल ज्योतिषियों ने कई राशियों में होली(Holi) के त्योहार का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव का उल्लेख किया है। अगर आप भी अपनी राशि में होली के त्योहार के शुभ-अशुभ परिणाम जानना चाहते है तो हमारी इंस्टाएस्ट्रो की वेबसाइट पर जाएं और लेख पढ़े।
जाने होलिका दहन 2025 (Holika Dahan 2025) तिथि –
हर साल की तरह इस साल भी होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के प्रदोष काल में होगा। होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है और इसके अगले दिन बड़ी होली होती है। जिसे कृष्ण प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल होलिका दहन का पर्व 13 मार्च रविवार 2025 को मनाया जाएगा। इसके अगले दिन 14 मार्च को होली होगी जो रंगो के साथ मनाई जाती है। जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
कब है होलिका दहन (Holika Dahan)का शुभ मुहूर्त-
वैसे तो व्यक्ति के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। शुभ मुहूर्त में किया गया कोई भी काम व्यक्ति को शुभ फल देता है। जैसे नए घर में प्रवेश करने के लिए या कोई नई गाडी खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है। हमारे शास्त्रों में भी शुभ मुहूर्त की विशेषताओं के बारे में बताया गया है। इन्ही शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के लिए भी शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है। इस साल 13 मार्च रविवार 2025 को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू है। होलिका दहन शुभ मुहूर्त रात 11:26 मिनट से शुरू होकर रात 12:29 मिनट तक रहेगा।
जाने क्या है होलिका दहन का महत्व –
भारत के कई हिस्सों में होलिका दहन को लेकर अलग-अलग मान्यताएं, अलग-अलग रिवाज और अलग-अलग तरीके है। लेकिन इन तरीकों, रिवाजों और मान्यताओं को छोड़कर सबके लिए होलिका दहन का एक सा ही महत्व है। होलिका दहन का मतलब बुराइयों का नाश करना और व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा के संचाकर को रोकने से माना जाता है। अगर आप होलिका दहन के महत्व का वास्तविक अर्थ जानना चाहते है तो आपको इसके पीछे की कहानी को जानना जरूरी है।
क्यों मनाया जाता है होलिका दहन जाने इसकी पीछे की कहानी-
प्रसिद्ध पौराणिक मान्यताओं में होलिका और भक्त प्रहलाद की कहानी जिसे शायद ही किसी भारतीय ने न सुना हो। इस कथन के अनुसार प्रहलाद जो विष्णु भगवान के भक्त थे। लेकिन प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप असुरों के राजा और देवताओं के शत्रु थे। ऐसे में वह यह बर्दाश्त कैसे कर सकते थे कि उनके घर में उनका ही पुत्र देव भक्त बन जाए। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से बहुत बार मना किया पर प्रहलाद नहीं माने। वह निरंतर भगवान विष्णु की भक्ति में लगे रहे। जिसे देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को काफी कठोर सजाएं जी लेकिन प्रहलाद उन सजाओं से बच निकले।
अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को आमंत्रित किया। अपने भाई के कहे अनुसार होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन इस अग्नि में प्रहलाद तो नहीं जले पर होलिका जल गई। हालांकि होलिका को भगवान शिव से अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। इस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया गया। जो सच्चाई की जीत का प्रतीक बना और बुराई का अंत हुआ।
ऐसी ही एक कथा भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी है। कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने पर शिव ने अपने त्रिनेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया। हालांकि कामदेव की पत्नी रति की याचना पर भगवान शिव ने कामदेव को एक पेड़ के रूप में पुनर्जीवित किया। जिस दिन कामदेव भस्म हुए थे वह दिन भी होलिका का ही था। जिसे होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। यह कथाएं होलिका दहन का महत्व ज्ञात करने और इस दिन के बारे में अनसुने पहलुओं को जानने का अनोखा स्रोत है।
होलिका दहन पूजा विधि-
- होलिका दहन पूजा विधि में गोबर के उपलों, गेहूं की बालियां, नारियल, उबटन, मखाने आदि का विशेष महत्व है।
- ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के दिन शुद्ध लकड़ियां इकट्ठा की जाती है और उसे गोबर के उपलों के साथ जला दिया जाता है।
- होलिका दहन की अग्नि में लोग गेहूं की बालियां, नारियल, उबटन, मखाने आदि को डालकर लोग अपने और दूसरों के सुख और समृद्धि की कामना करते है।
- ज्योतिषियों द्वारा होलिका दहन पूजा विधि शुभ मुहूर्त में की जाने की सलाह दी जाती है।
- अगर होलिका दहन पूजा विधि शुभ मुहूर्त में की जाती है तो इसके सकारात्मक परिणाम निकलते है।
- ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन पूजा विधि एक नियम के अनुसार बताई गई है।
- इसलिए हर जातक को इन नियमों का पालन करना चाहिए अन्यथा उसके बुरे परिणाम भी हो सकते है।
जाने होलिका दहन में क्या करें और क्या न करें-
होलिका दहन में क्या करें। इसके बारे में कुछ उपाय नीचे बताए गए है:
- होलिका दहन के दिन शुभ मुहूर्त में उठे और नियमित रूप से पूजा पाठ करें।
- हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन 2025 के शुभ मुहूर्त, समय, तिथि और पूजा विधि का पता करें।
- होलिका दहन में प्रयोग होने वाली सामग्री का ही उपयोग करें।
- दहन की शुरुआत भगवान गणेश जी की आरती से करें क्योंकि हिंदू धर्म के किसी भी त्योहार में भगवान गणेश का पूजन सभी देवताओं से पहले होता है।
- होलिका की अग्नि की राख को अपने पास रखे। ज्योतिष शास्त्र में होलिका की राख बहुत पवित्र और चमत्कारी मानी गई है जो आपको सभी बीमारियों से दूर करती है।
- घर के बड़े लोगों को अबीर, गुलाल लगाएं और उनका आशीर्वाद लें।
- होलिका की परिक्रमा करें।
होलिका दहन में क्या न करें के बारे में कुछ उपाय नीचे बताए गए है:
- किसी भी तरह की नशीली चीजों का सेवन करने से बचें।
- हिंदू धर्म शास्त्रों में गर्भवती महिलाओं का होलिका की परिक्रमा करना वर्जित माना गया है।
- घर के बुजुर्गों में भगवान का वास होता है। इसलिए गलती से भी इनका अपमान न करें।
- होलिका दहन के दिन किसी को पैसे उधार देने से आपका भाग्य भी उसके साथ चला जाता है।
- इसलिए गलती से भी किसी को पैसे उधार न दें।
घर के छोटे, बड़े या अपने जीवनसाथी के साथ झगड़ा न करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. होलिका दहन का त्यौहार कब आता है?
2. देश के अन्य राज्यों में होली को और किस नाम से जाना जाता है?
3. मणिपुर में होली किस प्रकार मनाई जाती है?
4. क्या फर्क है होली और दिवाली में ?
5. किस देवता की पूजा होली के दिन की जाती है?
6. होलिका दहन में क्या न करें?
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होलिका दहन और होली से जुड़ी अन्य रोचक और अनसुनी कथाएं जानने के लिए आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।