
गायत्री जयंती क्या है?
हिन्दू संस्कृति की जन्मदात्री माँ गायत्री को माना जाता है। चारों वेदों की उत्पत्ति गायत्री माँ से ही हुई है। चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र को माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि चार वेदों को पढ़ कर जो पुण्य मिलता है। उतना पुण्य एकमात्र गायत्री मंत्र का जाप और गायत्री मंत्र को समझने से प्राप्त होता है।
गायत्री माँ को ‘वेदमाता’ भी कहते हैं। क्योंकि इन्हे ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों देवताओं का आराध्य माँ गायत्री को ही माना गया है। वेदों की उत्पत्ति भी गायत्री माँ से हुई थी। इसलिए गायत्री माँ को ‘वेदमाता’ भी कहा जाता है। समस्त ज्ञान की देवी होने के कारण गायत्री माँ को ‘ज्ञान गंगा’ भी कहा जाता है। भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी गायत्री माँ को ही कहा गया है। इसलिए हिन्दू संस्कृति में गायत्री जयंती बहुत महत्वपूर्ण है। गायत्री जयंती को लोग पर्व के रूप में मनाते हैं।
गायत्री जयंती कब मनाई जाती है?
यह ज्येष्ठ माह की एकादशी को मनाई जाती है। गायत्री जयंती को गंगा दशहरा के अगले दिन मनाया जाता है। यह उत्सव श्रावण पूर्णिमा के दिन भी मनाया जाता है। अधिकतर जगहों में गायत्री जयंती को श्रावण पूर्णिमा के दिन ही मुख्य रूप से मनाया जाता है। किन्हीं स्थानों पर यह उत्सव मान्यता अनुसार दशमी एकादशी को मनाया जाता है।
गायत्री जयंती 2022 की तिथि और समय क्या है?
इस जयंती की तिथि को लेकर बहुत से मत बताये गए हैं। गायत्री जयंती 2022 की तिथि 10 जून दिन शुक्रवार को है। गायत्री जयंती प्रारम्भ होने का समय 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट है। समापन होने का समय 11 जून को प्रातः 5 बजकर 45 मिनट है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। यह बहुत शुभ माना जाता है।
गायत्री मंत्र और गायत्री मंत्र का अर्थ-
गायत्री मंत्र – ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।
अर्थ- सृष्टिकर्ता परमात्मा का हम ध्यान करते हैं। परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।।
गायत्री जयंती का महत्व-
माँ गायत्री की महिमा को लेकर प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल में कई बातें कही गई है। वेद, शास्त्र और पुराणों में माँ गायत्री की महिमा को बताया गया है। गायत्री माँ को अथर्ववेद में त्याग, प्राण, कीर्ति, धन और विद्या की देवी माना गया है। माँ की महिमा में वेद व्यास जी ने कहा है। जैसे दूध में घी और फूलों में रास होता है उसी प्रकार चारों वेदों में माँ गायत्री का सार है।
गायत्री मंत्र सबसे पवित्र है। पहले ये मंत्र कुछ देवी देवताओं तक ही सीमित था। कठोर तपस्या करके ऋषि वशिष्ठ ने इस मंत्र को देवी- देवताओं से प्राप्त किया था। इसके पश्चात ऋषि वशिष्ठ ने गायत्री मंत्र को लोगों को बताया। इस गायत्री मंत्र का सभी को लाभ मिल सके। अगर आप गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। तो गायत्री माँ की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी। माँ गायत्री की कृपा से आपको आयु, धन, यश, कीर्ति और शक्ति की प्राप्ति होती है। तभी गायत्री जयंती का महत्व सबसे अधिक है।
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