जीवन में कई तरह की समस्याएं आती है। उन समस्याओं का समाधान संभव होता है। परन्तु कुछ लोग समस्याओं की वजह से आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। आस पास के लोग और परिवार के लोगों को पता भी नहीं चलता आत्महत्या का क्या कारण था? सीधे शब्दों में कहे तो आत्महत्या एक पाप होता है। जो जीवन को समाप्त कर देता है।
आत्महत्या की घटनाएं दैनिक जीवन में आसपास घटित होती रहती है। आत्महत्या की प्रवृत्ति के कई कारण होते हैं। जिसके कारण आत्महत्या की तरफ झुकाव उत्पन्न हो जाता है। आज कल के पढ़ने वाले विद्यार्थी कम अंक लाने पर या फेल हो जाने पर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। कुछ लोग प्रेम,पारिवारिक और करियर आदि से जुड़ी समस्या को लेकर मानसिक रूप से टूट जाते हैं। अपना झुकाव आत्महत्या की तरफ कर लेते हैं।
क्या आप जानते हैं इसके अलावा भी कई कारण होते हैं। जैसे आत्महत्या करने वाली जातक की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्र का न ठीक होना। कुंडली में कई तरह के योग होते हैं जो आत्महत्या की तरफ प्रेरित करते हैं।
आज हम आपको बताएँगे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसे कौन से योग हैं। जो लोगों को आत्महत्या की तरफ ले जाते हैं।
आत्महत्या के ज्योतिषीय कारण–
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी कुंडली में ग्रह अपना स्थान बदलते रहते हैं। जिसके कारण हमारी कुंडली में कई तरह के योग बन जाते हैं। जिससे जातक को मानसिक परेशानियां उत्पन्न हो जाती है। जातक आत्महत्या की तरफ प्रेरित हो जाता है और आत्महत्या कर लेता है। कुछ ऐसे ग्रह भी होते हैं जिनका हमारी कुंडली में आना आत्महत्या का कारण बनता है। इसके अलावा कुछ ग्रह होते हैं जो आत्महत्या की तरफ जाने से रोकते हैं।
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कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति-
- यदि किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर स्थिति में होता है।
- तब व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है।
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता है।
- अगर चंद्रमा पर पापी ग्रह अपनी नजर डालते हैं।
- तो व्यक्ति मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है।
- ऐसे में जातक आत्महत्या की ओर प्रेरित हो जाता है।
कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति-
- बुध ग्रह को बुद्धि का प्रतीक कहा गया है।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है।
- तब व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है।
- ऐसे में व्यक्ति आत्महत्या का निर्णय ले लेता है।
कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति-
- ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह दुःख का प्रतीक होता है।
- अगर कुंडली में शनि ग्रह अच्छी स्थिति में नहीं होता है।
- तो व्यक्ति अपनी परिस्थितियों से हार जाता है।
- अवसाद से हारकर आत्महत्या कर लेता है।
कुंडली में आत्महत्या को प्रेरित करने वाले योग-
- ज्योतिष के अनुसार कुंडली में राहु या मंगल एक साथ अष्टम भाव में स्थित होते हैं।
- पापी ग्रहों का प्रभाव राहु या मंगल पर हो ऐसा योग आत्महत्या के दिशा की ओर ले जाता है।
- बुध ग्रह अष्टम भाव में पापी ग्रह के साथ होता है तब व्यक्ति ऐसा कदम उठा लेता है।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न और सप्तम भाव नीच स्थान पर उपस्थित हो।
- कुंडली के अष्टम भाव में पाप कर्तरी योग हो।
- व्यक्ति की कुंडली में जब शनि ग्रह सही स्थिति में नहीं होता है। तब मृत्यु को प्राप्त हो सकता है।
सूर्य हो शुभ स्थान पर-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में हो। तब ऐसे लोग मन से अत्यधिक सशक्त होते हैं। ऐसे लोग आत्महत्या की तरफ अपना कदम नहीं बढ़ाते हैं। यह लोग अपने विचारों और बातों से दूसरे लोगों के मन सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
आत्महत्या से बचने के उपाय-
- प्रतिदिन पानी भरपूर मात्रा में पिएं और नियमित योग करें।
- ख़राब दिनचर्या से बचे और यह मानसिक तनाव का कारण बनती है।
- शिव जी की पूजा करें। इससे कुंडली में बन रहे योग समाप्त होते हैं।
- श्री कृष्ण जी की पूजा करने से कुंडली के बुरे दोष दूर होते हैं।
- रत्नों को हमेशा ज्योतिषी की सलाह से ही पहनना चाहिए।
- सलाह लेने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात कर सकते हैं।
- अगर आपको जीवन से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या है तो आप बिना डरे इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात कर सकते हैं।
- आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं होता है।
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