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गंगा दशहरा 2022: जानिये गंगा दशहरा के दिन कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं?

By June 6, 2022November 21st, 2023No Comments
Ganga Dussehra

गंगा दशहरा क्या है?

हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन गंगा माँ धरती पर आयी थी। गंगा दशहरा के दिन को ‘गंगावतरण’ के नाम से भी जाना जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान किया जाता है। कहा यह भी जाता है कि भगीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा के उद्धार के लिए गंगा माँ को धरती पर लाये थे। मान्यता यह भी है कि इसी दिन रामेश्वरम में भगवान श्री राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

गंगा दशहरा 2022 की तिथि और समय-

इस वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। 2022 में गंगा दशहरा की तिथि 9 जून दिन गुरुवार को है। गंगा दशहरा आरम्भ होने का शुभ समय 9 जून को सुबह 8 बजकर 10 मिनट है। गंगा दशहरा समाप्त होने का समय 10 जून को सुबह 7 बजकर 20 मिनट है।

गंगा दशहरा 2022 पर शुभ संयोग-

2022 का गंगा दशहरा बहुत ही ख़ास होने वाला है। ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष गंगा दशहरा के दिन दो संयोग बन रहे हैं। जो की बहुत शुभ है। पहला शुभ संयोग यह है कि इस दिन रवि योग बन रहा है। सूर्य उदय होने के साथ ही रवि योग की शुरुआत होगी। इस योग में सभी मांगलिक कार्य और पूजा पाठ करना बहुत शुभ होता है।
गंगा हस्त नक्षत्र के दिन धरती पर अवतरित हुई थी। इस वर्ष 9 जून को गंगा दशहरा पड़ रहा है और इसी दिन हस्त नक्षत्र भी पड़ रहा है। यह दूसरा संयोग है। गंगा दशहरा के दिन यह दो शुभ संयोग बन रहे हैं।

गंगा दशहरा की कथा-

माँ गंगा का धरती पर अवतरित होना ही गंगा दशहरा की कथा मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह ऋषि भागीरथ की कठोर तपस्या की कथा है। भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की उद्धार के लिए गंगा माँ को धरती पर लाये थे। इन्होने गंगा माँ की कठिन तपस्या की। गंगा माँ उनकी तपस्या से खुश हो गयी थी।

भागीरथ ने गंगा माँ से धरती पर आने की प्रार्थना की। तब गंगा माँ पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। पर गंगा माँ ने धरती पर आने से पहले भागीरथ को सतर्क किया। कहा था कि मेरा तेज परवाह धरती पर प्रलय ला देगा। भागीरथ ने इसका उपाय पूछा। तब गंगा माँ ने शिव जी को इस समस्या का उपाय बताया। कहा जाता है कि गंगा के तेज प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए शिव ने अपनी जटाओं में समा लिया था। इसके पश्चात गंगा माँ धरती पर अवतरित हुई थी।भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियों को प्रवाहित किया और पूर्वजों की आत्मा का उद्धार किया।

गंगा दशहरा की पूजा विधि-

  • इस दिन गंगा नदी में नहाना शुभ माना जाता है।
  • गंगा नदी में डुबकी लगाते समय ‘ॐ शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिये।
  • गंगा दशहरा के दिन दान करना बहुत लाभदायक होता है।
  • 10 चीज़ों का दान करने का विशेष महत्व होता है।
  • गंगा दशहरा की पूजा में 10 चीज़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ध्यान रखेंगे कि पूजा में 10 प्रकार के फूल और फल अवश्य हो।
  • गंगा दशहरा की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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