Get App
Aarti & ChalisaEnglishHindi

Ganesh Atharvashirsha ( गणेश अथर्वशीर्ष )

By July 29, 2022November 23rd, 2023No Comments
Ganesh Atharvashirsha

गणेश अथर्वशीर्ष

 

श्री गणेशाय नम:

ॐ भद्रं कर्णेभि शृणुयाम देवा:।

भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।।

स्थिरै रंगै स्तुष्टुवां सहस्तनुभि::।

व्यशेम देवहितं यदायु:।1।

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:।

स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:।

स्वस्ति न स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमि:।।

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।2।

ॐ शांति:। शांति:।। शांति:।।।

ॐ नमस्ते गणपतये।

त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।।

त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।

त्वमेव केवलं धर्तासि।।

त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।

त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।।

त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।

ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।।

अव त्वं मां।। अव वक्तारं।।

अव श्रोतारं। अवदातारं।।

अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।।

अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।।

अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।।

अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।।

सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।3।।

त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।

त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।।

त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।

त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।

त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।4।

सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते।

सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।

सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।।

सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।।

त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।।

त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।5।।

त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।

त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।

त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।

त्वं शक्ति त्रयात्मक:।।

त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।

त्वं शक्तित्रयात्मक:।।

त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।

त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।

वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।6।।

गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।।

अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।।

तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।।

गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।

अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।।

नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।।

गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। ग‍णपति देवता।।

ॐ गं गणपतये नम:।।7।।

एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नोदंती प्रचोद्यात।।

एकदंत चतुर्हस्तं पारामंकुशधारिणम्।।

रदं च वरदं च हस्तै र्विभ्राणं मूषक ध्वजम्।।

रक्तं लम्बोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।।

रक्त गंधाऽनुलिप्तागं रक्तपुष्पै सुपूजितम्।।8।।

भक्तानुकंपिन देवं जगत्कारणम्च्युतम्।।

आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृतै: पुरुषात्परम।।

एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनांवर:।। 9।।

नमो व्रातपतये नमो गणपतये।। नम: प्रथमपत्तये।।

नमस्तेऽस्तु लंबोदारायैकदंताय विघ्ननाशिने शिव सुताय।

श्री वरदमूर्तये नमोनम:।।10।।

एतदथर्वशीर्ष योऽधीते।। स: ब्रह्मभूयाय कल्पते।।

स सर्वविघ्नैर्न बाध्यते स सर्वत: सुख मेधते।। 11।।

सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति।।

प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति।।

सायं प्रात: प्रयुंजानो पापोद्‍भवति।

सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति।।

धर्मार्थ काममोक्षं च विदंति।।12।।

इदमथर्वशीर्षम शिष्यायन देयम।।

यो यदि मोहाददास्यति स पापीयान भवति।।

सहस्त्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत।।13 ।।

अनेन गणपतिमभिषिं‍चति स वाग्मी भ‍वति।।

चतुर्थत्यां मनश्रन्न जपति स विद्यावान् भवति।।

इत्यर्थर्वण वाक्यं।। ब्रह्माद्यारवरणं विद्यात् न विभेती

कदाचनेति।।14।।

यो दूर्वां कुरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति।।

यो लाजैर्यजति स यशोवान भवति।। स: मेधावान भवति।।

यो मोदक सहस्त्रैण यजति।

स वांञ्छित फलम् वाप्नोति।।

य: साज्य समिभ्दर्भयजति, स सर्वं लभते स सर्वं लभते।।15।।

अष्टो ब्राह्मणानां सम्यग्राहयित्वा सूर्यवर्चस्वी भवति।।

सूर्य गृहे महानद्यां प्रतिभासंनिधौ वा जपत्वा सिद्ध मंत्रोन् भवति।।

महाविघ्नात्प्रमुच्यते।। महादोषात्प्रमुच्यते।। महापापात् प्रमुच्यते।स सर्व विद्भवति स सर्वविद्भवति। य एवं वेद इत्युपनिषद।।16।।

।। अर्थर्ववैदिय गणपत्युनिषदं समाप्त:।।

Download Now 

और पढ़ें: Shri Krishna Chalisa (श्री कृष्ण चालीसा)

अधिक जानकारी के लिए आप InstaAstro के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें

अधिक के लिए, हमसे  Instagram  पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें

Get in touch with an Astrologer through Call or Chat, and get accurate predictions.

Nirmal Singh

About Nirmal Singh