हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व होता है। दुर्गा पूजा का अंतिम दिन महानवमी कहलाता है। इसे दुर्गा महानवमी भी कहते हैं। इस दिन पूरे देश में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की जाती है। इस दिन देवी की पूरी विधि विधान से पूजा करते करते हैं और उपवास रखते हैं। दुर्गा महा नवमी के दिन कई तरह की परम्पराएं निभाई जाती हैं।
दुर्गा नवमी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त-
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महानवमी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2024 में दुर्गा नवमी की तिथि 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। नवमी तिथि प्रारम्भ होने का समय 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर है। दुर्गा नवमी की समाप्त तिथि 12 अक्टूबर 10 बजकर 58 मिनट तक है।
दुर्गा नवमी क्यों मनाई जाती है?
आइये जानते हैं दुर्गा नवमी क्यों मनाई जाती है? पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का राक्षस था। महिषासुर को ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान प्राप्त हुआ था। इसी कारण महिषासुर ने देवताओं को परेशान कर रखा था। सभी देवता परेशान होकर ब्रह्मा, शिव जी और भगवान विष्णु के पास गए। यह सब सुनकर तीनों देवता ने एक आदि शक्ति की रचना की। विष्णु जी के क्रोध और अन्य देवताओं के आवाहन करने से माँ दुर्गा प्रकट हुई। इसके पश्चात देवी देवताओं ने उन्हें शक्ति और अस्त्र दिए। फिर माँ दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा। महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच का युद्ध नौ दिन तक चला था और नौवे दिन दुर्गा जी ने महिषासुर ने अंत किया था। इसी कारण इस दिन महानवमी के रूप में जाना जाता है।
दुर्गा नवमी कैसे मनाई जाती है?
- इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र को धारण करना चाहिए।
- दुर्गा नवमी के दिन दुर्गा के रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
- इस दिन माँ को प्रसाद के रूप में नौ प्रकार के फल-फूल और नवरस से बना भोजन का भोग लगाना चाहिए।
- इसके पश्चात धूप, दीपक या अगरबत्ती माँ की आरती करनी चाहिए।
- साथ ही साथ इस दिन दुर्गा नवमी मंत्र और नवम सिद्धिदात्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- मान्यताओं के अनुसार दुर्गा जी के इस रूप की विधि विधान से पूजा करने पर सिद्धि प्राप्त होती है।
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महा नवमी का नवमी हवन-
- दुर्गा नवमी में नवमी हवन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- नवमी हवन को पूजा के बाद करते हैं।
- नवमी हवन का उद्देश्य माँ दुर्गा से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
- यह हवन दोपहर के समय किया जाता है।
- इस हवन में विशेष रूप से प्रत्येक आहुति पर दुर्गा जी के 700 मंत्रों का पाठ करा जाता है।
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