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Chaitra Amavasya 2023: पितृ दोष से मुक्ति दिलाएगा यह अमावस्या

By February 24, 2023December 6th, 2023No Comments
Full moon on Chaitra Amavasya 2023

अमावस्या को हिंदू धर्म में बहुत अशुभ माना जाता है।अमावस्या को नकारात्मक शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में कुल 12 अमावस्या का उल्लेख किया गया है। प्रत्येक महीने में एक अमावस्या आती है। इन्हीं में से एक है चैत्र अमावस्या जो कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आती है। कृष्ण पक्ष में असुरी शक्तियां अपने चरम पर होती है। ज्योतिष शास्त्र में चैत्र अमावस्या को बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा भी कहा गया है कि साल की शुरुआत चैत्र अमावस्या से होती है। क्योंकि यह साल का पहला अमावस्या होता है। उसके बाद अन्य अमावस्या की बारी आती है। नए साल का पहला चैत्र अमावस्या 2023(Chaitra Amavasya 2023)मार्च महीने की 21 तारीख को पड़ रहा है।

अगर आप भी चैत्र अमावस्या व्रत की तिथि, महत्व और पूजा- विधि के साथ-साथ और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से परामर्श करें।

2023 में कब है चैत्र अमावस्या व्रत का मुहूर्त-

चैत्र अमावस्या 2023(Chaitra Amavasya 2023) तिथि मार्च के अंतिम सप्ताह मंगलवार 21 मार्च को मनाई जाएगी। चैत्र अमावस्या मुहूर्त का समय सुबह 1:47 से शुरू होकर रात के 10:52 तक रहेगा। प्रत्येक वर्ष चैत्र अमावस्या कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। चैत्र अमावस्या साल का पहला अमावस्या होता है। उसके बाद अप्रैल में दर्श अमावस्या आता है। ऐसे ही हर महीने एक अमावस्या पड़ती है।

21 march

बहुत रोचक है चैत्र अमावस्या व्रत के पीछे की कहानी: 

कहानी एक खुशहाल राज्य की-

हिंदू शास्त्रों में प्रचलित कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में एक खुशहाल नगर हुआ करता था। हालांकि उस नगर के नाम का जिक्र किसी भी पुराण में नहीं किया गया है। लेकिन मान्यता है कि उस नगर में एक समृद्ध राज्य था। जहां किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। वहां पर सब धन धान्य से भरपूर था। उस नगर के महल में एक राजा और रानी निवास किया करते थे। उस महल के ठीक सामने साहूकार का घर था। आमने सामने रहने के कारण राजा और साहूकार की पत्नी आपस में अच्छे मित्र बन गए।

रानी का राजा से प्रश्न करना ये दुख क्या होता है-

फिर एक दिन अचानक साहूकार के घर से उनकी पत्नी के रोने की आवाजें आने लगी। रानी ने इसका कारण पूछा तो उसे पता चला कि साहूकार के बेटे की मृत्यु हो गई है। इस पर रानी ने राजा से प्रश्न किया कि ये दुख क्या होता है। जिस पर राजा ने कहा कि जब तुम्हारे पुत्र की मृत्यु हो जाएगी तब तुम्हे भी दुख का एहसास होगा जैसा साहूकार की पत्नी को हो रहा है। राजा की बात सुनते ही रानी ने अपने बेटे को महल की छत से नीचे फेंक दिया। भगवान की कृपा से रानी का पुत्र जीवित बच गया।

राजा का रानी को फिर से समझाना कि दुख क्या होता है-

रानी ने एक बार फिर राजा से सवाल किया कि दुख क्या होता है। रानी की बात सुनकर राजा ने उत्तर दिया कि जब पड़ोसी राज्य का राजा मुझे युद्ध में मार देगा और तुम मेरी मृत्यु की खबर सुनाया तब तुम्हे पता चलेगा कि दुख क्या होता है। लेकिन राजा इस युद्ध में विजयी हुआ।

शिव-पार्वती का धरती पर आना और चैत्र अमावस्या व्रत की शुरुआत-

एक दिन राजा ने रानी से कहा कि कल हम गंगा मां के दर्शन के लिए जाएंगे। उस पवित्र जल में स्नान करते हुए जब में डूब कर मर जाऊंगा तब तुम्हें दुख का आभास होगा। ऊपर कैलाश पर्वत पर बैठे भगवान शिव यह सब बड़े आनंद से देख रहे थे। फिर भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा चलो आज एक सुखी आत्मा के दर्शन करके आते हैं। धरती पर आने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने अपना रूप परिवर्तित किया। अब भगवान शिव बकरे के रूप में और माता पार्वती बकरी के रूप में थी। वह दोनो वहीं पर बनी एक बावली के पास घास चरने लगे।

जहां रानी इस वक्त विश्राम कर रही थी। रानी ने माता पार्वती की बात सुन ली जो भगवान शिव से कह रहीं थी कि है देव रानी ने चैत्र अमावस्या का व्रत किया है। इसलिए इनका यह जन्म बिना किसी कष्ट के सुख में बीतेगा। अब रानी ने यह बात राजा को बताई। यह सब सुनने के बाद राजा और रानी दोनों मिलकर चैत्र अमावस्या का व्रत करने लगे। तब से यह व्रत कथा और चैत्र अमावस्या व्रत प्रचलन में हैं।

जाने चैत्र अमावस्या व्रत का महत्व और लाभ:

वैसे तो हर व्रत का अपना महत्व है। लेकिन चैत्र अमावस्या व्रत का महत्व यह है कि यह अन्य व्रत की तुलना जातक को अलग परिणाम देता है। जो काफी शुभ माने जाते है। आइए जानते है चैत्र अमावस्या व्रत करने से मनुष्य को क्या क्या लाभ प्राप्त होता है

  • पहला यह व्रत मनुष्य को पितृ दोष से मुक्त करता है। अगर आपके ऊपर भी पितृ दोष है तो यह व्रत करना आपके लिए काफी फलदायी साबित हो सकता है।
  • दूसरा यह मनुष्य को कालसर्प दोष से भी छुटकारा दिलाता है।
  • कुंडली में लगे ग्रह दोष को दूर करता है।
  • इस व्रत के माध्यम से विवाह में आ रही अड़चने भी दूर होती है।
  • इस व्रत को करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

जाने चैत्र अमावस्या व्रत के लाभ-

चैत्र माह में आने के कारण इस अमावस्या को चैत्र अमावस्या बोला जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चैत्र अमावस्या व्रत के लाभ और हानि के बारे में बताया गया है। ये लाभ और हानि नीचे निम्नलिखित है:

  • इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  • मनुष्य को पितृ दोष के कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
  • यह व्रत व्यक्ति के नकारात्मक विचारों को खत्म करके व्यक्ति में सकारात्मकता लाता है।
  • यह व्रत व्यक्ति की झोली को धन, दौलत से भर देता है।
  • मनुष्य को वैभव प्रदान करता है।
  • यह व्रत मनुष्य के लिए सौभाग्य भी लेकर आता है।

चैत्र अमावस्या व्रत में हानि के संकेत-

यदि मनुष्य यह व्रत नियम के अनुसार न करें तो उसे इस व्रत की कई हानियों का सामना भी करना पड़ता है। जो नीचे दिए गए है:

  • इस दिन पितृ दोष का उपाय न करने से मनुष्य को पूरा जीवन कष्ट भोगना पड़ता है।
  • इस दिन व्यक्ति का शुभ मुहूर्त में न उठना। व्यक्ति के लिए कई समस्याओं का दरवाजा खोल सकता है।
  • चैत्र अमावस्या के व्रत में मांसाहार का सेवन करने से मनुष्य अपने लिए दुर्भाग्य के रास्ते खोलता है।

जाने चैत्र अमावस्या के अनुष्ठान और पूजा विधि-

हिंदू धर्म शास्त्रों में चैत्र अमावस्या व्रत के अनुष्ठान और पूजा विधि का वर्णन मिलता है। चैत्र अमावस्या के अनुष्ठान करते समय व्यक्ति को कुछ जरूरी चीजों का पालन करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में स्नान करें। अगर आप गंगा किनारे नहीं रहते है तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
स्नान करने के पश्चात चैत्र अमावस्या का व्रत रखें।
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करना शुभ माना जाता है। इसलिए आप भी अपने आस पास के जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
चैत्र अमावस्या व्रत की कथा सुने।
इस दिन पितृ दोष की शांति के लिए श्राद्ध की पूजा जरूर करें। श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दान करें।
सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अवश्य चढ़ाएं।
इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा भी अवश्य करें।
इन सब उपायों से पहले चैत्र अमावस्या 2023 की तिथि और पूजा विधि के बारे में पता करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. अमावस्या का अर्थ स्पष्ट कीजिए?

अमावस्या दो शब्दो क मेल अमा और वास्या से बना है। अमा का अर्थ होता है एक साथ और वास्या का अर्थ होता है साथ रहना।

2. साल की आखिरी अमावस्या को किस नाम से जाना जाता है?

साल की आखिरी अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। जो कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आती है।

3. अमावस्या के दिन जो बच्चे जन्म लेते है उनका स्वभाव कैसा होता है?

अमावस्या के दिन जो बच्चे जन्म लेते है उनका जीवन भर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भाग्य भी उनका साथ नहीं देता।

4. वैवाहिक जीवन के लिए अमावस्या क्या लेकर आता है?

वैवाहिक जीवन के लिए अमावस्या अशुभ चीजें लेकर आता है। जो पति-पत्नी के बीच तलाक का कारण बनती है।

5. अमावस्या और पूर्णिमा में क्या फर्क है?

अमावस्या को एक काली रात माना जाता है जो चांद को पूरी तरह ढक लेती है। पूर्णिमा को पूरे चांद का दिन माना जाता क्योंकि आकाश में चांद साफ नजर आता है।

6. चैत्र अमावस्या को चैत्र अमावस्या नाम से ही क्यों पुकारा जाता है?

कृष्ण पक्ष की चैत्र मास में आने के कारण इस अमावस्या को चैत्र अमावस्या नाम से बुलाया जाता है। इस बार चैत्र अमावस्या 2023 तिथि 21 मार्च को पड़ रही है।

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क्या विदेशों में भी बनती है अमावस्या और विदेशो में क्या मान्यताएं है अमावस्या को लेकर जानने के लिए इंस्ट्राएस्ट्रो के ज्योतिषी से अभी संपर्क करें

 

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