
भगवान शिव-
शिव जी के बारे कौन नहीं जानता होगा। शिव देवों के देव महादेव कहलाते हैं। महादेव अनादि और अनंत हैं। शिव जी के अस्त्र त्रिशूल के बारे में तो सभी जानते होंगे। पर क्या आपको पता है त्रिशूल के अलावा और शिव जी के तीन अस्त्र हैं। शिव जी के स्वरूप से कई अस्त्रों का निर्माण हुआ है। शिव जी के अस्त्रों में सृष्टि का विनाश करने की शक्ति थी। शिव जी ने अपने अस्त्रों को देवता और राक्षस को दे दिए थे। शिव जी को आदिनाथ शिव के नाम से भी जाना जाता है। आदिनाथ शिव का जो स्मरण करता है। उसे शैव कहा जाता है।आज हम जानेंगे। शिव जी के अस्त्रों के नाम क्या है।
शिव जी के अस्त्रों के नाम और उनका रहस्य-
आज हम आपको बताएँगे शिव जी के अस्त्र के बारे में। क्यों थे यह अस्त्र शिव जी के लिए प्रिय। इन अस्त्रों से देवता घबराते थे। अस्त्रों के नाम निम्नलिखित हैं।
त्रिशूल-
भगवान शिव के पास कई अस्त्र-शस्त्र थे। परन्तु उन्होंने कई शस्त्र देवताओं को दे दिए थे। शिव जी के पास सिर्फ त्रिशूल अस्त्र था। पर अत्यधिक घातक था। भगवान शिव के हाथों में त्रिशूल नजर आता है। अस्त्र त्रिशूल शिव जी के स्वरुप से जुड़ा हुआ है। शिव ने इस अस्त्र से कई दैत्यों का वध किया था। शिव जी रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर अपना त्रिशूल दान कर दिया था। जब रावण की मृत्यु हुई। तब स्वयं अस्त्र त्रिशूल शिव जी के पास वापस आ गया था। शिव जी का त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों का सूचक है। दैनिक, दैविक और भौतिक। यह विनाश का प्रतीक मन जाता है। शिव जी के त्रिशूल में 3 प्रकार की शक्तियां होती हैं। सत,रज और तम। शिव जी का महाअस्त्र त्रिशूल था।
पिनाक धनुष-
भगवान शिव का पिनाक धनुष महाप्रलयंकारी था। पिनाक धनुष धारण करने के कारण ही शिव जी पिनाकी कहलाये जाते हैं। इस धनुष की टंकार से बादल फट जाते थे। धरती डगमगा जाती थी। ऐसा लगता था धरती पर भूकंप आ गया है। यह पिनाक धनुष अत्यधिक शक्तिशाली था। देवताओं का काल जब समाप्त हुआ। तब इस धनुष को देवरात के हाथों सौंप दिया गया था। देवरात जनक के पूर्वज थे। शिव जी ने पिनाक धनुष को स्वयं बनाया था। इस धनुष को उठाने की क्षमता किसी के पास नहीं थी। परन्तु राम ने इस धनुष को भंग कर दिया था।
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रुद्रास्त्र-
यह अस्त्र अपने आप में पूरे रूद्र को समाये रहता था। रुद्र का अर्थ होता है महाभयंकर। रुद्रास्त्र को ऐसा अस्त्र माना जाता है। जिसमे शिव जी का अंश है। इसलिए आदिनाथ शिव के एक अंश को रूद्र भी कहा जाता है। रुद्रास्त्र हजारों दुश्मनों को मार सकता था। माना जाता है। रुद्रास्त्र का मुकाबला करना यानी भगवान शिव का मुकाबला करना है।
चक्र-
इस अस्त्र को शिव जी का सबसे छोटा अस्त्र माना गया है। शिव जी के चक्र का नाम भवरेंदु हैं। सुदर्शन चक्र से जुड़े इस रहस्य को बहुत कम लोग जानते होंगे। इस चक्र का निर्माण शिव जी ने किया था। इस चक्र का निर्माण करने के पश्चात यह चक्र विष्णु जी को सौंप दिया गया था।