
ज्योतिष के अनुसार कुंडली (Kundli) में कई प्रकार के दोष होते हैं। जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। हिन्दू धर्म में विवाह के पहले कुंडली का मिलान किया जाता है। क्या आपको पता है ऐसा क्यों? क्योंकि कुंडली कुछ ऐसे दोष होते हैं। जो विवाह के खिलाफ होते हैं। विवाह के पहले कुंडली में अशुभ दोषों की जांच की जाती है। उनमें से एक दोष भकूट दोष है। अगर विवाह से पहले वर और वधु की कुंडली मिलान में यह दोष पाया जाता है। तब विवाह करने से मना किया जाता है।
भकूट दोष क्या है?
विवाह के दौरान भकूट दोष को एक कारक माना गया है। इसमें 7 अंकों का मिलान किया जाता है। अगर आपकी कुंडली का मिलान के समय अष्टकूट गुण पाया जाता है। तब जातक की कुंडली में भकूट दोष अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। कुंडली में भकूट दोष का स्थान ऊपर से दूसरा होता है। नीचे से सातवां होता है। भकूट दोष के प्रभाव को कुंडली से हटाना आवश्यक है। नहीं तो विवाह सफल नहीं होता है।
कुंडली में भकूट का क्या अर्थ होता है?
वर और वधु की कुंडली में भकूट दोष उत्पन्न होने का कारण चंद्र रशिया होती है। जिनका योग विवाह के प्रतिकूल होता है। जब कुंडली में गुण 6-8, 9-5 और 12-2 बनें। इससे भकूट दोष का योग बनता है।
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भकूट दोष के संयोग-
- अगर वर की राशि मेष है और वधु की राशि कन्या होती है।
- तब वर की कुंडली में चन्द्रमा वधु की कुंडली से अष्टम स्थान पर होता है।
- वधु की कुंडली में चन्द्रमा वर की कुंडली से छटवें स्थान पर होता है। तब 6-8 का संयोग बनता है।
- 6-8 का संयोग स्वास्थ्य के प्रति समस्या लेकर आता है। इसमें गंभीर बीमारी होने का योग बनता है।
- जब एक की राशि कन्या होती है। दूसरे की राशि वृष होती है तब 9-5 का संयोग बनता है।
- तब रिश्ते में परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।
- सबसे अशुभ योग 12-2 होता है। इससे भकूट दोष उत्पन्न होता है। जब एक की राशि मिथुन और दूसरे की राशि वृषभ हो।
- इसे आर्थिक हानियों का सामना करना पड़ता है।
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भकूट दोष का प्रभाव-
- इस दोष के प्रभाव से कई गंभीर परेशानियां आती हैं।
- विवाह के दौरान आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- यह दोष संतान की प्राप्ति के बेहद घातक है।
- अगर इस दोष वाले व्यक्ति का विवाह हो जाता है। तब रिश्ते में लड़ाई झगड़ा होने लगता है।
- रिश्ता इतना बिगड़ जाता है। बात तलाक तक आ जाती है।
- भकूट दोष के साथ आपकी कुंडली में अन्य कोई अशुभ दोष है तब मृत्यु का कारण बनता है।
भकूट दोष का उपाय-
अगर वर और वधु की कुंडली में चन्द्रमा के संयोग से भकूट दोष बन रहा है। अगर वर और वधु की राशि एक होती है। तब भकूट दोष को माना नहीं जाता है। एक ही राशि का मतलब दोष को समाप्त करना होता है। इस दोष के प्रभाव को कभी खत्म नहीं कर सकते हैं। इसके प्रभाव को सिर्फ कम किया जा सकता है। भकूट दोष का प्रभाव ज्योतिष के बताये उपाय द्वारा कम कर सकते हैं। अगर कुंडली के मिलान में नाड़ी दोष और गण दोष उत्पन्न हो रहा है। तब भकूट दोष के उपाय को कम किया जा सकता है। भकूट दोष निवारण के लिए भकूट दोष निवारण मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके लिए महाम्रत्युन्जय मंत्र का जाप करना चाहिए।
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