
शिव जी त्रिदेव में शामिल हैं। शिव ऐसे देवता हैं। जिनकी पूजा सबसे अधिक की जाती है। शिव के कई नाम हैं। प्रत्येक नाम के पीछे कोई न कोई कथा छिपी हुई है। शिव जी को आदिनाथ शिव के नाम से भी जाना जाता है। शिव जी स्वभाव से अधिक भोले हैं। इसी कारण शिव जी को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को सृष्टि का कर्ता धरता माना गया है। शिव जी की एक अद्भुत छवि है। वैसे शिव जी कई अस्त्र धारण करते हैं।आज हम आपको बताएँगे। जानें कैसे आया भगवान शिव के हाथों में डमरू? और भगवान शिव के डमरू का रहस्य।
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भगवान शिव के डमरू का रहस्य-
पुराणों में शिव जी के कई रूपों के बारे में बताया गया है। जिसमें से एक रूप नटराज है। जब भगवान शिव अत्यधिक खुश होते हैं। तब वो नृत्य करते हैं। भोलेनाथ नृत्य करते समय हाथों में एक वाद्य-यंत्र होता है। जिसे शिव जी का अस्त्र डमरू कहते हैं। डमरू को समय के संतुलन का प्रतीक कहा गया है। भगवान शिव को भी दो रूप बताए गए हैं। एक वैरागी का दूसरा भोगी रूप बताया गया है। शिव के डमरू की ध्वनि अत्यधिक मधुर है।
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जानें कैसे आया भगवान शिव के हाथों में डमरू?
आइये जानते हैं, भगवान शिव के हाथों में डमरू कैसे आया? माना जाता है जब देवी सरस्वती की रचना हुई। तब देवी ने अपनी वीणा की ध्वनि से संसार में ध्वनि जाग्रत हुई। परंतु इस ध्वनि में कोई सुर और संगीत नहीं था। शिव जी ने नृत्य करना शुरू किया। डमरू को 14 बार बजाया। इस डमरू की ध्वनि से सुर और संगीत को ध्वनि मिली। इस कारण शिव जी के हाथों में डमरू विराजित रहता है। माना यह भी जाता है। कि भगवान शिव हाथ में डमरू लेकर आये थे।
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