हिन्दू धर्म में कजरी तीज का विशेष महत्व होता है। यह व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु, संतान प्राप्ति और घर में सुख समृद्धि के लिए रखती हैं। प्रत्येक वर्ष कजरी तीज को भद्र माह में कृष्ण पक्ष के तीसरे वाले दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज को कजली तीज, बड़ी तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी कई स्थानों पर प्रसिद्ध है। कजरी उत्सव विशेष रूप से उत्तर भारत के क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और राजस्थान में मनाया जाता है।
कजरी तीज 2023 व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। साथ ही चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि, कजरी तीज व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कजरी उत्सव पर महिलाएं हरियाली तीज की तरह ही तैयारियां करती है और अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं साथ ही कजरी तीज 2023 व्रत किसी विशेष इच्छा की पूर्ति हेतु भी रखा जाता है। तो आइए जानते हैं, कजरी तीज पूजा विधि और महत्व, कजली तीज की कहानी और कजली तीज कहां की प्रसिद्ध है।
कजरी तीज तिथि और समय
कजरी तीज 2023 में 2 सितंबर को शनिवार के दिन मनाई जाएगी। यह 1 सितंबर को रात में 11 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन रात के समय 8 बजकर 51 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
कजरी तीज पूजा विधि
- कजरी तीज पर सभी महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत करती हैं। कजरी तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कजली माता का पूजन किया जाता है। तो आप कजरी तीज पर इस विधि से करें व्रत क्योंकि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार महिलाओं को कजरी तीज व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्य।
- कजरी तीज पर सुबह सूर्योदय होने से पहले ही उठ जाना चाहिए। उठने के पश्चात स्नान आदि करें और सुंदर वस्त्र पहनें। इस दिन 16 श्रृंगार भी अवश्य करें।
- इसके पश्चात घर में साफ- सफाई करें और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें, उनके आगे धूप लगाएं और शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें । अब भगवान शिव और माता पार्वती के चरणों में फूल और फल अर्पित करें और आरती गाएं। इसके पश्चात नीमड़ी माता की पूजा की जाती है।
नीमड़ी माता की पूजा विधि
- सबसे पहले अपने घर में दीवार पर मिट्टी और गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा गड्ढा बनाएं। इस के एक कोने पर नीम के पेड़ की एक टहनी तोड़ कर लगा दें।
- इसके पश्चात इस तालाब की तरह दिखने वाले गड्ढे में कच्चा दूध और जल अर्पित करें। अब बनाए गए घेरे के एक कोने पर एक शुद्ध घी से दीपक जलाएं।
- अब एक थाली लें और उसमें केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि सामान रख लें। अब जो नीम की टहनी लगाई है, उस पर एक लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और थाली में राखी सभी सामग्री नीमड़ी माता को अर्पित करें।
- यह पूजा शाम के समय होती है इसके पश्चात चन्द्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति के हाथों से व्रत का पारण करें। यदि 11: 30 तक चंद्रमा नहीं दिखता है तो 11 बजकर 30 मिनट पर विधि अनुसार व्रत का पारण करें।
कजरी तीज का महत्व
हिन्दू धर्म में कजरी तीज का महत्व विशेष बताया गया है। इस दिन सभी महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत कुछ महिलाएं निर्जला करती हैं कुछ फलाहार लेकर करती हैं। शास्त्रों में बताया गया है की महिलाओं को कजरी तीज पर व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्य। कजली तीज उत्तर भारत के कई राज्यों में मनाई जाती है लेकिन यदि आप सोचते हैं कि कजली तीज कहां की प्रसिद्ध है? तो यहाँ नाम राजस्थान का आएगा। राजस्थान में कजली तीज को महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी अपने लिए मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए रखती हैं।
कजली तीज व्रत कथा
कजली तीज व्रत कथा या कजली तीज की कहानी हिन्दू धर्म में बहुत प्रसिद्ध है। कजली तीज की कहानी इस प्रकार है।
बहुत समय पहले एक छोटी सी जगह पर एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। दोनों अपनी गरीबी से बहुत परेशान थे। फिर एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में कजली तीज तीज का व्रत रखने का निश्चय किया और व्रत रख लिया। उन्होंने नीमड़ी माता की पूजा के लिए सत्तू चाहिए था जो उनके घर में नहीं था। अब माता ने ब्राह्मण से सत्तू लाने के लिए कहा, उनकी सच्ची भक्ति देख कर ब्राह्मण सत्तू लाने के लिए धन न होने की वजह से एक दुकान में रात के समय सत्तू चोरी करने के लिए घुस गए।
उन्होंने दुकान से सत्तू उठाया और जाने लगे लेकिन उनके हाथ से कुछ नीचे गिर गया, यह सुनकर सभी नौकर जग गए और ब्राह्मण को दुकान के साहूकार के पास ले गए। इसके पश्चात ब्राह्मण ने साहूकार को सत्तू के बारे में बताया। साहूकार ने जब ब्राह्मण की बात सुनी तो उनकी तलाशी ली गयी। सत्तू के अलावा कुछ न निकलने पर साहूकार ने ब्राह्मण को व्रत की सम्पूर्ण सामग्री और श्रृंगार की सामग्री उपहार स्वरूप दी।
इसके पश्चात ने ब्राह्मण की पत्नी ने व्रत किया और कजली माता के आशीर्वाद से ब्राह्मण के घर सुख- समृद्धि होने लगी। तभी से यह व्रत किया जाने लगा।
कजली तीज पर राशि अनुसार भगवान शिव को भोग
कजली तीज पर भगवान शिव को अपनी राशि के अनुसार भोग लगाने से सभी व्रत वाली महिलाएं और जो व्रत नहीं कर रहे हैं और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें भी विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए कजरी तीज के शुभ अवसर पर जानते हैं राशि के अनुसार भगवान शिव को आप कौन सा भोग लगा सकती हैं।
1. मेष राशि
मेष राशि के जातकों को कजरी तीज के शुभ अवसर पर भगवान शिव को तिल लड्डू, बेसन लड्डू, गाय के दूध की बनी हुई शुद्ध दही और गोले की बर्फी अर्पित करनी चाहिए। इससे आपके जीवन में सफलता आती है।
2. वृषभ राशि
वृषभ राशि के व्यक्तियों को कजरी तीज आने पर गाय का शुद्ध घी और घर बनी हुई सफ़ेद मावे की मिठाई को भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए। इससे आपके जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।
3. मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को कजरी तीज के दिन महादेव को अमरूद, केला और कोई भी मीठा फल और मखाने की खीर अर्पित करनी चाहिए। इससे भगवान शिव का मिथुन राशि को आशीर्वाद प्राप्त होगा।
4. कर्क राशि
कर्क राशि वाले लोगों को भगवान शिव के मंदिर जाकर मूंग दाल का हलवा और बादाम ड़ाल कर बनाई हुई खीर को अर्पित करना शुभ होता है। इससे आपके जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
5. सिंह राशि
कर्क राशि वाले जातकों को कजरी तीज के दिन भगवान शिव को पिस्ता मिठाई और गाय के कच्चे दूध से भोग लगाना चाहिए। यह करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
6. कन्या राशि
कन्या राशि को कजरी तीज के दिन भगवान शिव को दाल की बनी पूरियां, चने का हलवा और सूजी के बने हलवे से भोग लगाना शुभ होगा। इस दिन इन चीजों से भोग लगाने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
7. तुला राशि
तुला राशि वाले लोगों को इस दिन गाय के कच्चे दूध, सभी प्रकार के मीठे फल और सफ़ेद रंग की मावे की मिठाई से भगवान शिव को भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में खुशियां और सुख समृद्धि आएगी।
8. वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले लोगों को कजरी तीज के दिन बेसन का हलवा, बुरा के लड्डू और एक गोले का भगवान शिव को भोग लगाना चाहिए। इससे आपके जीवन में सुख- समृद्धि आती है।
9. धनु राशि
धनु राशि वाले व्यक्तियों को कजरी तीज के दिन भगवान शिव को गोले की मिठाई नारियल और देसी घी के चूरमा का भोग लगाना चाहिए। इससे आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी।
10. मकर राशि
मकर राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन भगवान शिव को बूंदी के लड्डू, तिल के लड्डू, गुड़ और मावे के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना गया है। कजरी तीज पर ऐसा करने से आपके सभी कार्य संपन्न होते हैं।
11. कुम्भ राशि
कुम्भ राशि के जातकों को कजली तीज पर भगवान शिव को गाय के दूध की दही, फल और बेसन के लड्डुओं का भोग लगाना अच्छा माना गया है। इस दिन इन चीजों का भोग लगाने से आपके घर में सुख-समृद्धि होने लगती है।
12. मीन राशि
मीन राशि को कजरी तीज पर तिल की मिठाई, बेसन की मिठाई और कच्चे दूध को भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए। आप कच्चे दूध को शिवलिंग पर भी अर्पित कर सकते हैं। इस दिन इन चीजों से भोग लगाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
कजली तीज पर क्या करें-
- कजरी तीज पर सभी विवाहित महिलाओं को व्रत रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से घर में सुख- समृद्धि आती है, महिलाओं के पति की आयु बढ़ती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के पश्चात कजरी माता की विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए। इससे आपको विशेष फल प्राप्त होता है।
- कजरी तीज वाले दिन रुद्राक्ष की माला को धारण करें। विशेष रूप से व्रत करने वाली महिलाओं को यह धारण करनी चाहिये। माला धारण करने से आपकी सभी मनोवांछित इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- कजरी तीज पर व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुने। बिना कथा सुने व्रत पूर्ण नहीं होता है। इसलिए कथा का महत्व इस व्रत में माना गया है।
- कजरी तीज पर सभी महिलाएं 16 श्रृंगार करें और उसके बाद ही पूजा करें। चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से ही व्रत पारण करें।
कजरी तीज पर क्या न करें-
- इस दिन व्रत करने वाली महिलओं को सफ़ेद रंग के वस्त्रो को पहनने से बचना चाहिए। सफ़ेद रंग का कोई भी वस्त्र इस दिन पहनना अशुभ होता है।
- व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है लेकिन यदि महिला गर्भवती या बीमार है तो पानी और फलों का सेवन कर सकती है।
- कजरी तीज के दिन किसी के लिए गलत न सोचें और अपने विचारों को शुद्ध रखें। घर में लड़ाई झगड़ा न होने दें। साथ ही व्रत में ध्यान रखें समय से पूजा करें।
- घर में मांस, मदिरा और तामसिक भोजन को न बनाए और ना ही सेवन करें। ऐसा करने से आपका व्रत सफल नहीं होता है और पाप लगता है।
- कजरी तीज के दिन हाथों को बिना महंदी लगाएं या बिना चूड़ी के सूना न रखें और 16 शृंगार करें। कजरी तीज पूजा विधि और महत्व जाने बिना न करें। इसे सम्पूर्ण विधि के साथ ही किया जाता है।
- कजरी तीज का व्रत सभी विवाहित महिलाएं बहुत ख़ुशी के साथ मनाती हैं। इस व्रत के लिए इंस्टाएस्ट्रो की पूरी टीम की ओर से आप सभी को कजरी तीज की हार्दिक शुभकामनाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
1. कजरी तीज कब है?
2. कजरी तीज पर क्या होता है?
3. कजरी तीज पर किसकी पूजा की जाती है?
4. कजरी तीज विशेष रूप से किस राज्य में प्रसिद्ध है?
5. राशि के अनुसार भोग लगाने से क्या होगा?
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