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शनि देव जी की चालीसा (Shani Dev Ji Ki Chalisa)

By December 14, 2022December 4th, 2023No Comments
ShaniDev Ji Ki Chalisa

शनि देव जी की चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥

परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ ४॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥

पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥

पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२॥

रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥

तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २०॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥

शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥

वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ २८॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ ३२॥

तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥ ३६॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ४०॥

॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

Shani Dev Ji Ki Chalisa

॥Doha॥

Jai Ganesh Girija suvan mangal karan kripal |
Dinan ke dukh door kari kijai nath nihal ||

Jai Jai Shri Shanidev Prabhu sunahu vinay maharaj |
Karu kripa hi Ravi tanay rakhahu jan ki laaj ||

॥Chalisa॥
Jayati jayati Shanidev Dayala ।
karat sada bhagatan pratipala ॥

Chari bhuja, tanu sham viraje ।
mathe ratan mukut chhavi chaje ॥

Param vishal manohar mhala ।
tedhi drishti bhrikuti vikarala ॥

Kundal shravan chamacham chamake ।
hiye maal muktan mani damke ॥

Kar me gada trishul kuthara ।
pal bich kare arihi sahara. ॥

Pingal, krishno, chhaaya nandan ।
Yam Konsth, Raudra, dukh bhanjan ॥

Sauri, mand Shani, dash nama ।
Bhanu putra pujahe sab kama ॥

Japar Prabhu prasanna ha ve jahi ।
rankhu raav kare shann maahi ॥

Parvathu trun hoi niharat ।
trinahu ko parvat kari darat ॥

Raaj milat vann Ramahi dinho ।
Kaikeyi hu ki mati hari linho ॥

Vanahu me mrig kapat dikhai ।
Matu Janki gai churai ॥

Lakhana hi shakti vikal karidara ।
machiga dal me hahakara ॥

Ravan ki gati-mati baurai ।
Ramachandra so bair badhai ॥

Diyo keet kari kanchan Lanka ।
baji Bajarang bir ki danka ॥

Nrip vikram par tuhi pagu dhara ।
chitra mayoor nigali gai hara ॥

Haar naulakha lageo chori ।
hath pair daravao tori ॥

Bhari dasha nikrasht dikhao ।
telahi ghar kolhu chalvao ॥

Vinay raag deepak mah kinhao ।
tab prasanna Prabhu have sukh dinho ॥

Harishchandra nrip nari bikani ।
aaphu bhare dom ghar pani ॥

Taise nal par dasha sirani ।
bhunji-meen kud gai pani ॥

Shri Shankarahi gaheo jab jai ।
Paravati ko Sati karai ॥

Tanik vilokat hi kari resa ।
nabh udi gato Gaurisut seema ॥

Pandav par bhai dasha tumhari ।
bachi Draupadi hoti ughari ॥

Kaurav keb hi gati mati mareyo ।
yudh Mahabharat kari dareyo ॥

Ravi kah mukh mah dhari tatkala ।
lekar kudi pareye patala ॥

Shesh dev-lakhi vinati lai ।
Ravi ko mukh te diyo chudai ॥

Vahan prabhu ke saat sujana ।
jag diggaj gardabh mrig svana ॥

Jambuk sinh aadi nakh dhari ।
so phal jyotish kehat pukari ॥

Gaj vahan Lakshmi grih aave ।
hay te sukh sampati upjave ॥

Gardabh hani kare bahu kaja
singh sidhakar raj samaja ॥

Jambuk budhi nasht kar daare ।
mrig de kasht pran sanhare ॥

Jab avahe svan savari ।
chori aadi hoe dae bhari ॥

Taisi chari charan yah nama ।
svarn lauh chandi aru tama ॥

Lauh aharan par jab Prabhu aave ।
dhan jan sampati nasht karave ॥

Samta tamra rajat shubhkari ।
svarn sarvasukh mangal bhari ॥

Jo yah Shani Charitra nit gave ।
kabhu na dasha nikrisht satave ॥

Adbhut nath dikhave leela ।
kare shatru ke nashi bali dhila ॥

Jo Pandit suyogya bulavi ।
vidhivat Shani Grah shanti karai ॥

Peepal jal Shani divas chadhavat
deep daan hai bahu sukh ॥

Kehat Ram sundar Prabhu Dasa ।
Shani sumirat sukh hot prakasha ॥

॥Doha॥

Path Shanishchar Dev ko ki ho bhagat taiyara
Karat path Chalis din ho bhavsagar paara ||

Jo stuthi Dasarath ji ki yo, sammukhi shani nihara
saras subhash mein vahi, lalitha likhe sudhara ||

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