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माँ सरस्वती की कहानी और क्यों मिला भगवान ब्रह्मा को श्राप

By March 1, 2023December 6th, 2023No Comments
Saraswati Mata And Lord Brahma

देवी सरस्वती को विद्या, कला, संगीत, साहित्य की देवी माना जाता है। हिन्दू धर्म में देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है। जो बच्चे विद्या, कला आदि क्षेत्रों में रुचि रखते है या इन क्षेत्रों में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते है। उन विद्यार्थियों के लिए देवी सरस्वती की पूजा करना बहुत फायदेमंद साबित होता है। छात्रों के लिए सरस्वती का महत्व अतुल्य है। सिर्फ छात्र जीवन में ही नही व्यक्ति को हर परिस्थिति से लड़ने के लिए ज्ञान की देवी यानि कि माँ सरस्वती का आशीर्वाद चाहिए होता है। देवी सरस्वती को भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वागीश्वरी के नामों से संबोधित किया जाता है। जो देवी सरस्वती माता की विशेषताओं को चिन्हित करता है।

ऋग्वेद में देवी सरस्वती को मनुष्य की बुद्धि, ज्ञान और मनोवृत्तियों का संरक्षक माना गया है। देवी सरस्वती के गुणों को जितना समझो उतना कम मालूम पड़ता है। इसी से संबंधित शास्त्रों में देवी सरस्वती की महिमा के बारे में काफी कुछ वर्णन किया गया है। देवी सरस्वती के बारे में और पता करने के लिए हमारे साथ जानिए इस कथा के पीछे का इतिहास:

देवी सरस्वती का महत्व-

ज्ञान की देवी कहीं जाने वाली सरस्वती माता मनुष्य को न केवल ज्ञान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है बल्कि मनुष्य की जिंदगी से अज्ञान को मिटाकर उसे विवेक प्रदान करती है। हिन्दू धर्म में ऐसे तो कई देवी देवता है जो व्यक्ति को उसकी भक्ति अनुसार फल देते है। माँ लक्ष्मी की आराधना करने से धन की प्राप्ति होती है, शिव की आराधना करने से हर चिंता से मुक्ति की प्राप्ति होती है। लेकिन देवी सरस्वती की आराधना करने से ज्ञान, विवेक, बुद्धि, कला और विद्या की प्राप्ति होती है।

Mata Saraswati

माँ सरस्वती की उत्पत्ति-

हमारे मन में यह सवाल कई बार उठता है कि आखिर कैसे माँ सरस्वती की उत्पत्ति हुई। तो यहां जानिए इस कथा के पीछे का इतिहास। हिन्दु धर्म में भगवान ब्रह्मा को संसार का रचनाकार माना गया है। संसार के समस्त जीव, पेड़-पौधे, मनुष्य उन्ही की रचना है। अपनी रचना का बनाने के बाद भी भगवान ब्रह्मा अप्रसन्न थे। उन्हें लगा उनकी इस रचना में कोई कमी रह गई है। इसलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंड़ल से जल छिड़का और उससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री उत्पन्न हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। इस तरह माँ सरस्वती की उत्पत्ति हुई।

अपनी रचना के साकार होने के बाद ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की परीक्षा लेनी चाही। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को वीणा बजाने के लिए कहा, जब सरस्वती जी ने वीणा बजाई तो ब्रह्मांड़ की बनाई हर चीज में स्वर आ गया। वह दिन वसंत पंचमी का दिन कहलाया। इसके साथ ही देवी सरस्वती के मुख से विघा के पूरे श्लोक, वचन का गहरा ज्ञान देखकर ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उनकी बनाई यह रचना हर तरीके से पूर्ण थी। इस तरह सरस्वती माता पूरे ब्रह्मांड़ और मनुष्य जीवन के अस्त्तिव में आई।

Mata Saraswati

जब सरस्वती की सुंदरता पर मोहित हो गए भगवान ब्रह्मा-

हिन्दू शास्त्रों में देवी सरस्वती से संबंधित कई कहानियां प्रचलित है। देवी सरस्वती को सफेद साड़ी पहने हुए, एक हाथ में कमल, दूसरे में माला, तीसरे में पुस्तक, चौथे में वीणा बजाते हुए सुंदर स्त्री के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। देवी सरस्वती की इसी सुंदरता के कारण भगवान ब्रह्मा सरस्वती की सुंदरता पर मोहित हो गए और उन्होने सरस्वती को अपनी पत्नी बनाने का निश्चय कर लिया। लेकिन सरस्वती ब्रह्मा को अपना पिता मानती थी क्योंकि ब्रह्मा ने ही सरस्वती की रचना की थी। इसलिए वह भगवान ब्रह्मा से शादी नहीं करना चाहती थी।

ब्रह्मा की दृष्टि से छुपने के लिए सरस्वती ने चारों दिशाओं में छुपने का प्रयास किया पर वह भी सफल न रहा इसलिए सरस्वती ने स्वर्ग में छिपने का निश्चय किया पर वहां भी भगवान ब्रह्मा आ धमके और देवी सरस्वती को विवश होकर अपने ही पिता से शादी करनी पड़ी। देवी सरस्वती और ब्रह्मा के मिलन से स्वयंभु नाम के बालक का जन्म हुआ जो मानव जगत का चक्र आरंभ हुआ।

Lord Brahma And Mata Saraswati

आखिर क्यों मिला भगवान ब्रह्मा को श्राप-

हिन्दू धर्म की कथाओं की मानें तो अपनी ही बेटी से शादी करने के कारण भगवान ब्रह्मा की सभी देवताओं ने बहुत आलोचना की और ब्रह्मा को उनके किए की सजा देने के लिए सभी देवता मिलकर भगवान शिव के पास गए और ब्रह्मा को सजा देने के लिए कहा। भगवान शिव सभी देवताओं की बात सुनकर बहुत क्रोधित हुए इसलिए शिव ने ब्रह्मा के पांचवे सिर को उनके धड़ से अलग कर दिया। दूसरी कथा की माने तो भगवान ब्रह्मा का पांचवा सिर हमेशा बुरी बातों से भरा रहता था इसलिए शिव ने ऐसे सिर को खत्म करना ही उचित समझा। तीसरी कथा की माने तो भगवान ब्रह्मा की दूसरा शादी करने से देवी सरस्वती बहुत क्रोधित हुई और भगवान ब्रह्मा को श्राप दिया कि आपकी इस पृथ्वी पर कहीं भी पूजा नहीं होगी। राजस्थान के पुष्कर और तमिलनाडु को छोड़कर कहीं भी ब्रह्मा का मंदिर नहीं है।

Lord Brahma

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. सरस्वती को विद्या की देवी क्यों कहा जाता है?

देवी सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत की देवी कहा जाता है। सरस्वती जी के आशीर्वाद से सारी शंकाओं का निवारण हो जाता है और सरस्वती की आराधना से विवेक, बुद्धि ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है।

2. मां सरस्वती का दूसरा नाम क्या है?

सरस्वती जी को सौम्या के नाम से भी जाना जाता है। इस नाम का मतलब मधुर होता है। देवी सरस्वती को वाची नाम भी दिया गया है क्योंकि उनकी वाणी बहुत मधुर है।

3. क्या सरस्वती का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था?

कुछ परंपराओं के अनुसार सरस्वती पहले भगवान विष्णु की पत्नी थी। भगवान विष्णु की पहले से ही दो पत्नी होने के कारण उनके हाथ भरे हुए थे। इसलिए उन्होंने सरस्वती को भगवान ब्रह्मा को दे दिया।

4. देवी सरस्वती किसकी बेटी है?

पुराणों में देवी सरस्वती को ब्रह्मा की बेटी और पत्नी दोनों माना गया है। सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्मा जी ने सरस्वती को अपने तेज से उत्पन्न किया था।

5. देवी सरस्वती को सफेद रंग में ही क्यों दर्शाया जाता है?

सफेद रंग पवित्रता, धैर्य, सच्चे और दिव्य ज्ञान का प्रतीक है। इसलिए मां सरस्वती को सफेद रंग में दिखाया जाता है।

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