
महाशिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। हिंदू मान्यता अनुसार त्रिकालदर्शी शिव इस दिन अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि आने में अब बस कुछ ही दिन बचे है। इस साल महाशिवरात्रि 2023 का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। भगवान शिव के भक्तों के लिए यह पर्व बेहद खास होता है। इस दिन शिव के भक्त उन्हें अपनी पूजा अर्चना से प्रसन्न करके भगवान शिव से मनचाहा फल प्राप्त करते है। भारत देश में जगह जगह फैले भगवान शिव के भक्त इस दिन उनके ज्योतिर्लिंग स्वरूप का रुद्राभिषेक भी करते है। जिसमें गुजरात का ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर अपना एक विशेष स्थान रखता है।
महाशिवरात्रि और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी संपूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए यह लेख:
इस साल महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर लोगों के बीच काफी उलझन देखने को मिल रही है। कुछ लोग 18 फरवरी को महाशिवरात्रि बता रहे है तो कुछ लोग 19 फरवरी को। इसके साथ ही अगर आप भी जानना चाहते है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप पर जल चढ़ाने से और पूजा अर्चना करने से आपको क्या लाभ मिलेगा? तो आज ही इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें। जहां आपको महाशिवरात्रि की सही तिथि, पूजा विधि और ज्योतिर्लिंग के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाती हैं।
जानिए भगवान शिव के पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर की महिमा-
ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर गुजरात के काठियावाड़ में स्थित भगवान शिव के चमत्कारी मंदिरो में से एक है। इतिहास पर एक नजर डाले तो पता चलता है की आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को कई बार लूटने की कोशिश की है। उन लुटेरों में से मुहम्मद गजनबी एक ऐसा लुटेरा था जिसने इस मंदिर की अपार धन संपत्ति लूटी। इतिहास की यह सबसे बड़ी लूट कहीं जाती है। लेकिन समय के साथ साथ सोमनाथ मंदिर की जो हानि हुई थी उसकी पूर्ति भी हुई। यह मंदिर आज अपनी भव्य आभा के साथ एक सैलानी स्थल बन चुका हैं।
क्यों की थी चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना-
सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की स्थापना की थी। एक कथा के मुताबिक चंद्रमा का विवाह दक्ष की 27 कन्याओं के साथ हुआ था। लेकिन चंद्रमा सिर्फ रोहिणी को ज्यादा अहमियत देते थे। जिसे देखकर दक्ष ने चंद्रमा को छयरोग से पीड़ित होने का श्राप दे दिया। इस श्राप से छुटकारा पाने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव चंद्रमा की तपस्या से खुश हुए और उन्हें दक्ष के श्राप से मुक्त कर दिया। उस दिन के बाद से चंद्रमा भगवान शिव के बनाएं शिवलिंग में रहने लगे और उस शिवलिंग के आगे रोज अग्नि की जोत जलाकर शिवलिंग की पूजा करने लगे। उसी दिन से उस स्थान को ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के रुप में पूजा जाता हैं।
जानिए पूरे भारत में विख्यात भगवान शिव के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के बारे में-
वैसे तो पूरे भारत में भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। उनमें से कुछ प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों की चर्चा यहां की गई है:
गुजरात का सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-
समुद्र किनारे बसा गुजरात के काठियावाद का ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का इस धरती पर पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वंय चंद्रदेव ने की थी।
मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-
मध्य प्रदेश की राजधानी उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है। उज्जैन में स्थित दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग पूरे भारत में एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो सिर्फ उज्जैन में ही देखने को मिलता है।
उत्तराखंड का केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-
उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्त जन बाबा वरफानी के दर्शन करने आते है।
महाराष्ट्र का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग-
ब्रह्मागिरी पर्वत के निकट भगवान शिव का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। ब्रह्मागिरी पर्वत को गोदावरी नदी का उद्गम स्रोत माना जाता है।
गुजरात का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-
भगवान शिव को नागों के देवता के रूप में भी जाना जाता है। बडोदरा क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग अपनी अनोखी महिमा के लिए प्रसिद्ध है।
तमिलनाडु का रामेश्वर ज्योतिर्लिंग-
रामेश्वर को प्रसिद्ध तीर्थ स्थान के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने सेतुबंध के प्रतीक के रूप में यहां भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। इसलिए इस जगह को रामेश्वर बोला जाता है।
ज्योतिषियों से जाने महाशिवरात्रि का व्रत करने के लाभ-
वैसे तो महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में अपना एक पावन स्थान रखती है। महाशिवरात्रि के बारे में ऐसे तो ज्यादा बताने की जरुरत नहीं है क्योंकि हर साल महाशिवरात्रि के दिन घर घर में इसकी महिमा के बारे में बताया जाता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र की माने तो इस साल की महाशिवरात्रि कई अद्भुत योग लेकर आ रही है। इसलिए इस साल ज्योतिषियों द्वारा बताएं गए उपायों के जरिए आप भी अपने भाग्य को मजबूत कर सकते है। ये उपाय नीचे निम्नलिखित है:
महाशिवरात्रि के दिन शिवरात्रि का व्रत जरुर रखें और भगवान शिव और पार्वती की अराधना करें। इससे आपका विवाह जल्द ही होगा।
शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। शुभ मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लें।
शिव जी की सवारी नंदी बैल है। इसलिए इस दिन किसी बैल को पालक या हरा चारा खिलाएं। ऐसा करना आपके लिए बहुत शुभ होगा।
शिवमंत्र का 108 बार जाप करें।
गरीबों को भोजन कराना बहुत पुण्य का काम माना जाता है। इसलिए इस दिन गरीबों को भोजन कराएं। इससे भगवान शिव और माँ अन्नापूर्ण आप पर प्रसन्न होगी और आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी।
अगर संभव हो तो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप के दर्शन करने एक बार भगवान शिव के भारत में स्थित किसी तीर्थ स्थान पर जरुर जाएं।
तिल और जौ भगवान शिव पर जरुर अर्पित करें क्योंकि यह सभी बुराईयों का नाश करता है और व्यक्ति का सौभाग्य जगाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. सोमनाथ मंदिर देश के कौन से राज्य में स्थित है?
2. क्या चंद्रमा ने की थी स्थापना सोमनाथ मंदिर की?
3. सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा किससे जुड़ी है?
4. चंद्रमा का दूसरा नाम क्या है?
5. पूरे भारत में भगवान शिव के कितने ज्योतिर्लिंग है?
6. इस साल महाशिवरात्रि कौन सी तारीख को पड़ रहीं है?
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