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पौष अमावस्या: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By November 26, 2022December 4th, 2023No Comments
Paush Amavasya

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या होती है। इस प्रकार पूरे वर्ष में कुल बारह अमावस्या आती हैं। पौष माह की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत एवं अनुष्ठान किया जाता है। पौष अथवा पौषी अमावस्या के दिन स्नान, दान, जप, तप, पूजन, अर्घ्य आदि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइये पढ़ते हैं पौष अमावस्या विधि और पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त –

पौष अमावस्या 2022

वर्ष 2022 में दो बार पौष अमावस्या तिथि है। एक बार वर्ष के शुरुआत में 02 जनवरी 2022 को पौषी अमावस्या थी। अब दिसंबर माह एक बार फिर पौष अमावस्या पड़ रही है। इस प्रकार वर्ष 2022 में कुल 13 अमावस्या पड़ेंगी।

वर्ष 2022 में कब है पौष अमावस्या ?

पौष माह की दूसरी अमावस्या 23 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 22 दिसंबर को शाम 07 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होगी और 23 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 48 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में कई लोगों का सवाल रहता है कि कब है पौष अमावस्या ? इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष के अनुसार पौष अमावस्या 2022 23 दिसंबर 2022 को ही मनाई जाएगी।

Paush amavashya date

पौष अमावस्या पर करें सूर्य देवता का पूजन –

मान्यता है कि पौष माह में सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। पौष माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए शुभ माह माना जाता है।
इस माह में सूर्य देव की उपासना करने से जातक के ग्रह-नक्षत्र सही दिशा में स्थित होते हैं और कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं। अतः इस दिन सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल का अर्घ्य दें।

Surya devta

और पढ़ें: जानें वर्ष की अंतिम एकादशी की पूजा विधि और महत्व

पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौष अमावस्या के दिन करें ये कार्य –

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दू पंचांग की हर तिथि किसी न किसी रूप में शुभ होती है। हर तिथि पर विशेष फल प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताये गए हैं। पौष अमावस्या विधि को करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है। तो आइये पढ़ते हैं इन्स्टाएस्ट्रो के अनुसार अमावस्या पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध।

Pitroin ka sraadh

पौष अमावस्या के दिन करें ये काम –

  • अमोघ फल की प्राप्ति के लिए पौषी अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी पर जाना संभव न हो, तो किसी तालाब अथवा कुंड में भी स्नान किया जा सकता है।
  • स्नान के बाद नदी के तट पर ही सूर्यदेव को जल अर्पित करें। अर्घ्य देने के बाद तिल का तर्पण करें। इससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
  • गरीब, असहाय और ज़रुरतमंदों को दान दें। यदि संभव हो तो उन्हें भोजन भी कराएँ। इससे शुभ फल प्राप्त होता है।
  • इस दिन व्रत रखें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • पौषी अमावस्या पर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखे गए व्रत के फलस्वरूप पूर्वजों को बैकुंठ लोक प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद कोई कष्ट नहीं सहने पड़ते।
  • मान्यता है कि पौषी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल चढाने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।

Daan-punay

और पढ़ें: मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2022: जानें व्रत पूजा विधि और महत्व।

पौषी अमावस्या पर ध्यान देने योग्य बातें –

मान्यता है कि अमावस्या की रात्रि में कई तरह की बुरी शक्तियां धरती पर विचरण करती हैं। अतः अमावस्या की रात में भूलकर भी अकेले बाहर न जाएँ। खासकर वट अथवा पीपल के वृक्ष के नीचे ना जाये।
अमावस्या के दिन मांसाहारी भोजन, मदिरा आदि से परहेज़ करें। इस दिन सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें।
यह अमावस्या पितरों के तर्पण के लिए विशेष फलदायी है इसलिए इस दिन किसी बड़े-बुज़ुर्ग का अपमान ना करें।

Peepal tree

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. वर्ष 2022 में कब है पौष अमावस्या ?

पौष माह की अमावस्या तिथि यानि कि पौष अमावस्या 2022 23 दिसंबर को मनाई जाएगी।

2. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौष अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ?

पौष अमावस्या विधि इस प्रकार है – किसी पवित्र नदी, तालाब अथवा कुंड में स्नान करें। स्नान के बाद नदी के तट पर ही सूर्यदेव को अर्घ्य दें। और फिर तिल का तर्पण करें। गरीब, असहाय और ज़रुरतमंदों को दान दें और भोजन कराएँ। इस दिन व्रत रखें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

3. पौष अमावस्या पर सूर्य देवता का पूजन करने के क्या लाभ हैं ?

सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करने से और उन्हें लाल पुष्प चढाने से उनकी विशेष कृपा मिलती है। भगवान सूर्य नवग्रहों में अत्यंत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने से ब्रह्माण्ड के अन्य ग्रह-नक्षत्र भी कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं।

4. पौषी अमावस्या के नियम क्या हैं ?

अमावस्या की रात में अकेले सुनसान जगह पर ना जाएँ। वट अथवा पीपल के वृक्ष के नीचे भूलकर भी ना जाएँ। इस दिन मांसाहारी भोजन, मदिरा आदि सेवन ना करें। केवल सात्विक आहार ही ग्रहण करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अपमान ना करें।

5. पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त कब है ?

अमावस्या तिथि 22 दिसंबर को शाम 07 बजकर 15 मिनट पर आरम्भ होगी और 23 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 48 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी।

और पढ़ें – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचतत्व का महत्व और जातक के जीवन में पंचतत्व का प्रभाव।

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Yashika Gupta

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