किसी भी व्यक्ति के जन्म तिथि से उस व्यक्ति के गुण दोष, चरित्र और भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। यह कार्य जन्मतिथि के द्वारा तारों एवं ग्रहों की स्थिति के आधार पर किया जाता है। आपके मन में यह भी सवाल आ रहा होगा की जन्म तिथि से भविष्य कैसे देखें? जिस दिन आप का जन्म हुआ उसे हम जन्मतिथि के नाम से जानते हैं। यह तिथि भविष्य के बारे में काफी कुछ बताने में सक्षम है।
आपके जन्म तिथि, जन्म स्थान और समय के आधार पर जन्म कुंडली बनाई जाती है जिसके माध्यम से आपका भविष्य देखा जा सकता है एवं भविष्य में होने वाले लाभ हानि एवं प्रभाव का आकलन भी किया जा सकता है। आपके जन्म तिथि से भविष्य पर काफी प्रभाव पड़ सकता है जिसका उल्लेख किया गया है। अगर आपको भी अपने जन्मतिथि के माध्यम से अपने भविष्य के बारे में जानना है तो इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से संपर्क करें।
जन्म तिथि से भविष्य पर प्रभाव
हमारी मान्यताओं के अनुसार कुछ जन्मतिथि पर जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन प्रभाव के उपाय नीचे दिए गए हैं जिनके माध्यम से आप कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।
1. ग्रहण काल में जन्मतिथि का प्रभाव एवं उपाय
ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति का जन्म ग्रहण काल जैसे सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण या अन्य किसी ग्रहण में हुआ है तो उसे कष्ट, दरिद्रता और मृत्यु का भय होता है।
ग्रहण काल के प्रभाव से बचने का एक ही उपाय है कि राहु और केतु का दान करते रहे। यह पूजन पंडित के देखरेख में ही कराएं।
2. अमावस्या काल में जन्मतिथि का प्रभाव एवं उपाय
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे के घर में दरिद्रता आती है एवं उसका जीवन काफी संघर्ष में रहता है। अमावस्या की तिथि में सर्प शीर्ष में अगर शिशु का जन्म होता है तो उसे दोषपूर्ण माना जाता है।
इस प्रभाव से बचने के लिए आपको कलश स्थापना करना पड़ेगा एवं उसमें छाल, जड़, पंच पल्लव रखकर अभिमंत्रित करने के बाद अग्निकोण में स्थापना कर दें। अब सूर्य एवं चंद्रमा की मूर्ति बनवा कर, स्थापना करें और षोडशोपचार और पंचोपचार से सभी देवताओं की पूजा करें। फिर सभी ग्रहों की समाधि द्वारा हवन करें एवं माता पिता का अभिषेक करें और दक्षिणा दें एवं ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं। आपको यह ध्यान रखना है कि यह पूजन किसी पंडित के देखरेख में ही होनी चाहिए।
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3. कृष्ण चतुर्थी में जन्मतिथि के दोष के उपाय
मान्यताओं के अनुसार चतुर्थी को 6 भागों में बांटा गया है जिसमें प्रथम भाग में बच्चे का जन्म होना शुभ माना जाता है। दूसरे भाग में जन्म होने से पिता की मृत्यु हो सकती है एवं तृतीय भाग में जन्म होने से माता की मृत्यु हो सकती है। चौथे भाग में मामा का नाश एवं पांचवें भाग में कुल का नाश हो सकता है। अगर बच्चे का जन्म छठे भाग में हुआ तो धन का नाश होगा एवं स्वयं बच्चे का भी नाश हो सकता है।
इस समस्या का निवारण यह है कि आप गणेश भगवान की पूजा करें या सोमवार का व्रत रखकर शिवजी की पूजा करें। आपको हनुमान चालीसा पढ़ना होगा एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना होगा। अगर आप दक्षिणमुखी मकान में रह रहे हैं तो उसे शीघ्र छोड़ दें।
4. संक्रांति में जन्मतिथि के प्रभाव एवं उपाय
मान्यता अनुसार सूर्य की 12 संक्रांतियां होती है। इन संक्रांति में कुछ शुभ माना जाता है एवं कुछ अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि सूर्य की संक्रांति में जन्म लेने वाला बालक दरिद्र हो जाता है।
इस विपदा के निवारण स्वरूप आपको विधि विधान से नौ ग्रह का यज्ञ करना होगा। उत्तरमुखी मकान में रहने की कोशिश करें एवं लक्ष्मी माता की पूजा करें।
5. भद्रा इत्यादि में जन्मतिथि के प्रभाव एवं उपाय
प्राचीन मान्यता अनुसार भद्रा इत्यादि में जातक जन्म लेते हैं इसलिए इसे अशुभ माना जाता है।
उपाय स्वरूप अगर भद्रा में जन्म लेने वाला कोई बालक है तो जन्म दिवस के दिन ही इसकी शांति कराना चाहिए। आपको विष्णु, शंकर इत्यादि की पूजा एवं अभिषेक करना होगा। शिवजी के मंदिर में धूप, दीपदान और पीपल के वृक्ष की पूजा करके विष्णु भगवान का मंत्र 108 बार पढ़ने के साथ हवन कराना चाहिए।
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